Monday, August 17, 2020

अब तो संभल जाओ!

टिप्पणी

श्रीगंगानगर जिला, पंजाब से लगता इलाका है, लिहाजा पंजाब की संस्कृति का यहां पर पूरा-पूरा असर है। मसलन, लोग मस्तमौला होते हैं। ज्यादा तनाव नहीं पालते। हसंमुख स्वभाव है। मेल मुलाकात में ज्यादा यकीन रखते हैं। यही कारण है कि कोरेाना जैसी महामारी के चलते जहां समूचे विश्व में भय व खौफ का माहौल हैं, वहीं श्रीगंगानगर के लोग अपेक्षाकृत उत्सुक व उत्साहित ज्यादा हैं। जिले में जब-जब भी कोई कोरोना संदिग्ध का मामला सामने आया है, तब-तब यहां के लोगों का उत्साह और बढ़ गया। लॉकडाउन का पौने दो माह से ज्यादा समय बीतने के बावजूद श्रीगंगानगर जिले में कोरोना पॉजिटिव न मिलना राहत भरी बात है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कोरोना श्रीगंगानगर आ ही नहीं आ सकता। संक्रमित न मिलना श्रीगंगानगर की खुशकिस्मती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हर बात को बेफिक्री में लिया जाए, खुशी के अतिरेक में नियमों की अवहेलना की जाए। महज हंसी-मजाक के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की पालना न की जाए। ऐसे मामले भी सामने आए, जब प्रशासनिक समझाइश के बावजूद लोगों ने नियम तोड़े। यह सही है कि सरकार समझाइश कर सकती है। सजा का भय दिखाकर लोगों से नियमों की पालना करवा सकती है लेकिन जिस तरह की यह महामारी है, उसमें अकेले सरकार के भरोसे रहना भी उचित नहीं। वैसे श्रीगंगानगर में एक बात और प्रचलित है कि यहां के मस्तमौला लोग बिना किसी वजह के बाजार में महज यह देखने चले जाते हैं कि वहां का माहौल कैसा है? सामान्य धरना, प्रदर्शनों या बंद के दौरान तो यह फिर भी चल सकता है लेकिन अभी वाला माहौल खतरनाक है, जानलेवा है। इसलिए घर पर रहना और सोशल डिस्टेंस रखना ही सबसे बढिय़ा विकल्प है। लॉकडाउन में मिली छूट का फायदा भी गाइडलाइन की जद में रहकर ईमानदारी एवं शिद्दत से उठाने की जरूरत है।
बहरहाल, बुधवार को दिल्ली से आई महिला के संदिग्ध मिलने की खबर से जिलेभर में हड़कंप मचा है। सोशल मीडिया पर लगातार 'श्रीगंगानगर में संदिग्ध कोरोना मरीज' के संदेश वायरल हो रहे हैं। संदिग्ध सहित तीन जनों के सैंपल लेकर जांच के लिए भिजवाए गए हैं। दोपहर बाद तक स्थिति स्पष्ट होने के आसार हैं। रिपोर्ट कैसी भी आए लेकिन इसको लेकर ज्यादा उत्साहित या भयभीत होने के बजाय सबक के रूप में लेने की जरूरत है। अब तक जो हो गया, सो हो गया लेकिन अब संभलने, सतर्क रहने और अधिक सावधान रहने की जरूरत है। सबसे पहले खुद को अनुशासित रहना होगा। अनुशासन की पालना करनी होगी। अफवाहें कई तरह की आशंकाओं को जन्म देती हैं। इसलिए अफवाहों पर ध्यान कतई नहीं दें। पुलिस-प्रशासन की सूचना को ही अधिकृत मानें। सोशल मीडिया पर वायरल अपुष्ट संदेशों को आगे से आगे फारवर्ड कर अनचाहे अपराध को बढ़ावा न दें। एक जिम्मेदार एवं समझदार नागरिक का फर्ज निभाते हुए पुलिस प्रशासन के काम में सहयोग करें। ऐसा कुछ न करें कि जिससे उनकी परेशानी और बढ़ जाए। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि समूचा स्वास्थ्य विभाग व पुलिस-प्रशासन का अमला जान माल की सुरक्षा के लिए दिन रात एक किए हुए हैं। हमें उनका सहयोग करना चाहिए, क्योंकि वे यह सब वो हमारे लिए ही तो कर रहे हैं।
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 राजस्थान पत्रिका के श्रीगंगानगर संस्करण के डिजीटल अंक में 13 मई को प्रकाशित ।

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