Thursday, July 2, 2020

बच्चों की गांधीगिरी....

शुक्रवार शाम को आफिस था तो बच्चों ने फोन किया और बोले पापा हम शनिवार को स्कूल नहीं जाएंगे। घर पर कम्प्यूटर से खेलेंगे भी नहीं। खूब सारी पढाई करेंगे। मैंने कहा जब पढाई ही करनी है तो स्कूल क्यों नहीं चले जाते। बच्चों ने फिर पैंतरा बदला, कहने लगे पापा बैग में वजन है, पैदल चलने और बैग के वजन से कंधे दर्द कर रहे हैं। थोड़ा रेस्ट कर लेंगे तो सही हो जाएगा। मैंने फिर कहा, पैदल जाओगे, दर्द तभी ठीक होगा, बैठने या आराम करने से नहीं। मैं भी जब क्रिकेट खेलता था तो पहले दिन शरीर खूब दर्द करता था, फिर रोज खेलने से धीरे धीरे ठीक होता था। और तुम पैदल की बात करते हो। तुम्हारा तो आना जाना बामुश्किल चार किलोमीटर होगा। मैं तो पंद्रह किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाता था। मेरी बातें सुनकर बुझे मन से बच्चों ने फोन काट दिया। रात डेढ बजे घर आया तब दोनों बच्चे सो चुके थे लेकिन खिड़की पर एक लिखा हुआ मैसेज रखा था। गुस्से वाले इमोजी भी बनाए हुए थे। मैसेज था हमारी मांगें पूरी करो, पापा एंड मॉम। मैं बच्चों की इस गांधीगिरी पर मुस्करा दिया..झट से मोबाइल निकाला और मैसेज क्लिक कर लिया। खैर, मैसेज अभी वहीं खिड़की में रखा हुआ है और दोनों बच्चे स्कूल गए हैं। यह बात दीगर है कि वो सुबह बड़े तल्खिया अंदाज में बड़बड़ाते हुए स्कूल निकले थे।

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