Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना-49

बस यूं ही

आपको याद होगा जब साल 2020 लगा था तब भी चुटकुले बने थे। कहा गया था, असली टी-20 तो अब शुरू हुआ है। वाकई कोरोना के आने से लगने लगा है, असली टी-20 तो यही है। इसके आगे तो सब कुछ फेल हो गया। खेल के मैदान सूने पड़े हैं। बल्लेबाजों का बल्ला खामोश हैं। गेंदबाजों की गेंद भी कोई कमाल नहीं दिखा पा रही है। टीवी तो पुराने मैच दिखा कर ही दर्शकों का मन बहला रहा हैं। अखबारों के खेल पेज भी समाचारों के अभाव में सिमट कर छोटे हो गए हैं। खेल ही नहीं तो कैसे समाचार। कोरोना से पहले शायद ही एेसा कोई दिन जाता हो जब खेल नहीं खेला जाता रहा हो। कोरोना ने तो सारी खेल गतिविधियां ही चौपट कर दी। ऐसे मे माना जा सकता है कि यह साल ना केवल क्रिकेट वाले टी-20 पर भारी है बल्कि एकदिवसीय एवं टेस्ट मैच भी इसके आगे पानी भरते नजर आ रहे हैं। कितना अजब-गजब मर्ज है यह। केवल नाम से ही समूचे संसार में हड़कंप मचा है। भले ही काफी लोग इसके संक्रमण से बच हुए हैं लेकिन एेसा कोई भी नहीं है, जो इसकी वजह से प्रभावित न हो। सिनेमाघरों में सन्नाटा पसरा है। फिल्म बनना तक बंद हो गया है। टीवी पर भी धारावाहिकों का अकाल पड़ गया है। पुराने धारावाहिकों का प्रसारण फिर से शुरू हो गया है। नए बन ही नहीं रहे हैं तो दिखाए क्या? इसीलिए पुराने धारावाहिकों का नंबर लग गया। किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि डिब्बे में बंद इन धारावाहिकों के दिन इस तरह से फिरेंगे। पार्कों में लोगों का घूमना बंद हो गया। पार्क एवं सिनेमा घर ही तो एेसी जगह हैं , जहां आदमी सुकून के दो पल खोजने जाता है। विशेषकर युवाओं के लिए तो यह दोनों जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं होती है। हाथ में हाथ थामे युगल अब न तो पार्कों में टहलते दिखाई देते हैं और न सिनेमाघरों में। सामान्य दिनों में सर्वाधिक गुलजार रहने वाले इन दोनों ही स्थानों पर अजीब सी खामोशी पसरी है। अब बात कोरोनाकाल की कुछ अनूठी घटनाओं की भी कर लेते हैं। लोग कोरोना के नाम से इतना डरते हैं कि जिस गली में कोई कोरोना संक्रमित मिल जाता है, वहां कर्फ्यू तक लगा दिया जाता है। आवाजाही बिलकुल रोक दी जाती है। एहतियातन इतनी सुरक्षा कमोबेश हर जगह बरती जा रही है लेकिन चंडीगढ़ की एक घटना ने चिकित्सा जगत को हैरान कर रखा है। यह घटना उनके लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। एक मां 18 माह की कोरोना संक्रमित बेटी के साथ 20 दिन एक बेड पर रही और संक्रमण से बच गई। इतने दिन पास रहकर भी संक्रमण से बचे रहने पर रिसर्च तक करने की बातें हो रही हैं। इसी तरह पटना में एक 14 साल की बच्ची में कोरोना का ऐसा वायरस घुस गया है, जो निकलने का नाम ही नहीं ले रहा है। न खांसी, न बुखार और ना ही कोरोना के कोई लक्षण। इसके बाद भी लगातार 6 बार जांच रिपोर्ट पॉजिटिव गई। इससे डाक्टर भी घबराए हुए हैं। इस बच्ची का पूरा परिवार कोरोना संक्रमित था और वह ठीक हो चुका है लेकिन वह अकेली अस्पताल में भर्ती है। इसमें 24 अप्रैल को संक्रमण की पुष्टि हुई। 30 दिन में छह बार उसकी जांच कराई गई, लेकिन हर बार वह पॉजिटिव पाई गई। डॉक्टर इस मामले को भी शोध का विषय मान रहे हैं। इधर, मेरठ में कोरोना का नाम तो एक बदमाश के लिए ढाल ही बन गया। हुआ यूं कि चोरी करने घुसे एक बदमाश को लोगों ने दबोच लिया। सूचना पर पुलिस मौके पर आई और बदमाश को थाने ले जाने की तैयारी करने लगी तो बदमाश चिल्लाया कि उसे कोरोना है और हाथ लगाया तो सभी को संक्रमण हो जाएगा। इतना सुनते ही पुलिस के पसीने छूट गए। उसने न तो आरोपी को पकड़ा और न ही उसको गाड़ी में बैठने का इशारा किया गया। इसी बीच आरोपी पुलिस के सामने ही नौ दो ग्यारह हो गया। मध्य प्रदेश के बैतूल में एक युवक को अपनी गर्लफ्रेंड से मिलना भारी पड़ गया। युवक अपनी गर्लफ्रेंड से मिलकर चुपके से गांव लौटा था लेकिन गांवों को किसी तरह पता चला गया कि उसकी गर्लफ्रेंड कोरोना पॉजिटिव है। फिर प्रशासन ने युवक को क्वारंटीन कर दिया। यह देखिए, यह मामला तो और भी रोचक है। कोरोना ने भले ही सभी को भयभीत कर रखा हो लेकिन छत्तीसगढ़ की राजधानी में जन्मे जुड़वा भाई बहिन का नाम कोरोना व कोविड रखा गया है। उधर पटना में तो कमाल की बात सुनी। वहां कोरोना संक्रमित को इलाज के लिए भर्ती किया गया। भर्ती के दौरान उसका सेंपल लिया गया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई लेकिन जो सेंपल लिया था उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ गई। यह मामला भी अच्छी खासी चर्चा का विषय बना। मध्य प्रदेश के सागर में युवक ने टिकटॉक एप पर वीडियो बनाकर मास्क का मजाक उड़ाया। अब उसकी रिपोर्ट भी कोरोना पॉजिटिव आई है। फिलहाल सोशल मीडिया पर वायरल इन दो पोस्टों की चर्चा भी कम नहीं है। भरतपुर की बताई जा रही इस पोस्ट में मास्क की जगह रुमाल बांधें एक व्यक्ति की चालान रसीद काट दी गई जबकि केन्द्र एवं राज्य सरकार का नियम है कि सार्वजनिक स्थान पर मुंंह ढका होना चाहिए, भले ही वह मास्क से हो, रुमाल से हो या गमछे से। एक चर्चा और बक्सर में क्वारेंटीन युवक है, जिसकी खुराक ने शेफ को परेशानी में डाल रखा है। बताया गया है कि यह युवक दस जनों का खाना अकेले खा जाता है। मतलब चालीस रोटी एवं दस प्लेट चावल रोज खा जाता है। बताया जा रहा है कि चिंता के कारण भी व्यक्ति ओवर इंटिंग मतलब अधिक खाने लग जाता है। स्ट्रेस में कोर्टिसोल हार्मोन अधिक रिलीज होने लगता है जो इंसान को अधिक खाने के लिए उकसाता है। तो अब आप यह सोचना तो छोड़ ही दो कि डर आदमी की भूख-प्यास गायब कर देता है। बक्सर के युवा ने इस धारणा को तोड़ दिया है।
क्रमश:

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