Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना-10

बस यूं.ही

इतना तो तय हो गया कि हमारे देश में शराब, राशन से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। कमजोर तबके के लिए सरकारें पैसे बांट रही हैं, निशुल्क यात्रा करवा रही हैं। राशन तक दे रही हैं, तो फिर शराब भी फ्री कर देनी चाहिए थी। गरीब बेचारा क्या पीने का हक नहीं रखता? या सरकारों ने यह मान लिया कि कमजोर तबके के लोग शराब पीते ही नहीं ? लॉकडाउन के तीसरे चरण में जैसे ही शराब की दुकानें खोलने की घोषणा हुई तभी से यह बहस आम है कि सरकारों के लिए शराब जरूरी है या जान। अगर जान जरूरी है तो शराब क्यों? और शराब जरूरी है तो फिर यह हवाई यात्राएं, विशेष बसें, विशेष रेलें आदि का दिखावा क्यों? इन पर इतना सारा खर्च क्यों? जान बचानी है या जान से खिलवाड़ करना है, कुछ समझ नहीं आ रहा है। हां इतना जरूर लग रहा है कि कुछ तो गड़बड़ है। लॉकडाउन के चलते आज मुझे घर में कैद हुए 45 दिन हो गए है। इस दौरान जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन का पहला और दूसरा चरण भी बीत गया। प्रधानमंत्री के कहने पर थाली, व ताली भी बजी। लोगों ने दीपक व मोमबत्तियां भी जलाई। चिकित्सकों, नर्सिंग कर्मियों, पुलिस-प्रशासन व कोरोना योद्धाओं के सम्मान में हेलीकाप्टर से पुष्प वर्षा तक हो गई। इस बीच दो सिने अभिनेता इरफान खान व ऋषि कपूर भी चल बसे। कल कश्मीर में एक कर्नल सहित पांच जवानों के शहीद होने की खबर भी चुपके से आई और आंखों के आगे से निकल गई। लेकिन सर्वाधिक चर्चा शराब की है। शराब की दुकानें खोलने को लेकर जितने लोग समर्थन में हैं,कमोबेश उतने ही विरोध में। दो धड़े बन गए हैं। शराब विरोधी धड़ा सरकारों को गरिया रहा है। कह रहा है कि जब इतने दिन बिना शराब के रह लिए तो दो सप्ताह में और क्या बिगड़ जाता जबकि सुराप्रेमी सरकारों को दिल खोलकर बधाई दे रहे हैं। शराब की इस चर्चा से सोशल मीडिया भी अछूता नहीं रहा। कोरोना नहीं होता तो शायद इतनी चर्चा नहीं होती। और ना ही सरकारों की इस तरह की भूमिका सामने आती। शराब को लेकर विरोध और समर्थन अपनी जगह है लेकिन शराब भी हमारी आदत में बरसों से रची बसी है। कोरोना के बहाने से इससे छुटकारा पाने का सुनहरा मौका हाथ में आया था, लेकिन सरकारों को अपने खाली खजाने भरने की चिंता ज्यादा नजर आई। एक हाथ से गरीबों को नकद पैसे बांटकर वाहवाही लूटी है तो दूसरे हाथ वापस लेकर भी वाहवाही लूटने की कला सरकारें ही जानती हैं। क्या सरकारों को नहीं पता, डेढ माह से बेरोजगार बैठा आदमी शराब के लिए पैसे कहां से लाएगा? वह चोरी करेगा, डाका डालेगा घर के बर्तन बेचेगा या घरवाली के गहने? यकीनन पीने के लिए वह कुछ तो करेगा ही, आज किया भी होगा। खैर, शाम होते-होते खबर आई कि सोशल डिस्टेंसिंग की पालना न होने के कारण राजस्थान सरकार ने कई जगह आगामी आदेश तक शराब की दुकानें बंद कर दी हैं। अब सवाल यही है कि क्यों नहीं इन शराब की दुकानों को स्थायी बंद कर दिया जाए? काश यह सभी जगह ही बंद हो जाए। वैसे सवाल तो बहुत से हैं और विषय भी काफी लंबा। शराब पर जितना लिखा जाए कम है, सो शेष अगली कड़ियों में...।
क्रमश

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