Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना- 30

बस यूं ही

मध्यम वर्ग से पहले बात आधी दुनिया की आ गई। आधी दुनिया मतलब महिला। इस पोस्ट में महिलाओं की बात कर लें, मध्यम वर्ग फिर अगली पोस्टों में। दरअसल, एक दो मैसेज महिलाओं से संबंधित आ गए तो सोचा पहले इसी विषय को लिया जाए। दरअसल कोरोना से महिलाएं भी अछूती नहीं है। अभी दो चार दिन पहले क्लास 2025 की परिकल्पना करते हुए एक वीडियो बनाया गया है। एक खूबसूरत सी महिला अध्यापक बच्चों की उपस्थिति लेने के लिए उनके नाम पुकारती है। वह कोरोंटिना जोशी, लोकडाउनसिंह राठौड़, कोविड अवस्थी, कोरोनापालसिंह सोशल डिस्टेंसिंह, मास्क मेहतो, गल्ब्स गायकवाड़, वुहान भदोरिया, आत्मनिर्भर केलावाला नाम बोलती है। कोविड अवस्थी व वुहान भदौरिया के नाम पर मैडम गुस्सा होती है जबकि आत्मनिर्भर केलावाला के नाम पर मुस्कान बिखेरती हुई हल्की सी झेंप भी जाती है। यह वीडियो लोगों को इतना भाया कि न जाने कितने ही व्हाट्सएप-टेलीग्राम का स्टेटस बना तो न जाने कितनों की एफबी वॉल पर जाकर चस्पा हुआ। भविष्य के नाम पर श्रीगंगानगर से आया मैसेज याद आ गया। इसमें भी तो पति-पत्नी के बीच के वार्तालाप में कोरोना शब्दावली का प्रभाव साफ-साफ परिलक्षित हो रहा है। आप इस कोरोना शब्दावली पर गौर फरमाइए, 'कोरोना शब्दावली से निकले नए शब्दों से पत्नी ने पतिदेव को डांट लगाई यह क्या ! आप यहां बालकनी में अकेले - अकेले 'क्वारंटाइन' हुए खड़े हैं और एक मै हूं जो आपको ढूंढने के लिए हर कमरे में 'टेस्ट' लगवा रही हूं। पहले ड्राइंग रूम में ढूंढा, लेकिन टेस्ट में आप 'नेगेटिव' निकले। डायनिंग रूम में भी रिज़ल्ट नेगेटिव ही था, फिर बेडरूम और किचन तक की 'स्क्रीनिंग' करवाई तब जाकर आप इस बालकनी में 'पॉजिटिव' निकले हैं। घर में इतना काम पड़ा है और आप यहां बालकनी की शुद्ध हवा से अपनी 'इम्यूनिटी' बढ़ाने में लगे है! कहीं आप फिर से आस -पड़ोस वाली सुंदरियों के सौंदर्य से 'संक्रमित' होकर तो यहां नहीं खड़े हैं ? याद है ना कि मैं आपको पहले भी उनसे 'सोशल डिस्टेंसिंग' पर रहने की चेतावनी जारी कर चुकी हूं और आप हैं कि उन सौंदर्य युक्त 'वायरसों' से मुक्त नहीं हो पा रहे है ? यदि वे सब ब्यूटी क्वीन है तो मैं भी किसी 'हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन' से कम नहीं हूं। सच-सच बताओ कि इस 'इम्यूनिटी' के बहाने से कहीं महिलाओं की 'कम्युनिटी' में आप दिलों का 'ट्रांसमिशन' तो नहीं बढ़ा रहे हो ना? याद रखना कि यदि मेरा शक एक 'कन्फर्म केस' निकला तो इसी बालकनी में लॉक लगाकर आपको जिंदगी भर के लिए घर के अंदर 'लॉकडाउन' कर दूंगी। अच्छा चलो, अब कुछ काम की बात। बर्तनों को मैंने 'सेनेटाइज' कर दिया है, किन्तु कपड़ों के ढेर का 'सेनेटाइजेशन' अभी बाकी है। जल्द ही आटा गूंथने से लेकर सब्जी काटने तक के कई 'प्रकरण' भी सामने आने वाले है। इससे पहले कि सारे काम एक साथ पेंडिंग होकर किसी 'महामारी' का रूप ले लें, आप एहतियात बरतते हुए अपनी इच्छाओं को 'मास्क' से ढक कर यह बालकनी छोड़ो और सारे काम निबटाना शुरू कर दो। घर की सफाई की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। धूलकणों के आधार पर सिर्फ ड्राइंग रूम ही 'ग्रीन जोन' में दिखाई देता है, बाकी बेडरूम 'ऑरेंज जोन' तो डायनिंग रूम 'रेड जोन' में बने हुए है। बाथरूम तो गंदगी का 'हॉटस्पॉट' बन चुका है। इसकी दीवार की जिस दरार में से कॉकरोच निकल रहे हैं , उसे मैंने पूरी तरह से 'सील' कर दिया है। दवाई तो डाली किन्तु कॉकरोचों की 'मृत्यु दर' बढऩे का नाम ही नहीं ले रही है। आपको ही कुछ करना पड़ेगा। अरे हां ! सुना है आप संदिग्ध होकर भी अपनी 'हिस्ट्री' छुपा रहे है ! मैं सब जानती हूं कि कल पूरी दोपहर किचन में बैठकर आलू के पंराठे आपने ही उड़ाए थे, इसलिए आज से मैंने किचन को दोपहर के समय में 'कंटेंटमेंट एरिया' घोषित कर दिया है। शाम होने से पहले किचन में जाना पूर्णतया 'प्रतिबंधित' है । रसोई बनाने से पहले घर के सभी सदस्यों का 'मास टेस्टिंग' करके यह जरूर पूछ लेना कि शाम के खाने में उन्हें कौन-सा टेस्ट चाहिए, ताकि एक जैसी रसोई बन पाए। यदि मेरी बातें कुछ असर कर रही हो तो जल्दी से काम शुरू करो, वरना गुस्से में रूठकर यदि मैं 'सेल्फ आइसोलेशन' में चली गई तो तुम्हारे मनाने का कोई भी 'वैक्सीन' काम नहीं करेगा।
' इसीलिए तो मैं तुम्हारी डांट चुपचाप सुन रहा हूं प्रिये ! मै जानता हूं कि यह तुम्हारे गुस्से का 'इनक्यूबेशन पीरियड' है, बाद में तो हालात और बेकाबू हो जाएंगे। कहते हुए पतिदेव घर के काम निबटाने चले गए।' वाकई जिसने भी इस शब्दावली को पति-पत्नी के संवाद के रूप में पेश किया वह काबिलेतारीफ है। मेरे उस अज्ञात लेखक को दिल से सलाम। खैर इसी तरह नागौर से एक परिचित का मैसज कल आया था, लगे हाथ वह भी साझा कर लेता हूं। देखिए तो 'लॉक डाउन के दौरान गर्मी की छुट्टी के मद्देनजऱ सरकार ने महिलाओं की विशेष मांग को मानते हुए अतिशीघ्र मायका स्पेशल ट्रेन चलाने की मंज़ूरी दे दी है। इसमें यात्रा करने के लिए मैरिज सर्टिफिकेट अनिवार्य होगा। टिकिट सिर्फ ससुराल से मायके तक का ही मिलेगा। जानकारी मिली है कि इस ख़बर के आने से विवाहित पुरुषों में ख़ुशी की लहर उमड़ पड़ी है।' अब आप पोस्ट का आनंद लीजिए, पढकर थोड़ा मुस्कुराइए और मुझे दीजिए इजाजत, ताकि अगली पोस्ट के लिए फिर कोई नया और मुफीद विषय तलाश सकूं।
क्रमश:

No comments:

Post a Comment