Thursday, September 13, 2012

ऐसे मनाओ मेरा बर्थ-डे


बोले बप्पा 

पृथ्वी लोक पर इन दिनों मेरा जन्मदिन मनाने की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। कोई मूर्ति बनाकर बेचने में व्यस्त है तो कोई पंडाल सजा रहा है। कोई निमंत्रण पत्र बांट रहा है तो कोई चंदे की रसीदें काटने में मशगूल है। रंगीन पोस्टर भी युद्ध स्तर पर प्रकाशित हो रहे हैं। जिसको जो जिम्मेदारी मिली है, वह उसको बड़ी ही ईमानदारी व शिद्‌दत के साथ निभा रहा है।
प्यारे भक्तो, आजकल जमाना हाइटेक हो गया है और मेरा जन्मदिन भी। कल दुर्ग शहर में मेरे कुछ भक्त आक्रोशित हो गए। उनका कहना था कि मूर्ति बेचने वाला देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को दुकान से बाहर रखकर उनका अपमान करवा रहा है। इससे भक्तों की धार्मिक भावनाएं आहत होती हैं। कल-परसों भी मेरे कुछ भक्तों ने मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को मूर्तियां संयमित व परम्परागत तरीके से बनाने की हिदायत दी थी। चूंकि मामला मेरे से ही जुड़ा है लिहाजा पूछना भी लाजिमी है। तालपुरी में विसर्जित की जाने वाली मेरी प्रतिमाएं साल भर अपनी बदहाली पर आसूं बहाती हैं। कितनी गंदगी पसरी है वहां पर। जितनी ऊर्जा रास्ता रोकने और प्रदर्शन करने में लगाते हो, उतनी श्रमदान करके सफाई करने में लगा दो तो कितना अच्छा लगेगा मुझे। आप मानते हो कि मैं तो सर्वव्यापी हूं। कण-कण में विराजमान हूं। और यह भी कहते हो कि प्रतिमा अगर विधि विधान से प्रतिष्ठापित नहीं है तो फिर वह प्रतिमा ही कैसी? आप लोगों का यह विरोधाभास मेरी समझ में नहीं आया। मेरी परम्परागत तरीके से बनाई गई प्रतिमाएं ही खरीदने का संकल्प भी अगर आप ले लो तो फिर कोई क्यों ऐसी प्रतिमाएं बनाएगा। आप भी तो पोस्टरों में मेरे से बड़ी फोटो और नाम खुद का लगवा लेते हो। मैं तो कहीं दिखाई ही नहीं देता।
प्यारे भक्तो, मैं तो समय-समय पर आपकी नासमझी और नादानी पर पर्दा डाल देता हूं लेकिन जब बात चली है तो कह देता हूं कि मेरा जन्मोत्सव मनाने के नाम पर जोर-जबरदस्ती और धमकी-चमकी देकर चंदा उगाहने वाले भी तो आप ही हैं। कल आप लोग रास्ता रोककर पंडाल लगा देंगे। चोरी की बिजली से झांकी सजाएंगे। झांकी दिखाने के लिए सशुल्क टिकटें कटेंगी। ध्वनि प्रदूषण भी खूब होगा। पंडाल में मेरे दर्शन करवाने में भी भेदभाव होगा।
प्यारे भक्तों, मेरे लिए तो आप सब समान हैं। मैं तो किसी में भेद नहीं करता। माना जन्मदिन मनाना जरूरी है लेकिन मेरे नाम से इस प्रकार के काम भी तो मत करो। पैसे की इतनी बर्बादी क्यों एवं किसलिए? मैं तो भाव एवं प्रेम का भूखा हूं। जो सच्चे मन से याद कर लें मैं तो उसी का हूं। और अगर मेरा जन्मदिन ही मनाना है तो कुछ अलग अंदाज में मनाओ। किसी गरीब की मदद करो। किसी भूखे को भोजन कराओ। किसी असहाय को सहारा दो। अगर आप ऐसा करोगे तो बहुत खुशी होगी मुझे। और जन्मदिन का सबसे बड़ा तोहफा भी।
 
साभार -पत्रिका भिलाई के 13 सितम्बर 12  के अंक में प्रकाशित।