मेरे संस्मरण-10
वायरलैस से संदेश था कि बोर्डर पर हालात तनावपूर्ण है, जल्दी से समान पैक करके तत्काल मूव करो। शाम तक खेमकरण सेक्टर के पास तरणताल पहुंचना है। बस फिर क्या था। रात को ही हमने सामान गाडिय़ों में लादा और भोर होने से पहले से रवाना हो गए। हम बड़ी तेजी से गंतव्य की तरफ बढ़ रहे थे। दोपहर तक हम जालंधर पहुंच गए थे। वहां पहुंचते ही आर्मी पुलिस ने हमको रोक दिया। कहने लगे देखो टैंकों से सड़क उखड़ रही है, दिखाई नहीं देता क्या। हमने कहा रुकना नहीं है, आदेश मिला हुआ है। हम किसी मालवाहक ट्रक का इंतजार नहीं कर सकते। हमको हर हाल में शाम तक निर्धारित स्थान पर पहुंचने का आदेश मिला है। आखिरकार एक सीनियर अधिकारी ने हमको आश्वस्त किया कि आपको मालवाहक मिल जाएगा, थोड़ा इंतजार करो।
इसके बाद हमारी फस्र्ट फील्ड रेजीमेंट के जवान व अफसर वहीं रुक गए। थोड़ी देर सुस्ताए। चाय पी और भोजन किया। तब तक मालवाहक आ चुके थे। तय हुआ कि रात को रवाना होकर खेमकरण से पहले हमको पोजीशन लेनी है। बताया गया कि यहीं से लड़ाई शुरू होगी। हमने गाड़ी लगा दी थी और टैंकों ने मोर्चा संभाल लिया। लेकिन अफसरों की नजर में यह सही पोजीशन नहीं थी। फिर कहा गया कि कुछ और आगे चलो। हम बिलकुल खेमकरण के पास पहुंच चुके थे। रात के करीब 9.30 बजे पाकिस्तान ने हमला कर दिया था। धमाके हमारे से कुछ ही दूरी पर ही थे लेकिन उनकी आवाज साफ सुनाई दे रही थी। इतने में सीमावर्ती इलाकों के ग्रामीण बड़ी संख्या में बदहवाश दौड़ते हुए हमारी तरफ आ रहे थे। मवेशियों के झुंड रंभाते हुए भाग रहे थे।
हर तरफ शोर ही शोर था। चीखने-चिल्लाने की आवाजें, महिलाओं एवं बच्चों का रुदन वाकई विचलित करने वाला था। इधर सामने से पाकिस्तानी सेना आगे बढ़ती आ रही थी। हमने अभी घुटने भर तक का गड्ढ़ा (मोर्चा) खोदा था। गोले आकर आजू-बाजू गिरने लगे। हम मोर्चे में मुंह छिपाए बैठे थे। जैसे ही बम फटता, मोर्च में बैठ जाते फिर थोड़ा सिर उठाते। रात भर यही ऊठक-बैठक का क्रम चलता रहा। हमारी पास रात को देखने का या हमले का जवाब देने का विकल्प नहीं था, सिवाय खुद को किसी तरह बचाने का। सुबह करीब पांच बजे पूरी डिवीजन को एक साथ पीछे हटने का आदेश मिला। इस कारण भगदड़ मच गई। इसको ऑर्डर आफ मार्च कहा जाता है। दरअसल, ऐसे समय में पूरी डिवीजन को एक साथ मूव करने को नहीं कहा जाता। हालांकि पीस में बारी-बारी से पीछे हटती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी भगदड़ के चलते पाक को बढ़त बनाने का मौका मिल गया और वह खेमकरण तक आ गया। इसी बढ़त को बाद में पाक के कब्जे के रूप में प्रचारित किया गया, हालांकि पाक का यह बढ़त केवल एक दिन के लिए ही थी। दिन होते ही हमने पलटवार किया और पाकिस्तान को इच्छोगिल नहर तक खदेड़ दिया। हम रात वाले स्थान से भी आगे थे लेकिन कहा गया अब इस नहर से आगे नहीं जाना है।
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