Monday, August 17, 2020

सुरक्षा पर सवाल!

टिप्पणी

इसमें कोई दो राय नहीं कि बाडमेर जिले में नकली नोटों का खेल बेखटके व बेखौफ चल रहा है। सरहद से लगे संवदेनशील क्षेत्र में इस तरह का कारोबार न केवल चिंताजनक है बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को भी कठघरे में खड़ा करता है। मामला उजागर होने के बाद हरकत में आई पुलिस भले ही अब इस मामले की कड़ी से कड़ी जोडऩे का प्रयास कर रही हो लेकिन अभी भी साफ तौर पर कोई यह बताने की स्थिति में नहीं है कि नकली नोटों की इतनी बड़ी खेप आई कहां से। यह तो गनीमत रही है कि नकली नोटों का पर्दाफाश बैंक के माध्यम से हो गया, वरना इस काले कारोबार के नेटवर्क से जुड़े लोग बाजार में न जाने कितने ही नकली नोट चला चुके होते। प्रारंभिक पूछताछ के बाद पुलिस ने पता लगाया है कि पकड़े गए आरोपी के पास आठ लाख रुपए की खेप आई थी, जिसमें से करीब डेढ लाख रुपए वह असली के रूप में बाजार में चला भी चुका है।
दरअसल, सरहद पर नशीले पदार्थों की तस्करी हो या नकली नोट बरामद होने के मामले गाहे-बगाहे सामने आते रहते हैं। विशेषकर श्रीगंगानगर एवं पड़ोसी प्रदेश पंजाब क्षेत्र में तस्करों के तार सीमा पार के तस्करों से जुड़े होने के कई मामले उजागर होते रहे हैं। हाल ही में मई माह में पंजाब सीमा में पाकिस्तान से काफी मात्रा में हेरोइन एवं हथियार आने की जानकारी वहां की पुलिस को मिली थी। पंजाब पुलिस ने तार से तार जोडऩे हुए इस मामले का खुलासा किया तो इसमें सीमा सुरक्षा बल के एक जवान की मिलीभगत भी सामने आई। पंजाब पुलिस ने इस जवान को पिछले सप्ताह ही श्रीगंगानगर जिले के रावला क्षेत्र से गिरफ्तार किया है। पंजाब के इस घटनाक्रम का जिक्र बाडमेर के संदर्भ में इसीलिए जरूरी है कि क्योंकि यहां भी अंदेशा इसी बात का है कि यह खेप सीमा पार से ही इधर आई है। अतीत का इतिहास देखें तो आशंका को बल भी मिलता है। वैसे इतना तो तय है कि सरहदी क्षेत्र में नकली नोटों का यह कारोबार लंबे समय से चल रहा है। इस बात की गवाही पुलिस के आंकड़े भी बयां करते हैं। इन तमाम घटनाक्रमों को जोडऩे के बाद यह समझ लेना चाहिए कि यह खेल कोई एक दो लोगों के बस का नहीं है। इस नेटवर्क के तार लंबे हैं। यकीनन व्यवस्था में भी कोई कमजोर कड़ी है, जो इस नेटवर्क को फलने-फलने में मददगार साबित हो रही है।
बहरहाल, पुलिस मामले की कड़ी से कड़ी जोडक़र आगे बढ़ रही है। बढऩा भी चाहिए। उसे प्रभावी कार्रवाई करते हुए जांच का दायरा आगे से आगे बढाकर इस काले कारोबार के सरगना तक पहुंचना चाहिए, जो निश्चिय ही इस खेल का मुख्य सूत्रधार भी है। सरगना के गिरफ्त में आने के बाद व्यवस्था की कमजोर कड़ी की शिनाख्त होना भी कोई मुश्किल काम नहीं है। फिर भी यह तो मानकर ही चलना चलिए कि सरगना तक पहुंचे बिना पर्दे के पीछे की कहानी राज ही रहेगी। कहानी का राजफाश हो तथा नेटवर्क का भंडाफोड़ हो, इसके लिए सरगना तक पहुंचना बेहद जरूरी है। उम्मीद की जानी चाहिए पुलिस बिना किसी दवाब में आए ईमानदारी से इस मामले को अंजाम तक पहुंचाएगी।

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राजस्थान पत्रिका के जैसलमेर व.बाडमेर संस्करण में 07 अगस्त 20 के अंक में प्रकाशित।

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