Monday, August 17, 2020

आत्महत्या मानसिक रोग

 आत्महत्या का प्रयास करना अपराध नहीं बल्कि मानसिक रोग है लेकिन जो आत्महत्या कर चुका हो उसको किस श्रेणी में माना जाए? इस सवाल की तलाश में मैं सुबह से लगा हूं लेकिन कहीं भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। पूरा गूगल छान मारा। एक दो जानकारों से लंबी चर्चा भी हुई लेकिन शंका का समाधान पूरी तरह से नहीं हुआ।

खैर, धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि आत्महत्या शब्द ही गलत है, लेकिन यह अब प्रचलन में है। आत्मा की किसी भी रीति से हत्या नहीं की जा सकती। हत्या होती है शरीर की। इसे स्वघात या देहहत्या कह सकते हैं। दूसरों की हत्या से ब्रह्म दोष लगता है लेकिन खुद की ही देह की हत्या करना बहुत बड़ा अपराध है। जिस देह ने आपको कितने भी वर्ष तक इस संसार में रहने की जगह दी। संसार को देखने, सुनने और समझने की शक्ति दी। जिस देह के माध्यम से आपने अपनी प्रत्येक इच्‍छाओं की पूर्ति की उस देह की हत्या करना बहुत बड़ा अपराध है। जरा सोचिए इस बारे में। आपका कोई सबसे खास, सगा या अपना कोई है तो वह है आपकी देह।
वैदिक ग्रंथों में आत्मघाती मनुष्यों के बारे में कहा गया है:-
असूर्या नाम ते लोका अन्धेन तमसावृता।
तास्ते प्रेत्यानिभगच्छन्ति ये के चात्महनो जना:।।
अर्थात आत्मघाती मनुष्य मृत्यु के बाद अज्ञान और अंधकार से परिपूर्ण, सूर्य के प्रकाश से हीन, असूर्य नामक लोक को गमन कहते हैं। एेसी मृत्यु सामान्य मौत न होकर अकाल मौत होती है। अकाल का अर्थ होता है असमय। प्रत्येक व्यक्ति को परमात्मा या प्रकृति की ओर से एक निश्चित आयु मिली हुई है। उक्त आयु के पूर्व ही यदि व्यक्ति हत्या, आत्महत्या, दुर्घटना या रोग के कारण मर जाता है तो उसे अकाल मौत कहते हैं। उक्त में से आत्महत्या सबसे बड़ा कारण होता है। शास्त्रों में आत्महत्या करना अपराध माना गया है। आत्महत्या करना निश्चित ही ईश्वर का अपमान है।
मेरी बात से इतर विचार रखने वाले कल भी थे आज भी होंगे लेकिन इस विषय पर भी बड़ा सा लिखने का मानस है। आज तो इतना ही ।

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