Monday, August 17, 2020

यह सोलहवां भी है कमाल-1

बस यूं.ही
'सोलह बरस की बाली उम्र को सलाम, एे प्यार तेरी पहली नजर को सलाम'.... कमल हासन व रति अग्निहोत्री अभिनीत फिल्म एक दूजे के लिए फिल्म का यह गाना आपने भी कभी कहीं न कहीं तो सुना ही होगा। मैं तो इस गाने को न जाने कितनी ही बार सुन चुका हूं। फिल्म का तो कहना ही क्या। आज ही एफएम पर सुना तो फिर सोचा क्यों न आज सोलह पर ही कुछ लिखा जाए। वैसे सोलहवें साल की उम्र किशोरावस्था से जवानी के बीच का समय है। विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण का पौधा अक्सर इसी साल में प्रस्फुटित होता है। इसलिए कहा भी जाता है कि सोलहवां साल बड़ा संगीन होता है। फिर भी फिल्मी दुनिया में सोलहवें साल को बड़ी तवज्जो दी गई है। 1980 में आई ऋषिकूपर व नीतूसिंह की फिल्म कर्ज का गाना 'मैं सोलह बरस की तू सत्रह बरस का, मिल जाए नैना, एक दो बरस जरा दूर रहना'... तो अपने जमाने में युगलों का आदर्श गीत था। आज भी यह गीत कहीं बजता है तो उस दौर के युवा इसको गुनगुनाने से खुद को रोक नहीं पाते हैं। इसी तरह नब्बे के दशक में सलमान की फिल्म आई थी सनम बेवफा। इसमें एक गाना था 'बेइरादा नजर मिल गई तो, मुझसे दिल वो मेरा मांग बैठे'....इसी गीत के आखिरी अंतरें की पहली लाइन 'सोलह सावन हो जाए पूरे तब कहीं जाकर नजरें मिलाना'....भी सोलह की उम्र की ओर इशारा करती है। लोहा फिल्म का गाना 'पतली कमर लंबी बाल, हाय रे अल्लाह उस पे मेरी उम्र सोलह साल'.. में भी सोलह का जिक्र है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है सोलहवें साल को लेकर फिल्मी गीतकारों ने बेहद संजीदा होकर गीत लिखे हैं, उनसे कम कवि व शायर भी नहीं रहे। इस आधार पर कहा जा सकता है सोहलवां साल मासूम भी है, संगीन है और नामसझ भी है। खैर, बात सोलह उम्र की क्यों? सोलह का जिक्र तो बहुत सारी जगह है। लोग अक्सर किसी सच्चे आदमी की मिसाल देते हैं तो कहते हैं, वो आदमी तो सोलह आने खरा है। इसका मतलब यही होता है कि आदमी सच्चा है। चार आना मतलब पच्चीस पैसा तो आठ आना पचास पैसा। इस तरह सोलह आना मतलब सौ पैसा और सौ पैसे का एक रुपया, तो सोलह आने खरा का मतलब शत-प्रतिशत शुद्ध। हालांकि मैंने आने-दो आने वाला दौर तो नहीं देखा लेकिन चार आना, आठ आना, बारह आना आदि से खूब वास्ता पड़ा है। सोलह से याद आया कि संस्कार भी तो सोलह ही होते हैं। हिन्दू धर्म मे सोलह संस्कारों का बड़ा महत्व है। मनुष्य के गर्भाधान से लेकर अंतिम संस्कार तक यह सोलह संस्कार होते हैं। पहले से सोलहवें तक के संस्कार देखें तो गर्भाधान, पुंसवन, सीमन्तोन्नयन, जातकर्म, नामकरण, निष्क्रमण, अन्नप्राशन, चूड़ाकर्म, विद्यारंभ, कर्णवेध, यज्ञोपवीत, वेदारंभ, केशांत, समावर्तन, विवाह और अन्त्येष्टि। इन सोलह संस्कारों में जीवन दर्शन छिपा है। सोलह की यह चर्चा जारी है।
क्रमश

No comments:

Post a Comment