Thursday, July 2, 2020

सेवा के साथ सावधानी भी जरूरी

टिप्पणी
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक फोटो वायरल है। इंडोनेशिया के बताए जा रहे इस फोटो में राशन से संबंधित सामान की निर्धारित दूरी छोड़कर ढेरियां बनाई हुई हैं। इस फोटो के साथ एक सलाह भी दी जा रही है कि इस तरह की सावधानी हमको गांवों में भी दिखानी होगी। वैसे सोशल मीडिया पर सलाह व सुझाव देने का क्रम भारत में कोरोना वायरस की दस्तक देने से पहले ही शुरू हो गया था, जो कि अब चरम पर है। खैर, देश में कोरोना के मामले बढऩे के साथ ही 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा कर दी गई। लोगों को घरों में ही रहने तथा भीड़ से बचने जैसी हिदायतें भी दी गई। इनके उल्लंघन पर कार्रवाई भी हो रही है। इन सब के साथ ही घरों में बंद लोगों को राशन-पानी मुहैया करवाने की होड़ लगी है। पीडि़त मानवता की सेवा करना वाकई नेक व पुनीत काम है। ऐसा होना भी चाहिए। खुशकिस्मती कहिए कि हमारे देश के हर गांव-कस्बे में सेवाभावी लोग हैं। इनमें कोई अपने स्तर पर तो कोई शासन-प्रशासन के साथ जरूरतमंदों की मदद में जुटा है। इस तरह के हालात में ऐसा जज्बा दिखाना भी चाहिए लेकिन देखने एवं गौर करने लायक बात यह भी है कि इस सेवा के चक्कर में जाने-अनजाने में हम कहीं कोई भूल तो नहीं कर रहे? सावधानी बरतने की जो सलाह बार-बार दी जा रही है, कहीं हम उसका उल्लंघन तो नहीं कर रहे? देखने में आया है कि कुछ जगह तो सेवादार सेवा से ज्यादा खुद के प्रचार को ज्यादा लालायित नजर आते हैं। इतना ही नहीं, मदद के नाम पर वो भीड़ तो एकत्रित कर रहे हैं लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं। इधर, लोग भी सलाहों को दरकिनार कर सामान लेने के लिए ऐसे उमड़ रहे हैं जैसे कि बाद में मिलेगा ही नहीं। किसी भी कस्बे या शहर की सब्जी मंडी ही देख लीजिए। वहां आज भी भीड़ उसी अंदाज में दिखाई दे जाएगी। प्रशासन ने हालांकि कई जगह जरूरतमदों के लिए हैल्पलाइन नंबर जारी किए हैं, जिसके माध्यम से लोग घर बैठे मदद पा सकते हैं लेकिन कमजोर एवं नीचे तबके के लोगों के बीच न तो हैल्पलाइन नंबर का प्रचार प्रसार है और न ही उनमें इस बात का यकीन कि उनकी मदद करने कोई आएगा।
बहरहाल, हेल्पलाइन नंबरों के साथ-साथ गली मोहल्लों में इस बात की मुनादी भी करवाई जानी चाहिए, जिसमें सख्त हिदायत के साथ जरूरतमंदों को मदद कहां और कैसी मिलेगी, इस बात का जिक्र हो। इधर, सेवाभावी लोगों को भी चलकर खतरा मोल नहीं लेना चाहिए। उनको शासन-प्रशासन की तय गाइडलाइन के हिसाब से ही काम करना चाहिए या फिर सरकार के सहभागी बनकर। तय मानिए सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना कर आप उपकार नहीं एक तरह से अनर्थ ही कर रहे हैं। इसलिए, सावधान रहें और सावधानी बरतें। और हां, ध्यान इस बात का भी रखें कि जरूरतमंदों के साथ फोटो खिंचवा कर कहीं हम उनका उपहास तो नहीं उड़ा रहे? उनको दया का पात्र तो नहीं बना रहे ?


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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर, बीकानेर व बाडमेर संस्करण में 01 अप्रेल 20 को प्रकाशित...

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