बस यूं ही
यह तो सभी जानते हैं कि अपनी हाजिर जवाबी और हास्य के लिए हरियाणा का कोई जवाब नहीं है। यहां हास्य बात-बात में है। लेकिन एक और बात है जो हरियाणा को सबसे अलग करती है, वो है यहां के अजीबोगरीब फरमान। यहां के फरमान अक्सर सुर्खियों में ही रहते हैं। हालांकि फरमान के मामले में हरियाणा का पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश भी चर्चा में रहता आया है। खास बात यह है कि फरमान जारी करने में अधिकतर पंचायतों के नाम ही सामने आते रहते हैं। पंचायतों के फरमान विशेषकर पहनावे एवं संस्कारों पर केन्द्रित होते हैं। प्रेम विवाह करने वालों के प्रति भी पंचायतों का रुख हमेशा कड़ा ही रहा है। इस बार का फरमान चर्चाओं में इसीलिए है क्योंकि इसे किसी पंचायत ने जारी नहीं किया। बाकायदा यह सरकारी फरमान है और सर्वाधिक जागरुक माने जाने वाले शिक्षा जगत से जुड़ा हुआ है। यह अध्यापकों पर लागू होगा। हरियाणा के मौलिक शिक्षा निदेशालय ने कहा कि प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूलों में अध्यापकों का जींस पहनकर आना वाजिब नहीं है, इसलिए अध्यापक सामान्य कपड़े पहनकर ही स्कूल आएं। बात यहीं तक खत्म नहीं होती। अध्यापकों को यह भी कहा गया है कि वे मौलिक शिक्षा निदेशालय आएं तो भी जिन्स ना पहनें। इस सरकारी फरमान को लेकर हरियाणा के साथ-साथ समूचे देश में एक नई बहस छिड़ी हुई है, हालांकि हरियाणा में अजीबो गरीब फरमानों की फेहरिस्त लंबी है। महज अंतर इतना है कि इस बार किसी पंचायत का ना होकर सरकारी है। वैसे हरियाणा एवं यूपी के कुछ अजीबोगरीब फैसलों पर नजर डालेंगे कभी हंसी के फव्वारे छूटंेगे तो कभी आश्यर्य से आंखें फटी की फटी रह जाएंगी। पिछले साल हरियाणा के फरीदाबाद में दुष्कर्म के एक आरोपी पर 50 हजार रुपए जुर्माना तथा पांच जूते सार्वजनिक रूप से मारने का फरमान जारी हुआ था। इसी तरह यूपी के बागपत के बावली गांव में लड़कियों के जीन्स पहनने पर पाबंदी लगा दी गई थी। फरमान का उल्लंघन करने वाले परिवारों का बहिष्कार का एेलान कर दिया गया। यूपी के ही निगोहां में एक महिला के शादी के तीन साल तक बच्चा नहीं हुआ तो पंचायत ने शादी खत्म कर पति-पत्नी को अलग-अलग रहने का फरमान सुना दिया। इसी तरह यूपी के मुजफ्फरनगर व सहारनपुर के दस गांवों में लड़कियों के मोबाइल उपयोग करने तथा जींस व टीशर्ट पहनने पर रोक लगा दी गई थी। यूपी व हरियाणा से इतर महाराष्ट्र के महिला मोर्चा का एक फरमान भी अच्छा खासा चर्चा में रहा था। नवी मुंबई के गोथीवाली में महिलाओं के नाइट गाउन या मैक्सी पहनकर बाहर जाने पर रोक लगा दी गई थी। फरमान न मानने पर पांच सौ रुपए जुर्माने का प्रावधान भी रखा गया था। यूपी के बाबूगढ़ में जारी किए गए एक फरमान ने तो सोचने पर मजबूर कर दिया। यहां एक विवाहिता अपने प्रेमी के साथ भाग गई तो पंचायत ने फैसला सुनाया कि विवाहिता का पति प्रेमी की पत्नी को अपने साथ रख ले। हरियाणा एवं पंजाब के एक समाज ने महिलाओं के डीजे के आगे नाचने पर प्रतिबंध लगा दिया। फरमानों की इस सूची का कोई अंत नहीं है। इसमें कई तरह के हास्यास्पद तो कई आश्चर्यजनक फरमान हैं। रोहतक में दस साल से ऊपर के लड़कियों के सलवार कमीज पहनने का मामला हो चाहे, एक गौत्र में शादी करने वालों को गांव से दूरी बनाने का फरमान। या फिर गौत्र की लड़की से शादी करने वाले को उसको बहन मानकर दस रुपए शगुन देने का फैसला। इस तरह एक से एक फरमान हैं। खैर, यह सभी फरमान पंचायतों की ओर से जारी किए गए हैं लेकिन ताजा फरमान सरकारी है और अध्यापकों से जुड़ा है, इसलिए बवाल मचना तय मानिए। वैसे समय के साथ कदमताल कर रहे देश में इस तरह के बेतुके फरमान बेमानी हैं।
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