बस यूं ही
वाह। आज तो कमोबेश समूचा देश ही अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति करता नजर आया। विदेशों में भी हमारे योग की धूम रही। वैश्विक पहचान मिलने का यह पहला अवसर था, लिहाजा जोश चरम पर था। काफी दिनों से तैयारियां चल रही थी। पूर्वाभ्यास करवाया जा रहा था। अलसुबह शहर के कई पार्क गुलजार हो गए। मुख्य कार्यक्रम वाले स्थानों के बाहर गाडिय़ों एवं बसों की कतारें इस बात की चुगली कर रही थी कि कितने लोग स्वयं स्फूर्त आए और कितनों को टारगेट के चक्कर में लाया गया। कई जगह तो बड़े मैदानों को नजरअंदाज कर छोटों का इसलिए प्राथमिकता दी गई ताकि उपस्थिति सम्मानजनक दिखाई दे। खैर, योग को लेकर इतना उत्साह था कि बस पूछो मत। कई तो ऐसे सज-धज के आए गोया किसी की बारात में आए हैं। बाकायदा गले में पट्टका डालकर। परिधान देखकर आभास ही नहीं हुआ लोग योग करने आए हैं या देखने। कई जगह तो मातृशक्ति साड़ी में ही व्यायाम करने में तल्लीन थी तो पुरुष साफा, पैंट, शर्ट आदि में भी योगा करते नजर आए। सचमुच क्या नजारा था।
वैसे यह योग बड़ा ही करामाती है। इसके करने से केवल तन-मन ही स्वस्थ नहीं रहता बल्कि इसके नाममात्र से ही कइयों के दिन भी फिर गए। रातोरात सितारे बुलंदी पर पहुंच गए। इस चमत्कारी एवं करामाती शब्द से भला सियासत कैसे अछूती रहती। तभी तो किसी ने इसे गले से लगाया तो किसी को किनारा करने में ही फायदा नजर आया। वैसे भी सियासत में योग की दखल पहले से ही है। यह बात अलग है कि इसके आगे कुछ और शब्द जुड़े हुए हैं। मसलन राजयोग, सहयोग, हठयोग, सर्प योग, कर्मयोग, प्रयोग, ज्ञान योग, जांच आयोग जैसे न जाने कितने ही ऐसे शब्द हैं, जिनका सियासत के गलियारों में बहुतायत में उपयोग होता है। और अब तो योग एवं सियासत का रिश्ता इतना प्रगाढ़ हो गया है कि फेविकोल का जोड़ भी पानी भरने लगे तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
बहरहाल, योग के प्रति इतना लगाव देखकर कहा जा सकता है कि देश का भविष्य उज्ज्वल है। वैसे भी पहला सुख निरोगी काया को माना गया है। और काया निरोगी तभी रहेगी जब योग करेंगे। योग को लेकर कई तरह के जुमले भी तो हैं, जैसे कि योग भगाए रोग, करो योग रहो निरोग... आदि आदि। वाकई वो सब बधाई के पात्र हैं जो कीमती समय में कुछ समय निकालकर योग करने पहुंचे। चाहे कैसे भी पहुंचे। पहली बार योग से रूबरू होने वालों ने आज जोश में कसरत की खूब जोर आजमाइश की। ऐसे लोगों से सलाह है कि वे या तो अब नियमित योग करें अन्यथा कोई दर्द निवारक दवा जरूर खरीद कर रख लें क्योंकि कसरत करने से हरकत में आई मांसपेशियां कब बगावत कर अकड़ जाए इसकी कोई गारंटी नहीं है। अब आप भी आंख बंद करके धीरे-धीरे सांस अंदर खींचिए। थोड़ी देर रुके और वापस सांस को बाहर छोडि़ए। यह प्रक्रिया तब तक दोहराते रहे जब तक योग जन-जन तक ना पहुंच पाए। क्योंकि चाहे राष्ट्रीय दिवस हो या विश्व दिवस। उनका जोश केवल एक दिन ही रहता है। योग के साथ तो कम से कम ऐसा न हो। सियासत करने वाले भले ही करें अपने लिए तो योग काया को निरोगी रखने का कारगर नुस्खा भी है। सभी को योग दिवस की खूब सारी बधाई।
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