बस यूं ही
देखने में आया है कि अधिकतर भारतीय दो ही विधाओं से जुड़े लोगों को हीरो मतलब नायक मानते हैं। एक तो सिनेमा और दूसरा क्रिकेट। सिनेमा में तो जरूर हीरो के साथ हीरोइन का विकल्प है लेकिन महिला क्रिकेट में कोई ख्यात नाम नहीं होने के कारण पुरुषों का ही बोलबाला है। वैसे हर इंसान की फितरत है और उसके मन के किसी कोने में यह बात जरूर दबी होती है कि वह कैसा लगता है। कुछ आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति तो जरूर अपने बारे में खुल कर बता देते हैं लेकिन बहुत से एेसे भी हैं जो स्वभाव से शर्मीले होने के कारण कुछ बता नहीं पाते।
खैर, क्रिकेट व सिनेमा से जुड़े लोगों को आदर्श या हीरो मानने की बात अब तो फेसबुक भी मानने और जानने लगा है। तभी तो दो तीन दिन से एक एप चल रहा है जिसमें किसी सिने कलाकार या क्रिकेटर के साथ शक्ल मिलाई जाती है। शक्ल मिलाने के इस खेल में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। आपको एक लिंक क्लिक करना होता है उसके बाद आपकी एक सामने के फेस के फोटो का चयन करना होता है, बाकी काम फेसबुक पलक झपकते ही कर देता है।
वैसे फेसबुक पर फेक आईडी बनाकर किसी आकर्षक नयन नक्श वाली युवती की फोटो लगाकर ' मैं कैसी लग रही हूं.. ।' का काम भी बदस्तूर चल रहा है लेकिन एप से किसी क्रिकेटर या अभिनेता की शक्ल मिलाने का शगल दो तीन दिन से परवान पर है। फेसबुक से जुड़ा हर दूसरा या तीसरा शख्स यह जानने को बेताब है कि वह कैसा लगता है। कल रात को एक साथी की शक्ल अमिताभ बच्चन से मिली देखी तो अपने भी जिज्ञासा पैदा हो गई। करना क्या था एक क्लिक किया फोटो सलेक्ट की और अपनी भी फोटो अमिताभ से मिला दी गई। आज सुबह से देख रहा हूं। फेसबुक किसी को सचिन तेंदुलकर बना रहा है तो किसी को महेन्द्रसिंह धोनी। किसी को सलमान खान बना रहा है तो किसी को शाहरूख खान। किसी को नवजोतसिंह सिद्ध बना दिया तो किसी को आमिर खान। कोई अक्षय कुमार बना तो कोई कुछ। श्रीमती भी कल से यह सब देख कर रही थी। आखिर उसका भी मन ललचा ही गया। उसने भी वो ही तरीका अपनाया तो परिणाम दीपिका पादुकोण के रूप में सामने आया। खैर, इस तरह की परिणाम जानने की फेहरिस्त बेहद लंबी है। वैसे फेसबुक पर इस तरह के कई एप व लिंक हैं जिनको क्लिक करने से कई तरह के परिणाम सामने आते हैं। हालांकि यह सब एक तरह का मनोरंजन ही है। हकीकत से कोसो दूर फकत मनोरंजन।
देखने में आया है कि अधिकतर भारतीय दो ही विधाओं से जुड़े लोगों को हीरो मतलब नायक मानते हैं। एक तो सिनेमा और दूसरा क्रिकेट। सिनेमा में तो जरूर हीरो के साथ हीरोइन का विकल्प है लेकिन महिला क्रिकेट में कोई ख्यात नाम नहीं होने के कारण पुरुषों का ही बोलबाला है। वैसे हर इंसान की फितरत है और उसके मन के किसी कोने में यह बात जरूर दबी होती है कि वह कैसा लगता है। कुछ आत्मविश्वास से लबरेज व्यक्ति तो जरूर अपने बारे में खुल कर बता देते हैं लेकिन बहुत से एेसे भी हैं जो स्वभाव से शर्मीले होने के कारण कुछ बता नहीं पाते।
खैर, क्रिकेट व सिनेमा से जुड़े लोगों को आदर्श या हीरो मानने की बात अब तो फेसबुक भी मानने और जानने लगा है। तभी तो दो तीन दिन से एक एप चल रहा है जिसमें किसी सिने कलाकार या क्रिकेटर के साथ शक्ल मिलाई जाती है। शक्ल मिलाने के इस खेल में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती। आपको एक लिंक क्लिक करना होता है उसके बाद आपकी एक सामने के फेस के फोटो का चयन करना होता है, बाकी काम फेसबुक पलक झपकते ही कर देता है।
वैसे फेसबुक पर फेक आईडी बनाकर किसी आकर्षक नयन नक्श वाली युवती की फोटो लगाकर ' मैं कैसी लग रही हूं.. ।' का काम भी बदस्तूर चल रहा है लेकिन एप से किसी क्रिकेटर या अभिनेता की शक्ल मिलाने का शगल दो तीन दिन से परवान पर है। फेसबुक से जुड़ा हर दूसरा या तीसरा शख्स यह जानने को बेताब है कि वह कैसा लगता है। कल रात को एक साथी की शक्ल अमिताभ बच्चन से मिली देखी तो अपने भी जिज्ञासा पैदा हो गई। करना क्या था एक क्लिक किया फोटो सलेक्ट की और अपनी भी फोटो अमिताभ से मिला दी गई। आज सुबह से देख रहा हूं। फेसबुक किसी को सचिन तेंदुलकर बना रहा है तो किसी को महेन्द्रसिंह धोनी। किसी को सलमान खान बना रहा है तो किसी को शाहरूख खान। किसी को नवजोतसिंह सिद्ध बना दिया तो किसी को आमिर खान। कोई अक्षय कुमार बना तो कोई कुछ। श्रीमती भी कल से यह सब देख कर रही थी। आखिर उसका भी मन ललचा ही गया। उसने भी वो ही तरीका अपनाया तो परिणाम दीपिका पादुकोण के रूप में सामने आया। खैर, इस तरह की परिणाम जानने की फेहरिस्त बेहद लंबी है। वैसे फेसबुक पर इस तरह के कई एप व लिंक हैं जिनको क्लिक करने से कई तरह के परिणाम सामने आते हैं। हालांकि यह सब एक तरह का मनोरंजन ही है। हकीकत से कोसो दूर फकत मनोरंजन।
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