Monday, August 17, 2020

यह सोलहवां भी है कमाल-4

बस यूं ही

हां तो सोलह की चर्चा में बनारस का सोरहिया मेले को भी शामिल कर सकते हैं। 16 दिन चलने के कारण इस मेले का नाम सोरहिया मेला है। सोरहिया मेले में महालक्ष्मी की आराधना की जाती है। लक्ष्मी कुंड में मौजूद महालक्ष्मी के दर्शन इन दिनों फलदायक होता है। मेले के पहले दिन लोग महालक्ष्मी की प्रतिमा खरीद कर घर ले जाते हैं। उस प्रतिमा की 16 दिनों तक कमल के फूल से पूजा होती है। और तो और मां दुर्गा के भी सोलह नाम हैं। यह नाम हैं दुर्गा, नारायणी, ईशाना, विष्णुमाया, शिवा, सत्या, नित्या, सती, भगवती, सर्वाणी, सर्वमंगला, अंबिका, वैष्णवी, गौरी, पार्वती और सनातनी। इसी प्रकार षोडशोपचार का हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व माना जाता है। षोडशोपचार का मतलब वे सोलह तरीके, जिनसे देवी-देवताओं का पूजन किया जाता है। पूजा के सोलह तरीके इस प्रकार से हैं। 1. ध्यान-आह्वान 2. आसन 3. पाद्य 4. अध्र्य 5.आचमन 6.स्नान 7. वस्त्र 8.यज्ञोपवीत 9. गंधाक्षत 10. पुष्प 11.धूप 12. दीप 13. नैवेद्य 14. ताम्बूल, दक्षिणा, जल आरती 15. मंत्र पुष्पांजलि और 16. प्रदक्षिणा-नमस्कार, स्तुति। सोलह पर और देखें तो श्राद्ध भी सोलह होते हैं। तिथियां भी सोलह ही होती हैं। रोचक जानकारी यह भी है कि दांत 32 होते हैं लेकिन इनमें सोलह ऊपर एवं सोलह नीचे होते हैं। खैर बात व्रतों की , तो मान्यता है कि सोलह सोमवार के व्रत करने से लड़कियों को मनपंसद का वर मिलता है तथा उनकी मनोकामना पूरी होती है। इसी तरह सोलह शुक्रवार के व्रत भी होते हैं, जो कि मां संतोषी को प्रसन्न करने के लिए किए जाते हैं। मान्यता है कि इनके करने से भी मनोकामना पूरी होती है।
इसी तरह किसी भी प्रकार की मंगलकामना और कार्य के निर्विध्न संपादन व संचालन के लिए भगवान गजानन के साथ ही सोलह मातृकाओं का स्मरण और पूजन अवश्य करना चाहिए। अनुष्ठान में अग्निकोण की वेदिका या पाटे पर सोलह कोष्ठक के चक्र की रचना कर उत्तर मुख या पूर्व मुख के क्रम से सुपारी व अक्षत पर क्रमश: इन 16 मातृकाओं की पूजा का विधान है। इससे न केवल कार्य की सिद्धि होती है बल्कि उसका संपूर्ण फल भी प्राप्त होता है। सोलह मातृकाओं में गौरी, पद्या, शची, मेघा, सावित्री, विजय, जपा, पष्ठी, स्वधा, स्वाहा, माताएं, लोकमताएं, धृति, पुष्टि, तुष्टी तथा कुल देवता। जैन धर्म की बात करें तो इसमें सोलह कारण व भावना ही तीर्थंकर बनाती है। और बात करें तो सोलह औंस का एक पौंड होता है। इतिहास में भी सोलहवीं सदी का विशेष महत्व है। सोलह की इस चर्चा में कल राजस्थान में सोलह ग्राम पंचायतों को भी नगर पालिका का दर्जा मिल गया। अभी सोलह की चर्चा जारी है।
क्रमश:

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