Monday, August 17, 2020

यह सोहलवां भी है कमाल-3

बस यूं.ही

सोलह संस्कार एवं सोलह श्रृंगार के बाद सोलह से जुड़े अन्य किस्सों, कहानियों व किवदंतियों की कर लेते हैं। हमारे प्राचीन गणराज्य सोलह थे। प्राचीन भारत कई गणराज्यों में दूर तक फैला हुआ था। इनमें से 16 गणराज्य खास महत्वपूर्ण माने गए हैं। इनको महाजनपद का दर्जा दिया हुआ था। महाजनपद का मतलब होता है महान देश। इन सोलह महाजनपदों में अंग, अश्मका, अवंती, चेती, गांधार, कंबोज, काशी, कौशल, कुरु, मत्स्य, मगध, मल्ल, पांचाल, सुरेषणा, वज्जी व वत्स आदि थे। इसी तरह हिन्दू मैरजि एक्ट की धारा-16 के जिक्र बिना तो चर्चा अधूरी है। किसी भी शादी को कानूनन अवैध ठहरा दिया गया तो उस विवाह से पैदा होने वाले बच्चे अवैध माने जाएंगे या वैध? यह सवाल सदा उठता आया है। इस बारे में हिन्दू मैरिज एक्ट की धारा-16 के मुताबिक एेसी शादी से होने वाले बच्चे वैध होंगे। चाहे वो एक्ट पारित होने से पहले पैदा हुआ हो या बाद में। भले ही इस एक्ट की धारा-12 के तहत विवाह शून्य की डिक्री दी गई हो पर यदि इस बीच में बच्चा गर्भ में आ गया तो वह वैध जाना जाएगा। पिता व मां की संपत्ति में उसको अधिकार प्राप्त होगा। सोलह का चर्चा जैन धर्म में भी हैं। बताते हैं कि जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी की मां रानी त्रिशला ने उनके जन्म से पहले एक ही रात में लगातार सोलह सपने देखे थे। यह सपने सफेद हाथी, सफेद सांड, बब्बर शेर, मां लक्ष्मी पर दायीं -बांयी ओर से लगातार पुष्प बरसाने वाले दो हाथी, दो हार, अपनी आभा बिखेतरा पूर्ण चंद्रमा, चमकता सूरज, मछलियों का प्रसन्नचित्त जोड़ा, सोने के दो कलश, कमल पुष्पों से भरी झील, सागर से उठती लहरें, सोने का सिंहासन, अंतरिक्ष यान, राजा धर्मेन्द्र का महल, हीरे व माणिक का ढेर तथा धुआं रहित आग। इन सोलह सपनों का जैन धर्म में खासा महत्व है। ज्योतिषशास्त्र में भी सोलह का महत्व है। जैसे सोलह में दो अंक हैं। एक और छह। कुल मिलाकर बना सात नंबर। अंक एक सूर्य का नबंर है और छह शुक्र का है। सात अंक केतु का है। इन तीनों के मिश्रण से इस अंक वाले को उपाय बताते हैं।
महाराष्ट्रीयन परिवारों के साथ भी सोलह का संयोग जुड़ा है। विशेषकर देवी आराधना के समय सोलह का विशेष ध्यान रख जाता है।देवी आराधना के लिए 16 प्रकार की पत्तियां गुड़हल, सफेद फूल, आघडा, केना, क्रोटन, चमेली, जाई, जुई, बेलपत्र, पारिजात, सदा सुहागन, मोंगरा, सेवंती, तुलसी पत्र, आम्र पत्र एवं अन्य सुगंधित पुष्प युक्त पौधों पत्तियों की जोड़ी बना कर अर्पित की गई। इसी तरह चढ़ावे के रूप में कमल फूल से लेकर अलग-अलग 16 प्रकार के फूल , गहने , सब्जी, चटनी, नमकीन, मिठाइयां बना कर मां को भोग लगाया जात है। यह पूजा करीब सौ साल से हो रही है। इसमें पूरा परिवार एकत्रित होकर विशेष रूप से मराठी व्यंजन पूरण पाली, अविल, पाती करंजी, वेणी फनी मोदक सहित 16 प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। सोलह की और बात करें तो भारत के मालवा, निमाड़, व राजस्थान मेंं मनाए जाने वाले संध्या पर्व, जिसमें बालिकाओं द्वारा सोलह दिन संध्या की पूजा की जाती है। इसी तरह भारतीय सुहागन महिलाओं का त्यौहार गणगौर मेंं शिव पार्वती की, ईसर गणगौर के रूप में पूजा भी सोलह दिन की जाती है। सोलह पर बाकी चर्चा अब कल
क्रमश :

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