Wednesday, December 28, 2016

प्रतिमाओं की पुकार

 टिप्पणी 

भई वाह! यह तो कमाल ही हो गया! समझ नहीं आ रहा, हम इस हालात पर हंसे, हंगामा करें या किसी तरह की कोई शिकवा-शिकायत। हमें पहचानों शहरवासियों, हम कोई गैर नहीं बल्कि आपके शहर के प्रमुख चौक-चौराहों पर लगी वो प्रतिमाएं हंैं, जिनको आप लोगों ने लगभग बिसरा दिया है। हम में से कोई क्रांतिकारी है तो कोई शहीद। कोई संविधान निर्माता है तो कोई राष्ट्रपिता। कोई श्रीगंगानगर का संस्थापक है तो कोई राजनेता। आप लोगों ने अपनी जरूरतों के हिसाब से समय-समय पर हमारी प्रतिमाओं को चौक-चौराहों पर स्थापित तो करवा दिया लेकिन अब हमारी परवाह किसी को नहीं। जन्मदिवस या पुण्यतिथियों की बात छोड़ दें तो बता दीजिए आप हमें याद करते ही कब हो। हां, चुनाव का मौसम होता है तब तो नेताओं को हमारी बहुत याद आती है। हम सबके प्यारे हो जाते हैं। कोई हमारे काम पर तो कोई नाम पर चुनाव लड़ता है। कोई तो हमारी शहादत तक को भुनाने से नहीं चूकता। खूब सियासत होती है हमारे नाम पर। हमारे सहारे सियासी फायदे एवं नुकसान तक खोजे जाते हैं।
खैर, आप सब जानते हो यहां के सद्भाव की, समृद्धता की व सपंन्नता की बात-बात पर मिसालें दी जाती हैं। सच-सच बताना, कितनी खुशी होती है यह सब सुनकर। यकीनन छाती गर्व से चौड़ी हो जाती है। जब इस तरह की खासियत, इस तरह की आत्मीयता, इस तरह का अपनापन, इस तरह की इंसानियत, इस तरह का सेवाभाव यहां है तो फिर हमसे ही यह बेरुखी क्यों? यह उपेक्षा क्यों? यह भेदभाव क्यों? अरे आप ही तो हो जो सालासर या रामदेवरा जाने वाले पदयात्रियों की सेवा में दिन-रात एक कर देते हो। नर को नारायण मानकर उनकी सेवा करते हो। अटूट लंगर व छबीलें लगाते हो। इस तरह की सोच व जज्बा रखने वाले लोग हो तो फिर हमको इस तरह लावारिस मत बनाओ। हम भी आपके अपने ही हैं।
हां हम इतना जरूर जानते हैं कि सियासी लोगों ने हमारा बहुत फायदा उठाया है। अब भी उठाते हैं। यहां के जिम्मेदार अधिकारी एवं जनप्रतिनिधि तो पता नहीं किस नींद में गाफिल हैं। दूरदर्शिता का अभाव कहें या उनकी आपस की नूराकुश्ती, इन लोगों ने तो शहर को बदहाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। ऐसे अधिकारी व जनप्रतिनिधि हमारी सुध लेंगे भी क्या?
हमको उम्मीद की किरण केवल और केवल यहां के सेवाभावी लोगों व युवाओं में ही नजर आती है। आप लोगों में सेवा का जज्बा है। श्रीगंगानगर का स्थापना दिवस आने वाला है। आप सब इस पुनीत मौके पर यह संकल्प जरूर लें कि आप न केवल समय-समय पर प्रतिमाओं की खैर-खबर लेंगे बल्कि इनके मान-सम्मान का भी पूरा ख्याल रखेंगे। यकीन मानिए आप लोगों ने यह सब कर दिखाया तो श्रीगंगानगर की ख्याति में चार चांद लग जाएंगे।

राजस्थान पत्रिका श्रीगंगानगर संस्करण के 22 अक्टूबर 16 के अंक में प्रकाशित ...

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