Tuesday, November 14, 2017

श्रीगंगानगर में कारगर नहीं रहा 'रोड डवलपमेंट कार्ड'

यह मामला बड़ा रोचक है। इसमें मुआवजे का निर्धारण सरकार के नुमाइंदों ने किया। बाद में उनको लगा कि यह निर्धारण तो ज्यादा है। सुनवाई हुई और मुआवजे की राशि कम हो गई। सरकारी नुमाइंदों को यहां भी संतोष नहीं हुआ, उनको लगा यह राशि भी ज्यादा है तो फिर से सुनवाई की गई। विधानसभा तक में घोषणा कर दी गई लेकिन मामला फिर अटक गया। अब फैसला 28 अगस्त को आएगा। देखना है सरकारी नुमाइंदे इस राशि को मानते हैं या फिर सुनवाई का राग अलापेंगे। कुछ इन्ही बिन्दुओं पर केन्द्रित है मेरी यह खबर जो,हुई है।
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नेशनल हाइवे-62 का मामला
तीन बार हो चुका है मुआवजे का निर्धारण
226 करोड़ से घटकर 139 करोड़ तक पहुंचा
श्रीगंगानगर. उदयपुर में 29 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रोड डवलपमेंट कार्ड का जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलेगा या नहीं, यह तो अभी तय नहीं लेकिन श्रीगंगानगर में रोड डवलमटमेंट से ही जुड़ा एक मामला न केवल साढे़ तीन साल से अधूरा है, बल्कि मुआवजे के लिए किसानों को खून के आंसू भी रुला रहा है। किसानों को मुआवजे के रूप में फूटी कौड़ी तक नहीं मिली। इसके विपरीत मुआवजा तीन बार तय चुका तथा 226 करोड़ से घटाकर 139 करोड़ कर दिया गया है। भूमि अवाप्ति अधिकारी तथा नेशनल हाइवे ऑथारिटी के बीच अटके इस मामले में नुकसान किसानों को रहा है। देरी की वजह से इस महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की लागत बढऩा भी तय है। इस मामले में आबर््िाटेटर की सुनवाई में दर्जनभर से अधिक तारीखें पड़ चुकी हैं लेकिन फैसले का इंतजार है। किसान मुआवजे के लिए कई बार धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।
साल पहले उद्घाटन, चार माह पहले टोल
विडम्बना देखिए कि हाइवे का काम अभी अधूरा है लेकिन इसका उद्घाटन हो चुका है और इस पर टोल टैक्स भी चालू हो गया है। पिछले साल 17 अगस्त को प्रदेश की मुख्यमंत्री तथा केन्द्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी उद्घाटन कर चुके हैं। इतना ही नहीं इस मार्ग पर करीब चार माह पूर्व टोल भी शुरू कर दिया गया है।
किसानों को सता रहा डर
प्रभावित किसानों का कहना है कि वे इस मामले में वे किसी भी स्तर पर पार्टी नहीं है। मुआवजा निर्धारण करने में भी उनकी कोई भूमिका नहीं है। मुआवज देने तथा निर्धारण का काम सरकार को ही करना है। हर बार मामला भूमि अवाप्ति अधिकारी व नेशनल हाइवे ऑथोरिटी के बीच अटक जाता है। हर बार सुनवाई होती है लेकिन नेशनल हाइवे ऑथोरिटी आपत्ति लगा देता है। किसानों को इस बार भी यकीन नहीं है कि नेशनल हाइवे ऑथोरिटी (एनएचए) आगामी फैसले पर भी सहमत होगा, उनको इसी बात का डर सता रहा है। किसानों का कहना है कि तीन साल से न तो वे जमीन में बुवाई कर पा रहे हैं न ही उनको मुआवजा मिला है।
फैक्ट फाइल
कांडला से पठानकोट को जोडऩे वाले नेशनल हाइवे 62 के पुननिर्माण का है मामला।
सरकार ने इसके लिए 1अपे्रल 2014 को किसानों की करीब 56.91 हैक्टेयर भूमि अधिग्रहित की थी।
करीब चार सौ किसानों से जुड़ा हुआ है मामला।
नोटिफिकेशन 24 जनवरी 2016 को जारी किया गया।
एडीएम सूरतढ़ ने 10 फरवरी 2016 में 225.89 करोड़ मुआवजे अवार्ड पारित किया।
एनएचए की आपत्ति पर ऑबिटेटर व तत्कालीन जिला कलक्टर ने इसे घटाकर 195 करोड़ कर दिया।
इसी मुआवजे में 26 मार्च 2017 को फिर कटौती करते हुए इसे 139 करोड़ कर दिया गया।
इसी मुआवजे की 28 मार्च 2017 को विधानसभा में भी घोषणा की गई थी।
हाइवे का नेतेवाला से साधुवाली तक करीब 14 किमी काम अभी भी अधूरा।
श्रीगंगानगर शहर के लिए बाइपास का काम करेगा यह हाइवे।
सुनवाई का काम पूरा हो चुका है। 28 अगस्त को फैसला सुना दिया जाएगा। इसके बाद 30 अगस्त को रिपोर्ट नेशनल हाइवे ऑथोरिटी को भेज दी जाएगी। आगे का फैसला वहीं से होना है।
ज्ञानाराम,
जिला कलक्टर, श्रीगंगानगर
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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के 25 अगस्त 17 के अंक में प्रकाशित 

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