टिप्पणी
नि:संदेह यह बदलाव की बयार है। यह बयार है नेतृत्व करने की। सकारात्मक सोच के साथ अपनी बात मुखरता से रखने की तथा उसे पूरा करवाने की। यह एक नई सुबह है, जागृति का नया बिगुल फूंकने की और जनजागरण की। यह सुखद पहल है, शासन-प्रशासन को कठघरे में खड़ा करने की। उनसे जवाबदेही तय करने की। बदलाव का यह बीड़ा उठाने वाले उत्साही एवं ऊर्जावान युवा हमारे ही शहर बीकानेर के हैं। इन युवाओं की नई सोच, नई राह दिखाती है, उम्मीद की किरण जगाती है। बीकानेर का युवा जंग लगी व्यवस्थाओं को ठीक करने/ करवाने का माद्दा रखता है। वह शहर की चिंता करता है। जनहित के लिए आगे आता है। युवाओं को एकजुटता के सूत्र में पिरोने की पहल करता है। हालिया उदाहरणों से यह जाहिर भी हुआ है कि बीकानेर का युवा अब मुखर हो रहा है। बदहाल यातायात हो, चाहे पीबीएम की पटरी से उतरी व्यवस्थाएं। उजड़े पार्क हो चाहे, तकनीकी विवि का मसला। बीकानेर का युवा भली भांति जान चुका है कि पुराने नेतृत्व के भरोसे अब नहीं रहा जा सकता। युवाओं की ऐसी ही नई पहल से यह लगने लगा है कि बीकानेर का आने वाला कल उजला है। इसके परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। काम करने का जज्बा और जागरूकता की ज्योत इसी तरह प्रज्ज्वलित होती रही तो यकीनन न केवल शहर का भला होगा बल्कि कुंद पड़े विकास कार्यों को भी गति मिलेगी।
स्वामी विवेकानंद जयंती यानी राष्ट्रीय युवा दिवस के उपलक्ष्य में राजस्थान पत्रिका की ओर से बीकानेर की समस्याएं और समाधान विषय पर आयोजित परिचर्चा में शहर के युवाओं ने जिस बेबाकी व जोश के साथ अपने विचार साझा किए वो काबिलेतारीफ हैं। युवा दिवस पर युवाओं ने जो संकल्प लिया वह नि:संदेह विकास की नई इबारत लिखने में सहायक होगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि 'युवा वह है जो अनीति से लड़ता है। जो दुर्गुणों से दूर रहता है। जो काल की चाल को बदल देता है। जिसमें जोश के साथ होश भी है। जिसमें राष्ट्र के लिए बलिदान की आस्था है। जो समस्याओं का समाधान निकालता है। जो प्रेरक इतिहास रचता है तथा जो सिर्फ बातों का बादशाह नहीं बल्कि करके दिखाता है। यकीनन यह सारी बातें बीकानेर के युवा में है। जरूरत है कि वह शहरहित एवं राष्ट्रहित के लिए रचनात्मक काम करे।
अगर आगाज अच्छा है तो यकीनन अंजाम भी परिणाममूलक ही होगा। उम्मीद है बीकानेर का युवा स्वामी विवेकानंद के उन विचारों से और अधिक प्रेरणा लेगा, जब उन्होंने कहा था कि ' सभी कमजोरी, सभी बंधन मात्र कल्पना है। कमजोर ना पड़ें। मजबूती के साथ खड़े हो जाओ। शक्तिशाली बनो। आपके भीतर अनंत शक्ति है। उठो जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए। क्योंकि 'आप जैसे विचार करेंगे, वैसे आप हो जाएंगे। अगर अपने आपको निर्बल मानेंगे तो आप निर्बल बन जाएंगे और यदि आप अपने आपको समर्थ मानेंगे तो आप समर्थ बन जाएंगे। जागरूकता की मशाल रोज रोशन रहे इसलिए जरूरी है कि हर दिन को युवा दिवस माना जाए।
राजस्थान पत्रिका बीकानेर में 13 जनवरी 2016 को प्रकाशित।
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