Monday, August 17, 2020

मुआ कोरोना- 46

बस यूं ही
पिछली पोस्ट का समापन बीवी और कोरोना पर बने एक चुटकुले से हुआ था, इसलिए सोचा आज की पोस्ट क्यों न पति-पत्नी के मजाक और चुटकुलों पर ही केन्द्रित रखी जाए। कोरोना काल में हर विषय पर चुटकुले बने हैं तो भला पति-पत्नी कैसे अछूते रहते। सामान्य दिनों में ही पति-पत्नी पर चुटकुले बनते रहते हैं, तो कोरोना काल में बनने ही थे। हां यह बात जरूर दीगर है कि महिला समर्थक जहां कोरोना में महिलाओं की भूमिका की सराहना कर रहे हैं तो पुरुष समर्थक पुरुषों की वाहवाही करने में जुटे हैं। जाहिर सी बात है एेसा करने वालों में उनकी जमात का बहुमत भी होगा। मतलब महिला की प्रशंसक महिलाएं ज्यादा होंगी तो पुरुषों के पुरुष होंगे। आपसी विश्वास, प्यार, चुहलबाजी, नोकझोंक पर टिका पति-पत्नी का रिश्ता अनूठा है, अजूबा है। निराला है। हां कई बार यह रिश्ता अहम, वहम व भावनाओं का अतिरेक लांघ जाता है तो जरूर घातक बन जाता है, वरना इस जैसा कोई दूसरा है भी क्या भला? अन्य पुरुषों की तो कह नहीं सकता है लेकिन मैं अपनी शादी के करीब सोलह साल बाद लगातार 70 दिन पत्नी के साथ बिताने के बाद यह पोस्ट लिख रहा हूं। 70 दिन मतलब बिना आफिस गए लगातार घर पर ही। मतलब जो काम सोलह साल में चाहकर भी नहीं कर सका वो कोरोना ने करवा दिया। गांवों में सैनिकों को दो माह की छुट्टी आते जरूर देखा है लेकिन वो भी दिन में गांव में घूमकर, दोस्तों के बीच बैठकर, या कहीं चौपाल में गप्पबाजी करके टाइम पास करते हैं। लगातार तो वो भी घर पर नहीं रहते। इसलिए यह एक तरह की उपलब्धि ही है। कुछ रोज पूर्व पति-पत्नी का एक कार्टून देखा था। ऊपर हैडलाइन थी प्रधानमंत्री ने दिया आत्मनिर्भरता पर जोर। फ्रेम में पति अखबार पढ़ रहा होता है और पत्नी हाथ में थाली लिए पति के सामने से गुजरती हुए कहती है, 'मैं तो अपनी चार रोटियां सेक लाई, तुम्हारी तुम जानो, आत्मनिर्भर बनो।' इसी तरह चुटकुला है कि 'लॉकडाउन में पत्नी से रुठकर पति बाहर निकलने लगा तो पत्नी बड़े प्यार से बोली, अजी रुठ कर अब कहां जाइएगा, जहां जाइएगा लट्ठ खाइएगा।' हद तो तब हो गई जब कोरोना को पुल्लिंग और कोरोनटाइन का स्त्रीलिंग बना दिया गया।
यह चुटकुला है और मेरा नहीं है। सोशल मीडिया पर वायरल है, इसलिए दिल पर न लेवें।
तो देखें कोरोना कैसे मेल मतलब पुल्लिंग बनता है। ' अभी-अभी एक दोस्त ने हिन्दी में कोरोनटाइन का मतलब समझाया, जैसे ठाकुर की ठकुराइन, पंडित की पंडिताइन होती है। वैसे ही कोरोना की कोरोनटाइन होती है। तभी तो कोरोना, कोरोनटाइन से डरता और कुछ नहीं कर पाता है।' पति-पत्नी के इस चुटकुले ने भी लोगों को काफी गुदगुदाया। इसका तो टिक टॉक जैसे अन्य एप पर वीडियो तक आ गया। देखें, ' बॉस- मैंने तुम्हे कॉल किया था... तुम्हारी पत्नी ने बताया कि तुम खाना बना रहे हो, तो तुमने वापस फोन क्यों नहीं किया मुझे? कर्मचारी- सर किया था, फोन आपकी पत्नी ने उठाया था और बताया कि आप बर्तन धो रहे हैं।' पत्नी-पति से इतर परिवार से जुड़ा जुमला भी है। देखिए, 'कोरोना ने सबसे ज्यादा धर्मसंकट में ससुर एवं जेठ को रखा है। घर पर ही रहना है और खांस भी नहीं सकते।' यहां देखिए, यहां तो पति को बेहद बहादुर बता दिया गया है, 'इतिहास में लिखा जाएगा कि भारतीय पुरुष घर बैठकर अकेले दो-दो वायरस से लड़ा था, एक तो कोरोना दूसरा सुनो ना।' चुटकुलों की यह फेहरिस्त बहुत लंबी है। जितना गोता लगाओ हंसते जाओ। कोरोनाकाल में तनाव भगाने का एक बड़ा माध्यम यह चुटकुले भी तो हैं। मेरे एक मित्र ने व्हाट्सएप पर स्टेटस तक लगा दिया। वो तो मैंने उसको समझाया कि यह मजाक नहीं है, कोरोना काल में रोटियां हाथ से बनानी पड़ जाएंगी। तब कहीं जाकर उसने वो स्टेटस हटाया। लिखा था ' प्राचीन काल में बीवियां इन दिनों मायके जाया करती थी।' खैर सर्वाधिक हंसी तो मुझे इस चुटकुले पर आ रही है। कोरोना-कोरोना- पॉजिटिव-पॉजिटिव के शोर में आदमी के भीतर तक एक अजीब सा डर बैठा दिया है। उसको हर जगह खतरा नजर आने लगा है। यहां तक कि पॉजिटिव शब्द सुनते ही खतरे की आशंका में कान खड़े हो जाते हैं। इस तरह के मनोभावों पर भी चुटकुले बन रहे हैं। बानगी देखिए। 'कोरोना काल में पॉजिटिव रिपोर्ट - सुबह 6 बजे पड़ोसी ने बाइक की चाबी मांगी और कहा.. मुझे लैब से रिपोर्ट लानी है। मैंने कहा..
ठीक है भाई.. ले जा। थोड़ी देर बाद पड़ोसी रिपोर्ट ले कर वापस आया। चाबी दी, मुझे गले लगाया और बहुत बहुत धन्यवाद कहकर अपने घर चला गया। जैसे ही वह अपने घर गया, गेट पर ही खडे होकर अपनी पत्नी से कहने लगा.. रिपोर्ट पॉजिटिव आई है! जब यह बात मेरे कान में पड़ी तो मैं तो गिरते-गिरते बचा.. घबराकर मैने अपने हाथ सेनिटाइजऱ से साफ़ किए, फिर बाइक को दो बार सर्फ से धोया। फिर याद आया उसने तो मुझे गले भी लगाया था। मैंने मन ही मन में सोचा.. मारा गया तू बेटा, तुझे भी अब कोरोना होगा फिर मैं साबुन से रगड़-रगड़ कर नहाया और बाथरूम में ही दु:खी होकर एक कोने में बैठ गया। थोडी देर बाद मैंने पड़ोसी को फोन करके बोला: भाई, अगर आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव थी, तो कम से कम मुझे तो बख्श देते? मैं तो बच जाता। मेरी बात सुनकर पड़ोसी जोर-जोर से हंसने लगा और कहने लगा.. वो रिपोर्ट ? वो रिपोर्ट तो आपकी भाभीजी की प्रेग्नेंसी की रिपोर्ट थी, जो पोजटिव आई है!' इस चुटकुले का निष्कर्ष यही निकला कि हर चीज कोरोना थोड़े ही होती है। पॉजिटिव शब्द से याद आया। कल एक परिचित ने संदेश भेजा था। लिखा था सदी का सबसे मनहूस शब्द ' पॉजिटिव '। खैर जो भी है। वैसे पोस्ट तो आप पढ़ ही चुके होंंगे। थोड़ा हंसे हैं तो थोड़ा और हंस लीजिए तब तक मैं कोई नया विषय खोज कर लाता हूं।

क्रमश: 

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