Wednesday, December 28, 2016

देशभक्त......2



आखिर देशभक्त है कौन? यह सवाल मौजूदा दौर में बहुत मौजूं हो गया हैं। सरकार की आलोचना करने वाले देश भक्त हैं या सरकार का समर्थन करने वाले। सेना की सर्जिकल स्ट्राइक पर विश्वास करने वालों को देशभक्त कहें या सेना की कार्रवाई के सबूत मांगने वालों को। युद्ध के समर्थक देशभक्त हैं या युद्ध न चाहने वाले। पाकिस्तानी कलाकारों के पक्ष में आवाज उठाने वाले देशभक्त हैं या उनका विरोध करने वाले। सचमुच इतना घालमेल हो गया है कि तय करना ही मुश्किल हो रहा है कि आखिरकार देशभक्त है कौन? मजे की बात देखिए देशभक्तों की यह फौज यकायक खड़ी हो गई है। तरह तरह के इन देशभक्तों के पास अपने अपने तर्क एवं दलीलें हैं। इतना ही नहीं आपने अपने समर्थन में भी कहीं कुछ कह दिया तो आपकी खैर नहीं। आपसे सहमत नहीं होने वाले देशभक्त आप पर इस तरह से टूट पडेंगे कि पीछा छुड़ाना मुश्किल हो जाता है। विशेषकर सोशल मीडिया पर इस तरह की बहस चरम पर है। युद्धोन्माद की तो बस पूछिए ही मत। ऐसे में मेरे को फिर वही देशभक्ति वाला जुमला याद आ रहा है। वाकई इस नई तरह की देशभक्ति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। सोच सोच कर दिमाग का दही हुआ जा रहा है। क्योंकि यह देशभक्ति हौसला बढ़ाने वाली नहीं बल्कि चिंता की वजह बन रही है। विडम्बना देखिए देश एक, संविधान एक, लेकिन देशभक्ति अलग-अलग। अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग की तरह...।

No comments:

Post a Comment