Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना- 28

बस यूं.ही..

मजदूरों की चर्चा के बाद अब बात सूचना एवं प्रोद्यौगिकी की कर ली जाए। देश में जिस दिन से कोरोना ने दस्तक दी उसके कुछ दिन बाद यानी के दो अप्रेल को एक एप आया। आरोग्य सेतु नामक इस एप को मोबाइल में डाउनलोड करने के लिए बहुत अपीलें हुई। प्रचार-प्रसार भी खूब हुआ। सरकारी एप है, लिहाजा लोगों ने इसको धड़ाधड़ डाउनलोड किया। आलम यह है कि गूगल प्ले स्टोर पर जाकर देखते हैं तो इस एप को अभी तक सौ मिलियन से ज्यादा लोग डाउनलोड कर चुके हैं। खुद एप पर सबसे ऊपर जानकारी आती है कि 10.74 करोड़ भारतीय इस एप का इस्तेमाल कर रहे हैं। वैसे यह सभी के लिए उपयोगी हैं लेकिन केंद्र सरकार के अधीन काम करने वाले कर्मचारियों के लिए इसे अनिवार्य भी किया गया है। बताया जा रहा है आरोग्य सेेतु से कोरोना से संक्रमित मरीजों व इलाके चिन्हित करने में बड़ी मदद मिली है। दावा तो यह भी है कि इस एप की मदद से अपने आसपास के कोविड 19 मरीज़ के बारे में जानकारी हासिल की जा सकती है। मैंने भी जब यह एप लांच हुआ था, उसके दो चार दिन बाद डाउनलोड कर लिया था। इस पर लिखा आता है 'आप सुरक्षित हैं।' तो यकीन मानिए बड़ा सुखद एहसास होता है। एप में कई तरह की जानकारी है, यह बताता है कि मेरे पांच सौ मीटर के दायरे में करीब सोलह सौ लोग इस एप के उपयोगकर्ता हैं। इसी तरह एक किलोमीटर की परिधि में पांच हजार से ज्यादा लोग इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। दो किलोमीटर में यह संख्या सोलह हजार के करीब है तो पांच किमी में 81 हजार से ज्यादा। दस किलोमीटर में इलाके में एक लाख 63 हजार उपयोगकर्ता हैं। पांच सौ मीटर एवं एक किमी में यह एप कोरोना संक्रमित नहीं बता रहा है लेकिन दो किमी की दूरी पर दो संक्रमित बता रहा है। इसी तरह पांच किमी की दूरी पर 80 तो दस किमी की परिधि में 132 कोरोना संक्रमित दर्शा रहा है। यह बात मैं जोधपुर की बीएजेएस कॉलोनी में बैठकर कर रहा हूं। स्वाभाविक सी बात है अलग- अलग जगह पर यह संख्या कम ज्यादा होगी। बहरहाल, अब बात एप पर पूछे जाने वाले सवालों की करते हैं। सबसे पहले पूछा जाता है कि आप किन लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं, मसलन, खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत या इनमें से कोई नहीं। इस सवाल से आगे बढते हैं तो अगला सवाल आपको कभी निम्न रोग में कुछ हुआ है। मधुमेह, उच्च रक्तदाब या हाइपरटेंशन, फेफड़ों की बीमारी, दिल की बीमारी या इनमें से कोई नहीं। इससे आगे बढते हैं तो अगला सवाल आता है आपने 28-45 दिनों में कोई विदेश यात्रा की है। नीचे हां या नहीं के दो विकल्प हैं। इसके बाद अगला सवाल है कौनसा विकल्प आप पर लागू होता है। मसलन, आप कोरोना संक्रमित के साथ रहे हैं, आप स्वास्थ्य कर्मचारी हैं या इनमें से कोई नहीं। अगर आपने मेरी तरह कोई नहीं जवाब दिया है तो आखिर में मैसेज आएगा आपका संक्रमण का जोखिम है। खैर, अपने स्वास्थ्य का टेस्ट करके मुझे संतुष्टि मिल गई लेकिन मैं अनजाने में किसी कोरोना संक्रमित से मिल आया, जिसका पता न उसको न मुझे तो फिर मैं कैसे आश्वस्त हो जाऊं कि मैं संक्रमित नहीं हूं। दरअसल, यह वहम है लेकिन इसको दूर करने का यह संतोषप्रद जवाब भी तो नहीं है। दो चार दिन पहले की बात है झुंझुनूं के साथी ने एफबी पर पोस्ट किया कि एप में उनके दो किलोमीटर की परिधि में कोरोना संक्रमित होने का संकेत मिल रहा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या इसको सही माना जाए? और अगर सही नहीं है तो इस शंका का समाधान कैसे हो?
झुंझुनूं जैसी समस्या एक दो जगह और भी सुनने को मिली। अखबार में भी खबरें आईं, लेकिन विशेषज्ञों की दलील है कि एप इस्तेमाल करने वालों ने कोई डाटा या अपनी कोई जानकारी या लोकेशन सही नहीं भरी होगी, इसलिए एेसा आ रहा है। खैर, सही गलत की बहस में अपन नहीं फंसते हैं। हां हर विषय की तरह आरोग्य सेतु भी जुमलों से अछूता नहीं बचा। कल ही मोबाइल पर किसी ने व्हाटसएप किया। मैं एेसे लोगों के दिमाग को मन ही मन दाद दे रहा था, आखिर यह लोग किसी को भी नहीं बख्शते। मैसेज था 'अब ये आरोग्य सेतु भी ना जले पर नमक छिड़क रहा है। लॉक डाउन हुए दो माह के करीब हो गए, लेकिन पूछता है पिछले 14 दिन में कोई विदेश यात्रा की? अबे ढक्कन 54 दिन से पड़ोस यात्रा नहीं हुई है और तू विदेश यात्रा की पूछ रहा है।' हालांकि एप में अब यह सवाल 28-45 दिन की अवधि में है। हो सकता है कि जब यह जुमला बना तब सवाल में 14 दिन का उल्लेख हो। खैर, इन सब से यह तो तय है कि संकट कैसा भी हो देश में जुमले बनते रहेंगे और लोग जुमलों पर झूमते रहेंगे। कोरोना की तो औकात ही क्या है।
क्रमश:

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