Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना- 35

बस यूं.ही

मास्क हटाकर छींकने से याद आ गया, मास्क भी तो एक तरह का नकाब ही है। अंतर इतना ही है कि नकाब में पूरे चेहरे को ढंका जाता है और सिर्फ आंखें ही दिखती हैं जबकि मास्क से नाक व मुंह को ढंका जाता है। विडम्बना देखिए कुछ समय पहले तक पुलिस नकाब हटवाने की कार्रवाई करती थी और अब बिना मास्क के दिखाई देने पर जुर्माना लगाती है। तभी तो कहा गया है कि वक्त-वक्त की बात है। यह भी संयोग है कि नकाब से भी चेहरा पहचान में नहीं आता और मास्क से भी, इसलिए नकाब या मास्क में ज्यादा कोई अंतर नहीं है। वैसे मास्क भी सोशल मीडिया के जुमलों से अछूता नहीं बचा है। इस पर काफी मजाकिया चुटकुले बन चुके हैं। एक दो पर गौर फरमाइए, 'बीवी की, शॉपिंग बन्द, मॉल जाना बंद, फिल्म की फरमाइश बन्द, आउटिंग की फरमाइश बन्द, बाहर खाना बंद और सबसे बड़ी बात कि मुंह पर मास्क का ताला लगाए फिरने से दिन भर की चिक चिक बन्द। वाह रे कोरोना तुम भी क्या कमाल की चीज हो, तुमने वो कर दिखाया जो अच्छे अच्छे ना कर सके।' दूसरा देखिए ' आज बाजार में एक अनजान स्त्री ने मेरा हाथ पकड़कर पूछा, अजी सुनते हो, सब्जी कौनसी लूं? जब मैंने चेहरे से मास्क को हटाया तो बोली, अई दय्या, हमारे किधर गए? इसीलिए कहता हूं घर पर रहें सुरक्षित रहें वरना आपकी पसंद की सब्जी किसी और घर में बन रही होगी।' एक और जुमला है, हो सकता है कि आपके मोबाइल तक भी आया हो, देखिए, 'महंगे-महंगे ब्रांडेड कपड़े खूंटी पर टंगे रह गए। बिना कंपनी वाला मास्क बाजी मार ले गया।' मास्क पर तो कार्टून तक बन गए हैं। ये दिन दूर नहीं वाला कार्टून याद कीजिए। मॉल में अपनी बेटी के साथ बैठी महिला दुकानदार से कहती है, दुल्हन के लिए अच्छा सा मास्क दिखाइए, पिंक बेस पर पहनेगी। पलटकर दुकानदार कहता है, बिलकुल। अभी लेटेस्ट आया है। गोल्ड वर्क में ढाई हजार तक का चलेगा ना।
वैसे बाजार में डिजाइनर मास्क भी आ गए हैं। साड़ी या सूट पर मैच करने वाले मास्क की रेंज भी बाजार में आने लगे हैं। साधारण से लेकर फैशनेबल मास्क तक उपलब्ध हैं। अब नकाब और मास्क के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा भी हो सकती है। नकाब तो लगभग फैशन का पर्याय ही बन चुका है, विशेषकर हर शहर, हर बाजार में नकाबपोश महिला व युवतियों का मिलना आसान था, लेकिन अब मास्क ने भी दखलदे दिया है, इसलिए स्वाभाविक सी बात है कि नकाब की बिक्री में कुछ कमी भी आ जाए। हां नकाब के साथ-साथ पर्दा, घूंघट या चिलमन आदि को भी मास्क की प्रजाति का माना जा सकता है। हालांकि इनके अर्थ अलग हैं और लगाने, करने या बांधने के तरीके भी दीगर हैं। जैसे पर्दा व घूंघट किया जाता है। नकाब व मास्क बांधे जाएंगे या पहने जाएंगे। इसी तरह चिलमन बांस की तिल्लियों से बना एक रेशमी पर्दा होता है, जिसमें सामने वाला व्यक्ति दिखाई देता भी है और नहीं भी। इस्लाम में भी एक शब्द है हिजाब। हिजाब में बाल, कान, गला और छाती को कवर किया जाता है। इसमें कंधों का कुछ हिस्सा भी ढंका होता है, लेकिन चेहरा दिखता है। हिजाब अलग अलग रंग का हो सकता है। पर्दा, घूंघट, चिलमन, हिजाब, नकाब आदि पर शायरों एवं कवियों ने भी खूब कलम चलाई। कई कालजयी गीत भी बने। 'रुख से जरा नकाब हटा दो मेरे हुजूर' वाला कालजयी गीत तो जन-जन की जुबान पर छाया था। खैर, अब दौर मास्क का है। मास्क के साथ ही जीना होगा।वैसे मास्क की कालाबाजारी के समाचार भी खूब आए तो महिलाओं ने घरों में मास्क बनाकर निशुल्क बांटने का काम भी युद्धस्तर पर किया। यह भी संयोग है कि अभी मास्क पर लिख रहा हूं तो धड़ाधड़ तीन मैसेज भी मास्क के संबंध में ही आ गए। आप मास्क के इन मैसेज का आंनद उठाइए। 'मास्क का सबसे अच्छा उपयोग आज देखने को मिला जब बेटा और पिताजी शराब की एक ही लाइन में लगे थे और एक-दूसरे को पहचान नहीं पाए।' एक मैसेज करने वाले ने तो मास्क का हिन्दी नाम भी बता दिया। पढ़कर मेरे तो पेट में बल पड़ गए। कहता है 'अथक प्रयासों के बाद आखिरकार मास्क की हिंदी मिल ही गई......'मुखलंगोट।' वैसे मास्क का एक हिन्दी नाम कल भी आया था। मेरा दावा है आप एक सांस में इस नाम को पढ़ नहीं पाएंगे। और यदि पढ़ भी लिया तो ठीक से याद नहीं कर पाओगे। अगर आपको हिन्दी से प्रेम है तो इसको बार-बार पढ़ लीजिए ताकि यह याद रह जाए। मास्क का हिन्दी नाम है, ' नाक मुख संरक्षक जीव जंतु रोधक हवा छानक कपड़ा डोरी पट्टी।'
क्रमश:

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