Friday, September 2, 2011

बेतुका निर्णय

टिप्पणी
स्कूल शिक्षा विभाग ने एमएड एवं बीएड छात्रों की  फीस के संबंध में  संशोधित आदेश जारी किया है। संशोधित आदेश के अनुसार अब छात्रों को फीस की धनराशि में कम से कम एक हजार रुपए की राहत प्रदान की गई है साथ ही फीस जमा करने में देरी होने पर 25 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से वसूले जाने वाले विलम्ब शुल्क को भी वापस ले लिया है।  21 जुलाई को फीस तय करने के बाद अब 27 अगस्त को उसमें संशोधित करना यह दर्शाता है कि विभाग के नीति नियंता आंखें मूंदकर ही नियम बना रहे हैं।  संशोधित नियम में पुरानी भूलों एवं गलतियों को कुछ हद तक दुरुस्त करने का प्रयास तो किया गया है लेकिन उनसे सबक नहीं लिया गया है। जो काम सत्र के शुरुआत में हो जाना चाहिए था, वह देरी से हो रहा है। एक माह से अधिक समय बीतने के बाद विभाग का संशोधित  निर्णय जारी करना सांप गुजरने के बाद लाठी पीटने के समान ही है। फीस के मामले में किया गया संशोधन न केवल अव्यवहारिक है बल्कि बेतुका भी है।
संशोधन जारी करने के पीछे विभाग की क्या मंशा रही यह तो विभाग जाने लेकिन इससे छात्रों को किसी प्रकार की राहत नहीं मिलने वाली। बीएड के छात्रों की प्रथम सूची 12 अगस्त को जारी हुई थी तथा 18 अगस्त तक प्रवेश हुए। दूसरी सूची भी 25 अगस्त को जारी हुई तथा इसमें प्रवेश शुक्रवार तक होने हैं। जाहिर है  इस अवधि में प्रथम सूची के सभी छात्रों ने  फीस जमा करवा दी है जबकि दूसरी सूची के भी अधिकतर छात्र फीस जमा करवा चुके हैं। अब सवाल यह उठता है कि जो छात्र 12 से 27 अगस्त के बीच अतिरिक्त फीस जमा करवा चुके हैं, उनको राहत कैसे मिलेगी। उनसे वसूली गई फीस वापस कैसे होगी। इसी प्रकार का गड़बड़झाला पिछले सत्र में भी हुआ हो चुका था। वह मामला भी अभी तक सुलझ नहीं पाया है। विभाग ने अधिक वसूली गई राशि के लिए संबंधित कॉलेजों को दिशा-निर्देश जारी कर अपनी औपचारिकता पूरी कर ली, लेकिन छात्रों को राशि नहीं मिली। राशि के लिए छात्र, कॉलेज एवं विभाग के बीच फुटबाल बने हुए हैं। उनको ज्ञापन, धरना व प्रदर्शन जैसे उपक्रम भी करने पड़ रहे हैं।
बहरहाल, लगातार दूसरे सत्र में इसी प्रकार की गफलत से यह तो तय है कि विभाग ने पुरानी गलतियों से कोई सबक नहीं लिया है। साथ ही विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान उठने लगे हैं। संशोधित निर्णय जारी करते समय अधिक वसूली गई फीस को वापस करने का रास्ता दिखाया जाता तो बेहतर होता, क्योंकि इस निर्णय से छात्रों को राहत कम उनकी मुश्किलें ज्यादा बढ़ने वाली हैं। उम्मीद की जानी चाहिए लगातार दो सत्रों से दोहराई जा रही गलती फिर नहीं होगी। साथ ही फीस वापस लौटाने का रास्ता भी विभाग को निकालना होगा, क्योंकि इसमें छात्रों की तो कोई गलती है नहीं।  अगर कॉलेज, विभाग के दिशा-निर्देश नहीं मानते हैं तो उन पर भी कड़ी कार्रवाई की जाए।

साभार : बिलासपुर पत्रिका के 2 सितम्बर 11 के अंक में प्रकाशित।