Monday, August 17, 2020

सावधान, सचेत व सतर्क रहने का मौसम

बस यूं.ही

करीब दो सप्ताह भर पहले तक सोशल मीडिया पर एक मैसेज हर दूसरे तीसरे दिन आता था। मैंने इस मैसेज पर मुआ कोरोना की सीरीज में लिखने की भी सोची लेकिन मामला फिर दिमाग से निकल गया। आज मेरे गांव में चोरी की दूसरी वारदात तथा झुंझुनूं में एक परिवार को बंधक बनाकर लूट करने की घटना ने सोचने पर मजबूर किया। इस मैसेज को फिर से तलाशा तो यह मिल गया। मैं इस मैसेज की सच्चाई का दावा नहीं करता लेकिन इसमें जो नसीहतें हैं, वो वाकई काम की हैं। कोरोना के बाद उपजे हालात में हमें न केवल कोरोना से खुद को बचाना है बल्कि अब और अधिक सतर्क, सावधान एवं सचेत रहने की जरूरत है। एेसा मान लीजिए अब चुनौती अकेले कोरोना की ही नहीं है बल्कि अपराधिक घटनाओं के प्रति सावचेत रहने व इनसे बचाव करने की भी है। कोरोना के चलते बेरोजगारी इस कदर बढ़ी है अब अपराधिक वारदातें बढऩे की भी आशंका प्रबल हो चली है। अब बात सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज कर लेते हैं। उसकी एक-एक लाइन गंभीरता से पढि़ए, यह मैसेज पुलिस के नाम से है 'सावधान! बढ़ सकते हैं गुंडागर्दी, डकैती, चोरी, छिनाझपटी। लॉकडाउन खुलने के बाद एक महत्वपूर्ण संदेश...
कोरोना के कारण अधिकतर लोगों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है, इस कारण अपराध में उछाल आएगा। लूटपाट, छीना-झपटी व चोरी-चकारी में तेजी आएगी। शहरों या कस्बों में हम सभी को इस स्थिति से अवगत होना चाहिए। जब एक बार लॉकडाउन आंशिक रूप से या पूरी तरह से उठा लिया जाता है। अपने आप को अपने परिवार और अपने सामान को बचाने में सक्रिय रखें। जितने दिन भी, इन दिनों लॉक डाउन रहेगा, उन सभी दिनों में कमाई लगभग 'न' के बराबर होगी, इसलिए नौकरी छूटने या व्यापार पर कुप्रभाव के कारण, असामाजिक घटनाओं में अचानक उछाल आ सकता है। लोगों को बहुत सावधान रहना होगा। इसमें घर के लोग, बच्चे, स्कूल और कॉलेज जाने वाले लड़के / लड़कियां, कामकाजी महिला/पुरुष सभी शामिल हैं। इस दौरान हो सके तो महंगी घड़ियां न पहनें। महंगे चेन, चूड़ियां, ईयर रिंग्स न पहनें। अपने हैंड बैग्स के साथ सावधानी बरतें। पुरुष हाई एंड वॉच, महंगे कंगन और चेन पहनने से परहेज करें। अपने मोबाइल फोन का ज्यादा इस्तेमाल जनता (सार्वजनिक) में न करें। सार्वजनिक रूप से मोबाइल का उपयोग कम से कम करने की कोशिश करें। किसी भी अजनबी को वाहन में लिफ्ट न दें। आवश्यकता से अधिक धन लेकर भ्रमण पर न जाएं। अपने क्रेडिट और डेबिट कार्ड को सुरक्षित रखें। अपने बड़ों, पत्नी और बच्चों के कल्याण के बारे में जानने के लिए समय-समय पर घर पर फोन करते रहें। घर के बड़ों और लोगों को निर्देश दें कि दरवाजे की घंटी बजाते समय मुख्य दरवाजे से सुरक्षित दूरी बनाए रखें, यदि संभव हो तो ग्रिल गेट का प्रयोग करें। किसी पार्सल या पत्र प्राप्त करने के लिए ग्रिल के करीब न जाने दें। बच्चों को जितना हो सके समय पर घर जल्दी लौटने की हिदायत दें। घर तक पहुंचने के लिए किसी भी एकांत या छोटी शॉर्टकट वाली सड़कों का प्रयोग न करें, कोशिश यही करें कि अधिकतम मुख्य सड़कों का उपयोग करें। जब आप बाहर होते हैं तो अपने आसपास के संदिग्ध लोगों पर नजर रखें। हमेशा हाथ में एक आपातकालीन नंबर होना चाहिए। लोगों से सुरक्षित दूरी बनाए रखें। पब्लिक ज्यादातर मास्क पहनेगी अत: अपराधियों को पहचानना मुश्किल होगा। जो कैब सेवाओं का उपयोग करते हैं, कृपया अपनी यात्रा का विवरण अपने माता-पिता, भाई-बहन, रिश्तेदारों, दोस्तों या अभिभावकों के साथ साझा करें। सरकारी परिवहन प्रणाली की कोशिश करें और उसका उपयोग करें। भीड़ वाली बसों से बचें। अपने दैनिक सैर के लिए उजाले में लगभग सुबह छह बजे के आसपास जाएं, शाम को अधिकतम आठ बजे तक मुख्य सड़कों का उपयोग करें। खाली सड़कों से बचें। मॉल, समुद्र तट और पार्कों में ज्यादा समय न बिताएं। अगर बच्चों को ट्यूशन क्लासेस अटेंड करना है तो बड़ों को उन्हें लाने एवं छोड़ने की जिम्मेदारी दें। अपने वाहनों में कोई कीमती सामान न छोड़े। कम से कम तीन महीने या समग्र स्थिति में सुधार होने तक इसका पालन करना होगा। इस जानकारी को सभी रिश्तेदारों, मित्रों, घर के सदस्यों से साझा करे।'
यह मैसेज कथित पुलिस का बताया जा रहा है। भले ही यह पुलिस का हो न हो लेकिन इसकी नसीहतें गौर करने वाली हैं। बदले हालात में कुछ सावधानी तो बरतनी ही होगी। अपने आसपास के माहौल तथा गांव व गली मोहल्लों में आने वाले संदिग्ध लोगों पर नजर रखनी होगी। अकेली पुलिस पर निर्भरता छोडऩी होगी। जब झुंझुनूं जैसे शहर ही सुरक्षित नहीं है, जहां पुलिस व प्रशासन का लवाजमा बैठता है तो गांव -ढा़णी की सुरक्षा की कल्पना तो सहज ही की जा सकती है। गांव में फिर से ठीकरी पहरे को अपनाना होगा। कोरोना आया तब गांवों में जिस तरह युवाओं ने रास्ते बंद किए थे, उसी तर्ज पर अब सुरक्षा करनी होगी। पूछ-परख के बाद ही आवाजाही करनी दी जाए। सच में यह समय संकट का है। इसलिए सभी की सामूहिक जिम्मेदारी बनती है कि अपने आसपास के वातावरण को सुरक्षित रखें व भयमुक्त बनाएं। खुद भी सुरक्षित रहें तथा अपने परिवार, मोहल्ले या गांव को भी सुरक्षित रखने में योगदान देवें।

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