Wednesday, December 28, 2016

ख्याल

मेरी 20वीं कहानी

बड़ी हिम्मत जुटाकर तथा किसी की मौत पर बैठने के बहाने से वह मीडिया कार्यालय आई थी। परिधान से वह किसी संभ्रांत परिवार की लग रही थी लेकिन चेहरे के हाव भाव से जाहिर हो रहा था कि किसी न किसी बात को लेकर वह परेशान जरूर है। वह ससुराल पक्ष से परेशान थी, और मदद के लिए कोई रास्ता नहीं सूझा रहा था। किसी ने मीडिया कार्यालय जाने की सलाह दे दी तो चली आई। उसने रोते हुए अपनी बात रखी। इसकी हालत देखकर वहां मौजूद सभी लोगों के मन उसके प्रति सहानुभूति के भाव थे। वह कहने लगी कि बस उसका पति लाइन पर आ जाए। उसका कहा मान ले। पुलिस अगर इस मामले मेंवकार्रवाई करे तो उसके पति को सद्बुद्धि आ सकती है। एक खबरनवीश का दिल पसीजा और उसने तत्काल पुलिस थाने का फोन लगाया और महिला की मदद करने की बात कही। लगे हाथ महिला की बात भी पुलिस अधिकारी से करवा दी। वह बड़ी गंभीरता के साथ सर, सर कहते हुए सवालों के जवाब दे रही थी। आखिर में उसके चेहरे के भाव कुछ बदले। वह बोली, नहीं सर, अभी नहीं आप कार्रवाई दो चार दिन बाद रुक कर करना। अभी मेरी बड़ी सास का निधन हो रखा है। ऐसे माहौल में पुलिस का हस्तक्षेप अच्छा नहीं लगेगा। वहां मौजूद लोग महिला का जवाब सुनकर चौंक गए। सब के मन में सवाल कौंध रहा था कि कैसी महिला है। प्रताडऩा की शिकार है, कार्रवाई भी चाहती है लेकिन परिवार की प्रतिष्ठा का ख्याल भी है। सब सोच में डूबे थे।

No comments:

Post a Comment