Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना-36

बस यूं.ही

मास्क पर पोस्ट लिखी तो बीकानेर के एक परिचित ने बताया कि अब तो बाजार में चांदी और सोने के मास्क भी आ गए है। खास तौर पर यह दुल्हन व दूल्हे के लिए बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि हाल ही में बीकानेर में तो दूल्हे-दुल्हन के परिजन सोने के हीरो में जड़ित जड़ाऊ कुंदन के मास्क शादी के लिए ढूंढ़ते रहे। वो कई स्वर्णकारों के यहां गए उनका कहना था कि मास्क खरीदने हैं या फिर किराये पर लेने हैं। चूंकि बीकानेर वाले परिचित खुद स्वर्णकार हैं, लिहाजा उनकी बात में दम लगा। वैसे भी संकट में आनंद खोजना तो हमारे संस्कार में है। और बात बीकानेर की हो तो कहना ही क्या। यहां के लोग तो वैसे ही उत्सवधर्मी ठहरे। मास्क की प्रासंगिकता और उसको लगाने की पैरवी के बीच एक मैसेज एेसा भी आया, जिसमें मास्क लगाते समय बरते जाने वाली सावधानी या नुकसान के बारे में बताया गया है। 'साइड इफेक्टस आफ फेस मास्क : मास्क का उपयोग सीमित समय के लिए किया जाना चाहिए। यदि आप इसे लंबे समय तक पहनते हैं तो, इससे खून में ऑक्सीजन कम हो जाती है। मस्तिष्क में ऑक्सीजन कम हो जाती है। आप कमजोरी महसूस करने लगते हैं। और यह मृत्यु तक ले जा सकता है। इसलिए सलाह दी जाती है कि जब आप अकेले हों तो इसे ना पहने। काफी चालक फेस मास्क पहनकर एसी वाली कार चलाते देखे गए हैं जबकि कार में उनके अलावा कोई नहीं होता। यह अज्ञान है या अशिक्षा? मास्क का घर पर इस्तेमाल न करें, इसका उपयोग केवल भीड़ वाली जगह पर करें और या जब एक या अधिक व्यक्तियों के साथ निकट संपर्क में हो।, ज्यादातर अपने आप को भीड़ से अलग करते हुए इसका उपयोग कम करें।हमेशा दो मास्क रखें, हर चार या पांच घंटे में बदलाव करें। अधिक समय तक मास्क का प्रयोग न करें।' वैसे अति तो हर चीज की अनुचित बताई गई है। इसलिए मास्क जहां जरूरी हो वहां ही पहनें। खैर, मास्क पहनने से चेहरे पर किसी तरह का भाव नजर नहीं आएगा। न गुस्सा दिखाई देगा, न लाचारी या मजबूरी दिखाई देगी। भाव पूरे चेहरे से ही बनते हैं, अकेली आंखों से चेहरे के भावों का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। इस तरह के हालात पर यह शायरी मौजूं हैं,
'जिंदगी जीने को यहां ख्वाब मिलता है,
यहां हर सवाल का झूठा जवाब मिलता है,
किसे समझें अपना और किसे पराया ,
यहां हर चेहरे पर एक नकाब मिलता है।'
हालांकि रुबाई (शायरी) के नकाब से तात्पर्य दोहरे चरित्र से हैं। फिर भी नकाब पहचान तो छिपा ही लेगा। इससे अपने-पराये को भेद करना मुश्किल होगा। मास्क के लिए इतना ही।
मास्क की आवश्यकता के बीच एक किरदार एेसा भी है जिसका आप से कभी न कभी वास्ता जरूर पड़ा होगा। वह किरदार इन दिनों नेपथ्य में है। मुश्किल में है। बचपन में इस किरदार को लेकर बस में एक दो लाइन पढ़ी थी जो आज भी याद है, 'लड़कपन जवानी और बुढ़ापा बदलता जाएगा, यादगार के लिए सिर्फ फोटो ही रह जाएगा।' जी हां वो किरदार फोटोग्राफर है, जो कोरोना के चलते परेशानी में है। वैसे तो मेरा तो कई फोटोग्राफरों से वास्ता है। पेशेगत भी और मित्रतावश भी। एक फोटोग्राफर परिचित ने अपनी पीड़ा भेजी। कहने लगा 'इस कोरोना में फोटोग्राफर को पिछाड़ा क्यों जा रहा है,क्या फोटोग्राफर से ही फैलता है संक्रमण? जहां शादियों में 50 लोगों की अनुमति मिली है। वहां पर 48 के साथ दो फोटोग्राफर क्यों नहीं। एक फोटोग्राफर को काम मिलने से पांच लोगों का घर चलता है, जैसे कि ऑपरेटर, एक्सपोजर, डिजाइनर, वीडियो एडिटर, एल्बम प्रिटिंग तथा अन्य सहायक भी। फोटोग्राफर को काम मिलने पर वह अपने परिवार के कम से कम पांच से सात लोगों का भरण-पोषण कर सकता है। इसके अलावा 80 प्रतिशत फोटोग्राफरो ने बैंक से लोन, फाइनेंस से खरीदे गए कैमरे, वीडियो कैमरे, कम्प्यूटर आदि ले रखे हैं। उनकी समय -समय पर कि़स्त भुगतान भी जरूरी है। समय के साथ काम न मिलने पर वह कि़स्त की भरपाई भी नहीं कर पाएगा। साथ ही डिफॉल्टर घोषित होने की आशंका होगी। फोटोग्राफर तो वैसे भी सोशल डिस्टेन्स को ध्यान में रखते हुए काम करते आया है। अन्य इंडस्ट्री जिस प्रकार से खुल रही है तो फोटोग्राफर्स का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। वैसे भी फोटोग्राफर समय -समय पर सरकार के दिशा-निर्देशें की पालना करता है। वैश्विक कोराना महामारी को देखते हुए वह अब भी दिशा-निर्देश मानने को तैयार है। फोटोग्राफर एक नेक दिल इंसान होता है, जो कि खुद मायूस रहकर भी दूसरो के चेहरों पर मुस्कान लाने की कोशिश करता है।' इस आखिरी लाइन ने वाकई जज्बाती बना दिया। यकीनन फोटो खिंचवाते समय फोटोग्राफर के मुंह से आपने भी सुना होगा 'स्माइल प्लीज।' उसके इतना कहते ही हम सब मुस्कुराए भी हैं।
क्रमश:

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