भारतीय सेना में शामिल होने की हसरत शुरू से रही है। बचपन में पिताजी से कहानियां नहीं बल्कि 1965 व 1971 के युद्धों का वर्णन ही सुनता था। यही कारण रहा कि पिताजी के संस्मरणों ने अनुशासन, देश प्रेम और देशभक्ति के संस्कारों को और अधिक पुष्ट किया। सेना में शामिल होने के लिए कुल जमा दो प्रयास किए लेकिन काम नहीं बना। भले ही सेना में चयन नहीं हुआ लेकिन आज भी सेना के किस्से, सेना की बहादुरी, सेना का जोश तो रोम-रोम में समाया है। तभी तो भारतीय सेना का किसी भी तरह का कोई कार्यक्रम होता है तो खुद को रोक नहीं पाता। पता नहीं क्यों सेना का हर जवान मेरे को अपना सा लगता है। उनके बीच जाकर जो अनुभूति होती है उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। मंगलवार को भारतीय सेना की बीकानेर में दो दिवसीय युद्ध उपकरणों की प्रदर्शनी शुरू हुई। प्रदर्शनी का मकसद प्रमुख रूप से युवाओं को भारतीय सेना के गौरव से अवगत कराना और उनको सेना में जाने के लिए प्रेरित करना ही है। टैंक, तोप, राइफल, मोटार्र, वायरलैस सेट, राडार आदि को करीब से देखा, हालांकि इन सबके नाम पिताजी से कई बार सुन चुका। खैर, प्रदर्शनी देखना मेरे लिए यादगार रहा। सैनिकों से बात कर और उनसे उपकरणों के संबंध में जानकारी हासिल कर मैं खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। मां भारती के सपूतों को मेरा शत-शत सलाम। जिनकी बदौलत हमारी सीमाएं महफूज हैं।
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