Monday, August 17, 2020

उठाव धीमा, जिम्मेदार कौन?

टिप्पणी

कोरोना महामारी के वैश्विक संकट तथा प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच धरतीपुत्र ने अपनी 'मेहनत के मोती' जैसे-तैसे सहेज तो लिए लेकिन उसके सामने अब नया संकट खड़ा हो गया है। श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ जिले में बेमौसम आई बरसात से किसानों की 'खून-पसीने की कमाई' बर्बाद हो रही है। दोनों जिलों की मंडियों में रखा लाखों मीट्रिक टन बरसात में भीग गया। गेहूं भीगा क्यों? इसको लेकर कोई भी जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है। हालात ये है कि बोरियों में रखा गेहूं भीग कर 'घूघरी' बन चुका है। फिर भी जिम्मेदार नुकसान को ही नकार रहे हैं। वो खुले में पड़े गेहूं के लिए किसान व व्यापारी को ही जिम्मेदार मानते हैं। देखा जाए तो मंडियों में खरीद कार्य में बदइंतजामी व आधी अधूरी तैयारियों के कारण इस तरह के हालात पैदा होते हैं। सवाल यह भी है कि किसान की जिन्स मंडी में खुले में पड़ी है तो उसके लिए जिम्मेदार कौन है? जब पता होता है कि जिन्स की आवक शुरू होने को है तो तैयारियां भी उसी स्तर पर होनी चाहिए। व्यवस्था भी ऐसी हो कि जितनी खरीद हो उतना उठाव भी। किसानों को बारी-बारी से भी बुलाया जा सकता है। फिर अगर किसान बड़ी संख्या में आ रहे हैं तो अतिरिक्त व्यवस्था करनी चाहिए ताकि उनकी जिन्स की न केवल तुलाई हो बल्कि उसको बोरियों में भरकर उठाव भी उसी दिन हो जाए। उठाव के साधन कम हैं तो अतिरिक्त साधन जुटाने चाहिए। देखा गया है कि किसान अपनी जिन्स मंडी तक ले आया और बदइंतजामी के चलते उसकी तुलाई नहीं हुई और बारिश आ गई, तो उसकी मार किसान पर ही पड़ती है, जबकि होना यह चाहिए कि मंडी में जिन्स आने के बाद उसकी सुरक्षा की गारंटी तो मिले। भले ही बारिश आए न आए। भले उठाव हो या न हो। तुलाई हो न हो। और जब मौसम को लेकर अलर्ट था तो व्यवस्था क्यों नहीं की गई। वैसे इस मामले में बड़ी समस्या धीमे उठाव की भी है। हर साल यह समस्या आती है। इसका स्थायी हल खोजना चाहिए। उठाव समय पर हो तो नुकसान कम होगा। वैसे भी नुकसान तो नुकसान है, वो चाहे किसानों का हो, व्यापारियों का हो सरकार का लेकिन नुकसान की ज्यादा भरपाई किसान ही क्यों करें, जो दोषी है उससे क्षतिपूर्ति की जाए। जिंसें खराब होने की वजह खोजी जाएगी तो यकीनन समस्याओं के लिए जिम्मेदार भी सामने आएंगे। ये जिम्मेदार मंडी समिति, खरीद एजेंसियां, स्थानीय प्रशासन या उठाव में अनावश्यक अड़ंगा लगाने वाले हो सकते हैं। या इसके अलावा भी कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उत्तरदायी हो सकता है।
उम्मीद की जानी चाहिए इस नुकसान को सबक के रूप में लेते हुए भविष्य में व्यवस्थाएं चाक चौबंद होंगी ताकि किसी भी स्तर पर न तो कोई समस्या हो और न कोई नुकसान।

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राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगागनर-हनुमानगढ़ संस्करण में 01 जून 20 के अंक में लगी है।

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