Thursday, July 2, 2020

सिंगल और कट चाय

बस यूं ही
मौजूदा दौर में चाय की चर्चा आते ही कयासों के दौर शुरू हो जाते हैं। विशेषकर चाय और प्रधानमंत्री का स्मरण बरबस ही हो उठता है। वैसे चाय व चाय वाले चर्चित भी प्रधानमंत्री के कारण ही ज्यादा हुए। खैर, मैं भी आज चाय की चर्चा ही करने वाला हूं लेकिन उस चर्चा का प्रधानमंत्री से दूर-दूर तलक कोई वास्ता नहीं है। दरअसल, चाय विषय बड़ा व्यापक है, इस पर कितना भी लिखो कम है। सौतन फिल्म का गाना, इसलिए मम्मी ने मेरी तुझे चाय पर बुलाया है, तो उस दौर में संगीत प्रेमियों की जुबां पर चढ़ गया था। गीत कालजयी हो गया। कहने का सार यही है कि चाय की चर्चा और महत्ता कभी कम नहीं हुई और ना होगी। अभी पांच दिन पहले की ही बात है। चाय की तलब जगी तो आफिस के सामने एक थड़ी पर चला गया। वहां बोर्ड लगा था और साथ में फोटो भी लगी थी। नाम लिखे थे सिकोरा तंदूरी चाय पन्द्रह रुपए, सिकोरा तंदूरी कॉफी बीस रुपए, सिंगल चाय दस रुपए और कट चाय पांच रुपए। चाय की चार वैरायटी देख मैं चौंका। मेरे लिए चारों ही नाम नए थे। पहले तो सिकोरा में चाय व कॉफी की विधि जानी। चायवाले ने बताया कि सिकोरे को तेज गर्म कर रखते हैं। फिर चाय बनाकर उसमें डाल देते हैं। गर्म सिकोरे के छमके से चाय का स्वाद अलग हो जाता है। उसमें सिकारे की मिट्टी की खुशबू का एहसास होता है और पीने में अलग तरह का टेस्ट महसूस होता है। इतना जानने के बाद मेरी दिलचस्पी अब सिंगल और कट चाय में थी। चाय वाले ने मेरी तरफ आश्चर्य से देखा। मैं उसके मनोभाव जान चुका था। उसका देखने का आशय यही था कि मेरे को लेकर वह.यही सोच रहा था कि इस शख्स को सिंगल और कट का पता क्यों नहीं है। फिर उसने दो डिपोस्जल गिलास निकाले। एक बड़ा और दूसरा उससे छोटा। बोला यह सिंगल चाय है। मतलब पूरी। और यह छोटा गिलास है, मतलब पूरी चाय की हाफ यानी की कट चाय। मेरे चेहरे पर मुस्कान देख वह फिर बोला, भाईसाहब जोधपुर पहली बार आए हो क्या? मैंने कहा आ तो कई बार चुका परंतु इस कट चाय से वास्ता पहली बार पड़ा है। अभी तक जहां जहां गया वहां सिंगल मतलब पूरी चाय ही पी है। हालांकि कई जगह डिस्पोजल गिलास जोधपुर की कट चाय वाले जितने छोटे भी मिले लेकिन कीमत पूरी चाय की अदा की। खैर, मैंने सिंगल मतलब पूरी चाय पी और दस रुपए अदा कर लौट आया। साथ में चाय की थड़ी पर लगे बोर्ड की फोटो भी क्लिक कर ली। तो ससुराल में चाय की इन चार वैरायटी से वाकिफ पहली बार हुआ। अब बारी सिकोरे की चाय व कॉफी की है। मौका मिला तो उनका स्वाद भी चख लूंगा। वैसे हमारे इलाके में दो की तीन.में चार की छह में.करवाने का रिवाज तो है लेकिन.कट वाला.देखा नहीं।

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