Wednesday, December 28, 2016

लापरवाही का करंट

 टिप्पणी

बीकानेर संभवत: प्रदेश का इकलौता शहर होगा, जहां रखरखाव के नाम पर साल भर शहर के विभिन्न हिस्सों में तीन से चार घंटे तक की विद्युत कटौती की जाती है। सर्दी-गर्मी या बारिश कैसा भी मौसम हो विद्युत निगम का रखरखाव का काम उपभोक्ताओं को होने वाली पीड़ा को दरकिनार कर अनवरत चलता रहता है। इतना कुछ होने के बाद भी सुधार दिखाई नहीं देता है। रखरखाव के नाम पर कटौती का दंश झेलने वाला उपभोक्ता भी आश्वस्त नहीं दिखता है। हालात जस के तस हैं। मौसम में हल्का सा परिवर्तन होने पर ही उपभोक्ता बिजली गुल होने की आशंका में सहम जाते हैं। उनकी यह आशंका सही भी साबित होती है। शहर में थोड़ी सी हवा चले या फिर हल्की बूंदाबांदी हो, बिजली गुल होना आम है। चिंता का विषय यह है कि बारिश के मौसम में लोग घर से बाहर निकलते हुए भी डरते हैं। डर की वजह है कई जगह करंट प्रवाहित होना। पिछले साल बारिश के मौसम में करंट से कई जगह गोवंश काल कलवित हुआ। जनहानि भी हुई। शुक्रवार को भी मामूली बारिश के बाद शहर में कई जगह प्रवाहित हुआ लापरवाही का करंट आधा दर्जन से ज्यादा गोवंश के लिए जानलेवा साबित हुआ। गंभीर बात तो यह है कि करंट की घटनाएं भी एक साथ कई जगह हुई हैं। इसी से विद्युत निगम की कार्यप्रणाली का अंदाजा लगाया जा सकता है। आखिर कब तक यह करंट दौड़ता रहेगा? कब तक जनहानि करता रहेगा? कब तक रखरखाव के नाम पर कटौती होती रहेगी? इन सवालों के साथ बड़ा सवाल यह भी है कि कटौती के नाम पर उपभोक्ताओं को राहत देने में विद्युत निगम नाकाम क्यों है। क्या यह सेवा में कमी नहीं है? क्या यह उपभोक्ताओं के हितों से खिलवाड़ नहीं है? क्या यह लोगों को सीधे-सीधे मौत के मुंह में धकेलने जैसा नहीं है?
बहरहाल, निगम का यह रखरखाव जांच का विषय है। इसकी पड़ताल जरूरी है। इतना समय एवं पैसा खर्च करने के बाद भी हालात संतोषजनक नहीं है तो जरूर कहीं न कहीं लापरवाही है। गड़बड़ है। गफलत है। और यह लगातार हो रही है। रखरखाव के साथ प्रतिकूल मौसम में बिजली गुल होना उपभोक्ताओं पर दोहरी मार के समान है। यह सही है कि प्रतिकूल मौसम में विद्युत आपूर्ति सुचारू रखना विभाग के लिए चुनौती है लेकिन उपभोक्ताओं को भी तो ऐसे समय में ही विद्युत की जरूरत ज्यादा होती है। सामान्य परिस्थितियों में आपूर्ति सुचारू रखना कोई बड़ी बात नहीं है। विभाग को इस चुनौती को स्वीकारना चाहिए कि ना कि उसको मजबूरी बताकर अपनी कमी को छिपाना चाहिए। जहां-जहां करंट की शिकायतें हैं, उनको प्राथमिकता से हल करना चाहिए। साथ ही ऐसी कोई ठोस कार्ययोजना बने ताकि इस रखरखाव के खेल से आम उपभोक्ताओं को राहत मिले।

राजस्थान पत्रिका बीकानेर के 06 मार्च 16 के अंक में प्रकाशित....

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