Monday, May 20, 2013

तुम्हारा रिश्ता क्या है?


बस यूं ही 

वैसे तो रेल के सफर का अपना अलग ही अंदाज है। सफर के दौरान होने वाली गतिविधियां एवं चर्चाएं अकेले सफर करने वाले व्यक्ति को काफी संबल और हौसला प्रदान करती हैं। हाल ही में एक ऑफिशियल मीटिंग के सिलसिले में मेरा जयपुर जाना हुआ। भिलाई के पावर हाउस रेलवे स्टेशन से में छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस में सवार हुआ। मेरा आरक्षण बिलासपुर से हुआ था और बताया गया था कि आपका टिकट टीटीई के पास है। वैसे बोगी नम्बर और सीट नम्बर बता दिए गए थे। मैं अपनी निर्धारित सीट पर जाकर बैठ गया। मेरे केबिन में उस वक्त कुल सात लोग बैठे थे जबकि एक बच्चा साइड की अपर बर्थ पर सो रहा था। दरअसल मेरे को साइड की अपर बर्थ ही मिली थी लेकिन बच्चा सोया हुआ था और उसके उसके मम्मी-पापा ने आग्रह किया तो मैं नीचे की बर्थ पर ही बैठ गया। वैसे भी शाम का वक्त था, इस कारण सोने या लेटने का सवाल नहीं उठता था। सात लोगों में एक जोड़ा भी बैठा था। दोनों की उम्र बीस-पच्चीस के बीच रही होगी। दोनों की गतिविधियां देखकर मैं पहली ही नजर में भांप गया था कि मामला प्रेम प्रसंग का है। इसके बावजूद मेरी बगल में बैठे एक सज्जन बार-बार युवक से कुछ पूछ रहे थे। वैसे वो सज्जन कुछ तेज थे, लिहाजा युवक से बातचीत करने के बाद भी वे भी सारा माजरा समझ गए।
ट्रेन दुर्ग रेलवे स्टेशन से नागपुर के लिए रवाना हुई थी कि डिब्बे में टीटीई आ गया। बारी-बारी से सबकी टिकटें चेक की। मैंने बताया था कि मेरी टिकट दूसरे टीटीई के पास है और उनका नाम पार्थो सरकार है। मेरा जवाब सुनकर वह संतुष्ट हो गया। इसके बाद युवक की तरफ मुखातिब हुआ तो युवक ने जेब से ई-टिकट निकाली। टीटीई ने जब युवती से टिकट मांगा तो उसने सामान्य डिब्बे का टिकट दिखाया। टीटीई यह सब देखकर ऊंचे लहजे में बोला, अरे आप, इस डिब्बे में कैसे? आपके पास तो टिकट सामान्य डिब्बे का है। उठिए, आप अपने डिब्बे में जाइए। टीटीई की बात सुनकर युवक एवं युवती दोनों के चेहरों का रंग पीला पड़ गया। थोड़ी हिम्मत जुटाकर युवक बोला हम एडजस्ट कर लेंगे। टीटीई, युवक का जवाब सुनकर सकपकाया और बोला, भला ऐसे कैसे हो सकता है। तो फिर बोला, प्लीज अंकल देख लीजिए ना, कह रहा हूं कि हम बर्थ पर एडजस्ट हो जाएंगे। टीटीई फिर बोला, भइया सीट पर एडजस्ट तो हो जाओगे लेकिन इस डिब्बे में बैठने के लिए जुर्माना लगेगा, आपकी रसीद कटवानी पड़ेगी। युवक ने जिज्ञासावश रसीद की राशि के बारे में पूछा तो टीटीई ने जेब से रेट कार्ड निकाला, हिसाब-किताब लगाकर बोला 1105 रुपए लगेंगे और दोनों को एक ही सीट पर बैठना पड़ेगा। अलग से कोई सीट नहीं मिलेगी। संभवत: नागपुर में टीटीई बदल जाए तो उसकी कोई गारंटी नहीं है। अगर कोई आए तो आप उससे निवेदन कर लेना। 1105 रुपए का नाम सुनते ही युवक बगले झांकने लगा। युवक संभवत: नौसिखुआ था, वह टीटीई के अंदाज को सही तरह से भांप नहीं पाया। टीटीई भी बार-बार पूछने लगता, क्या सोचा, क्या-सोचा? जल्दी करो, जल्दी करो।
करीब पन्द्रह बीस मिनट बाद युवक हिम्मत करके बोला आप रसीद काट दीजिए। इसके बाद युवक ने अपना पर्स निकाला तो उसमें सौ-सौ के दो चार नोट थे। बाकी छोटे नोट थे। चूंकि युवक को अपने पर्स का अंदाजा था, इसलिए कभी वह उसको खोलकर देखे तो कभी बंद कर दे। युवती चुपचाप यह माजरा देख रही थी। वह समझ गई थी कि मामला पैसे पर अटक रहा है। उसने बिना देरी किए तत्काल एक हजार रुपए का नोट निकालकर युवक को थमा दिया।
टीटीई ने तत्काल पैसे गिने और रसीद थमाकर अगले केबिन की ओर चला गया। इधर, युगल पर टिप्पणियों की बौछार होने लगी। रसीद के पैसे पर सभी ने कहा कि बिलकुल मंगल हो गया है। इसके बाद युगल और भी खुलकर बातें करने लगे। दरअसल, युवक मूलत: ओडिशा का रहने वाला था और रायपुर में ही उसने पढ़ाई की और यहीं पर बीपीओ में नौकरी करने लगा। जैसा कि युवक ने बताया कि युवती भी उसके साथ ही काम करती है। युवक किसी साक्षात्कार के सिलसिले में इंदौर जा रहा था। सफर में बोरियत ना हो लिहाजा वह युवती को भी साथ ले आया। उनके तौर-तरीकों एवं टिकट देखने से यह तो अंदाजा हो गया था कि युवक का कार्यक्रम पहले से तय था जबकि युवती का आनन-फानन में ही बना था। सुबह यह युगल भोपाल रेलवे स्टेशन पर उतरा। इस दौरान रोचक वाकया यह हुआ कि पूरे घटनाक्रम को देखने वाला रायपुर का एक सिंधी युवक आखिरी में युवक से पूछ बैठा, यार तुम्हारा रिश्ता क्या है?। सिंधी के सवाल पर केबिन में ठहाके गूंज उठे।
ट्रेन दुर्ग रेलवे स्टेशन से नागपुर के लिए रवाना हुई थी कि डिब्बे में टीटीई आ गया। बारी-बारी से सबकी टिकटें चेक की। मैंने बताया था कि मेरी टिकट दूसरे टीटीई के पास है और उनका नाम पार्थो सरकार है। मेरा जवाब सुनकर वह संतुष्ट हो गया। इसके बाद युवक की तरफ मुखातिब हुआ तो युवक ने जेब से ई-टिकट निकाली। टीटीई ने जब युवती से टिकट मांगा तो उसने सामान्य डिब्बे का टिकट दिखाया। टीटीई यह सब देखकर ऊंचे लहजे में बोला, अरे आप, इस डिब्बे में कैसे? आपके पास तो टिकट सामान्य डिब्बे का है। उठिए, आप अपने डिब्बे में जाइए। टीटीई की बात सुनकर युवक एवं युवती दोनों के चेहरों का रंग पीला पड़ गया। थोड़ी हिम्मत जुटाकर युवक बोला हम एडजस्ट कर लेंगे। टीटीई, युवक का जवाब सुनकर सकपकाया और बोला, भला ऐसे कैसे हो सकता है। तो फिर बोला, प्लीज अंकल देख लीजिए ना, कह रहा हूं कि हम बर्थ पर एडजस्ट हो जाएंगे। टीटीई फिर बोला, भइया सीट पर एडजस्ट तो हो जाओगे लेकिन इस डिब्बे में बैठने के लिए जुर्माना लगेगा, आपकी रसीद कटवानी पड़ेगी। युवक ने जिज्ञासावश रसीद की राशि के बारे में पूछा तो टीटीई ने जेब से रेट कार्ड निकाला, हिसाब-किताब लगाकर बोला 1105 रुपए लगेंगे और दोनों को एक ही सीट पर बैठना पड़ेगा। अलग से कोई सीट नहीं मिलेगी। संभवत: नागपुर में टीटीई बदल जाए तो उसकी कोई गारंटी नहीं है। अगर कोई आए तो आप उससे निवेदन कर लेना। 1105 रुपए का नाम सुनते ही युवक बगले झांकने लगा। युवक संभवत: नौसिखुआ था, वह टीटीई के अंदाज को सही तरह से भांप नहीं पाया। टीटीई भी बार-बार पूछने लगता, क्या सोचा, क्या-सोचा? जल्दी करो, जल्दी करो।करीब पन्द्रह बीस मिनट बाद युवक हिम्मत करके बोला आप रसीद काट दीजिए। इसके बाद युवक ने अपना पर्स निकाला तो उसमें सौ-सौ के दो चार नोट थे। बाकी छोटे नोट थे। चूंकि युवक को अपने पर्स का अंदाजा था, इसलिए कभी वह उसको खोलकर देखे तो कभी बंद कर दे। युवती चुपचाप यह माजरा देख रही थी। वह समझ गई थी कि मामला पैसे पर अटक रहा है। उसने बिना देरी किए तत्काल एक हजार रुपए का नोट निकालकर युवक को थमा दिया।टीटीई ने तत्काल पैसे गिने और रसीद थमाकर अगले केबिन की ओर चला गया। इधर, युगल पर टिप्पणियों की बौछार होने लगी। रसीद के पैसे पर सभी ने कहा कि बिलकुल मंगल हो गया है। इसके बाद युगल और भी खुलकर बातें करने लगे। दरअसल, युवक मूलत: ओडिशा का रहने वाला था और रायपुर में ही उसने पढ़ाई की और यहीं पर बीपीओ में नौकरी करने लगा। जैसा कि युवक ने बताया कि युवती भी उसके साथ ही काम करती है। युवक किसी साक्षात्कार के सिलसिले में इंदौर जा रहा था। सफर में बोरियत ना हो लिहाजा वह युवती को भी साथ ले आया। उनके तौर-तरीकों एवं टिकट देखने से यह तो अंदाजा हो गया था कि युवक का कार्यक्रम पहले से तय था जबकि युवती का आनन-फानन में ही बना था। सुबह यह युगल भोपाल रेलवे स्टेशन पर उतरा। इस दौरान रोचक वाकया यह हुआ कि पूरे घटनाक्रम को देखने वाला रायपुर का एक सिंधी युवक आखिरी में युवक से पूछ बैठा, यार तुम्हारा रिश्ता क्या है?। सिंधी के सवाल पर केबिन में ठहाके गूंज उठे।