Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना-13

बस यूं ही

चूंकि शराब से नजदीकी रिश्ता रहा है, इस कारण इसके तमाम गुण-अवगुणों से भली भांति वाकिफ हूं। शराब पीने के बाद आदमी सारे दुख-दर्द भूल कर अपनी ही दुनिया में खो जाता है। वैसे पीने वालों की भी अलग-अलग श्रेणियां हैं। कोई पीकर इतना उत्तेजित हो जाता है कि झगड़े पर उतारू हो जाता है। कोई पीकर इतना खुल जाता है कि गाने व शेरो-शायरी अगर सुनाने लगे तो फिर रुकने का नाम तक नहीं लेता। कोई पीकर इतना गुमसुम हो जाता है कि कुछ बोलता नहीं है। कुछ पीकर इतने गमजदा हो जाते हैं कि रोने लगते हैं। और भी कई तरह की श्रेणियां हैं। कोई खाना खाते-खाते भी पीता है तो कोई खाना खाकर भी पी लेता है। खैर, मेरा सर्वाधिक वास्ता शेरो-शायरी वालों से पड़ा है। दिल की दबी बातें अचानक बाहर आने लगती हैं। पुराने राज फाश होने लगते हैं। गड़े मुर्दे तक उखाड़े जाते हैं। वैसे कहा भी गया है कि जो काम बड़ी-बड़ी सिफारिशें नहीं करवा सकती वो, शराब की एक बोतल करवा सकती है। सुरा हलक के नीचे उतरी और आदमी सच बोलना शुरू। सोचिए सरकारें अगर शराब सदा के लिए प्रतिबंध कर देती तो घूस के अलावा काम करवाने का यह दूसरा रास्ता बंद न हो जाता? सच बोलने की यह दुर्लभ कला लुप्त न हो जाती? शुक्र है शराब है तो काम भी होंगे और लोग पीकर सच भी कहेंगे। खैर,चर्चा शेरों शायरी की हो रही थी चूंकि मैं भी खुद इनका मुरीद रहा हूं लिहाजा आज शराब पर लिखे कुछ शेरों पर बात की जाए। शराब को लेकर कवियों, शायरों एवं गीतकारों ने खूब लिखा है। फिर भी मौजूदा माहौल पर कुछ शेर मौजूं हैं। यह लिखे कब गए। किन परिस्थितियों में लिखे गए पता नहीं लेकिन फिलहाल प्रासंगिक हैं। लिहाजा आप भी इन शेरों का आनंद लीजिए। मुनव्वर राणा ने कहा है, तुम्हारी आंखों की तौहीन है जऱा सोचो, तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है...। इसी तरह शेख इब्राहीम जौक तो शराब के समर्थन में जोरदार शेर कहते है..., ज़ाहिद शराब पीने से काफिर हुआ मैं क्यूँ, क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया...। साहिर लुधियानवी भी कुछ एेसे ही ख्यालात रखते हैं, बे-पिए ही शराब से नफरत, ये जहालत नहीं तो फिर क्या है...। वैसे शेरों की यह फेहरिस्त बेहद लंबी है। सरकारों को पता है पीने वाले पीएंगे भले ही टैक्स लगाओ। हल्की सी उम्मीद यह बंधी है कि शराब की बिक्री रोकने की गुहार को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर हुई है। देखते हैं फैसला क्या आता है,हालांकि जेहन में राज और राम के रास्ते अलग होने वाली बात अभी भी है। इधर सोशल मीडिया पर भी शराब को लेकर चुटकुले बनने का दौर अभी थमा नहीं है। बानगी आप भी देखिए, 'शराब लेने ठेके पर जाते समय अगर पुलिस रोके तो क्या पुलिस पर सरकारी सेवा में बाधा डालने का केस किया जा सकता है।'
''कोरोना का सही इलाज क्या है? कोरोना इतना क्यों फैल रहा है? कोरोना के लिए जिम्मेदार कौन? इन सब सवालों के जवाब... निकटतम ठेके पर।' 'शराब की दुकानें इसलिए खुलवाई क्योंकि , आरबीआई गवर्नर ने कहा है कि दो से तीन क्वार्टर में अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी।' 'शराब की दुकान खोलने से पहले सरकार की मार्मिक अपील- 'कृपया पीने के बाद गाड़ी सीधे अपने घर ले जाएं। कोई भी चीन से लडऩे नहीं जाएगा।' इतना ही नहीं कोरोना फैला तब तबलीगी जमात के चर्चे ज्यादा थे , अब शराब बिक्री की छूट के बाद तलब लगी जमात के किस्से व कहानियां ज्यादा हैं। कल तो नैनीताल का एक वीडियो वायरल था। तेज हवा, बारिश व ओलों के बीच सुरा के तलबगार छतरी लिए किसी अनुशासित सिपाही की तरह डटे रहे। खैर, हर बात के दो पक्ष होते हैं। शराब के भी हैं। गरियाने वाले गरियाते रहेंगे, पीने वाले पीते रहेंगे और सरकारें अपना काम चुपचाप करती रहेंगी। बहरहाल, सरकार की जय कहते हुए मैं भी अब शराब के विषय से आगे बढ़ने की सोच रहा हूं। तो इंतजार कीजिए अगली कड़ी का।
क्रमश:

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