Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना-25

बस यूं.ही

दो माह लॉकडाउन में रहने के बाद अब इसके चौथे चरण की घोषणा कर दी गई है। यह 31 मई तक रहेगा। इतने चरणों के बावजूद कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण नहीं हुआ है। आंकड़ों का ग्राफ द्रोपदी के चीर की तरह रोज ही बढ़ रहा है। 17 मई को शाम साढ़े छह बजे यह पोस्ट लिखते वक्त देश में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा 91 हजार को पार कर गया है। पन्द्रह दिन पहले यह आंकड़ा 39 हजार कुछ था। मतलब साफ है बीते पखवाड़े में संक्रमित जिस दर से बढ़े हैं, वो आंकड़ें डराते हैं। महज 15 दिन में आंकड़ा 39 से 91 तक पहुंच गया। मतलब पचास हजार से ज्यादा संक्रमित तो पंद्रह दिन में ही हो गए। परसों ही इंदौर के एक पत्रकार साथी 15 से 15 तक के आंकड़ें बता रहे थे। यही कि 15 मार्च को भारत में 112 मामले थे। 15 अप्रेल को 12 हजार 371 हुए और 15 मई को 82 हजार पार कर गए। आंकड़े बढ़ने की सभी अपने-अपने स्तर पर व्याख्या कर रहे हैं। वजह भी बता रहे हैं लेकिन मेरे जो समझ आया है, वो यह है कि लॉकडाउन में जैसे-जैसे छूट का दायरा बढ़ा है लोगों ने उसी अंदाज में कोरोना को गंभीरता से लेना भी कम किया है। सतर्कता एवं सावधानी में भी कमी आई है। लोगों की मानसिकता ही एेसी है कि वो छूट का मतलब बीमारी का असर कम होना मानने की भूल कर बैठते हैं। जाहिर सी बात है जब तक भय एवं जुर्माने का प्रावधान होगा और उसकी कड़ाई से पालना होगी तभी गंभीरता ज्यादा नजर आएगी। कड़वा सच यह भी है कि भारत में अनुशासित लोग कम हैं। अनुशासन की बात इसलिए भी है कि सरकारी स्तर पर बार-बार नियमों की पालना की बात कही जा रही है फिर भी लोग बेपरवाह हैं। इंदौर वाले साथी ने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की ओर से जारी सलाह को भी मुझे व्हाट्सएप किया। जैसे कि अब दो साल के लिए विदेश यात्रा स्थगित करें। एक साल बाहर का खाना न खाएं। शादी या अन्य समारोह में आपके बिना काम न चले तभी जाएं। अनावश्यक यात्राएं न करें। कम से कम एक साल तक भीड़ वाली जगह पर न जाएं। पूरी तरह से शारीरिक दूरी के मापदंडों का पालन करें। एेसे व्यक्ति से दूर रहें, जिस को खांसी है। फेस मास्क को लगा के रखें। शाकाहारी भोजन को प्राथमिकता दें। इम्युनिटी बढाएं। नाई की दुकान पर या ब्यूटी पार्लर में जाने से बचें। कोरोना का खतरा जल्द खत्म होने वाला नहीं है, इसलिए सावधानी बरतें, सुरक्षित रहें। अगूंठी व कलाई घड़ी न पहनें, इनकी वजह से कोरोना वायरस को छुपने की सुरक्षित जगह मिल सकती है। बाहर जाना जरूरी हो तो रुमाल की जगह पर्याप्त मात्रा में सेनिटाइज किया हुआ टिशू पेपर लेकर चलें। बाहर से आने के बाद जूते बाहर रखें। बाहर से घर आकर अपने हाथ और पैर साफ करें। जब आपको लगे कि आप एक संदिग्ध रोगी के निकट आ गए हैं तो पूरी तरह से स्नान करें। इस तरह से कुल 17 बिन्दु हैं। मानकर चलें इनकी पालना करेंगे तभी हम सुरक्षित रह पाएंगे। बताया भी जा रहा है कि कोरोना स्वयं चलकर आपके घर कभी नहीं आएगा। यह आप पर निर्भर है। आप चाहेंगे तभी वह आपके घर की दहलीज पर दस्तक देगा। इसका तात्पर्य यही है कि एेसी कोई लापरवाही न बरतें, एेसी कोई चूक न करें जिससे कोरोना को आपके घर आने का मौका मिल जाए।
एक बात और मीडिया में जब भी कोई कोरोना के इलाज की खबर आती है या वैक्सीन बनने की सूचना आती है तो डरे सहमे लोगों में एक आशा की किरण का संचार होता है। भले ही कोरोना का कोई टीका या वैक्सीन आ जाए लेकिन इनसे इस रोग का बिलकुल ही खात्मा हो जाएगा, एेसा लगता नहीं है। टीबी की दवा कब की आ गई लेकिन हर साल लोग टीबी से ग्रस्त होते हैं और काल के गाल में भी समाते हैं। इसी तरह मलेरिया की दवा भी बन चुकी है लेकिन मलेरिया से हर साल मौतें होती हैं। इसलिए यह मानकर चलें कि कोरोना दुनिया से विदा नहीं होगा, हमको कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी, लेकिन साथ का मतलब यह कतई नहीं है कि हम लापरवाही बरतें, बेफिक्र हो जाएं। क्योंकि यह नामुराद कोरोना का मर्ज सावधानी हटी दुर्घटना घटी वाली अवधारणा पर काम करता है।
क्रमश:

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