मिल रहे हैं चोर साहूकार अब।
पालते अपराधी को दरबार अब।
पालते अपराधी को दरबार अब।
आदर्श-नैतिकता बने दिखावा,
केवल कुर्सी का कारोबार अब।
केवल कुर्सी का कारोबार अब।
अवसरवाद की सारी कहानी,
बेमेलों से बनती सरकार अब।
बेमेलों से बनती सरकार अब।
महंगाई पर साधे हैं चुप्पी,
सरोकारों से है इनकार अब।
सरोकारों से है इनकार अब।
विकल्प सही मिले तो कैसे
पैसा है सबका आधार अब।
पैसा है सबका आधार अब।
सपना सुराज का दोस्तो,
होता नहीं साकार अब।
होता नहीं साकार अब।
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