Friday, September 9, 2011

'अ' से अरपा और आमजन

टिप्पणी
एक अरसे बाद अरपा को अनूप (जल से परिपूर्ण) देख लोग उत्साहित हैं। मामला आस्था व अकीदत से जुड़ा है, लिहाजा लोगों को अरपा से खासा अनुराग भी है। तभी तो इस अनूठे व अनोखे अवसर को देख लोग बेहद रोमांचित हैं। वैसे भी पूर्ण आवेग से बहती अरपा का आकर्षक नजारा किसी अजूबे से कम नहीं है। उसकी उफनती अतुलनीय व अद्वितीय अदाओं व आश्चर्यजनक अंदाजों को कैमरे में कैद करने की होड़ सी लगी है, गोया अक्कासी (फोटोग्राफी) की कोई प्रतियोगिता हो। मोबाइल लिए सैकड़ों अक्कास (फोटोग्राफर) अकस्मात ही पैदा हो गए हैं। शनिचरी रपटे का नजारा तो किसी उत्सव से कम नहीं। अपार हर्ष से लबरेज लोग बड़ी शिद्‌दत के साथ अरपा के साथ आनंद मना रहे हैं, झूम रहे हैं। कुछ अति उत्साही तो खुशियों के अतिरेक में अमान (सुरक्षा) को भी दरकिनार कर रहे हैं। अरपा की इस अंगड़ाई को आमजन अचरज से निहार रहा है लेकिन उसके आवेश एवं आक्रोश से अनजान बना है। लम्बे अंतराल के बाद उदासी का लबादा उतार कर उफनी अरपा आम लोगों के लिए नया अनुभव हो सकती है लेकिन जान की कीमत पर कतई नहीं।
क्योंकि जीवन अनमोल है। उत्साह में अक्लमंदी जरूरी है। प्रशासन की मुनादी की अवहेलना नहीं उस पर अमल आवश्यक है। अफवाहों से सावधान एवं सावचेत रहना भी जरूरी है। पता नहीं अति उत्साह में  कब कोई आपका अजीज इस अवाम से अलविदा हो जाए और आपकी आंखों में अश्क व लबों पर अफसोस के अलावा कुछ नहीं रहे।
इन सब के अलावा अरपा का दूसरा रूप भी है। अतिवृष्टि के चलते अंतः सलीला की अतुराई (चंचलता) से लोग भले ही उत्साहित हों लेकिन इससे अब अपकार (अहित) ज्यादा हो रहा है। इसका रौद्र रूप देखकर लोग अनहोनी और अमंगल की आशंका में अधीर हो चले हैं। अरपा किनारे आबाद कई आशियानों का तो अस्तित्व ही गायब हो गया है। गाढ़ी कमाई से तैयार किए गए आशियानों को छोड़कर अन्यत्र जाने में लोग असहज महसूस कर रहे हैं, उनको असुविधा हो रही है, लेकिन सवाल जिंदगी का है। अरपा से आहत अधिकतर लोगों पर प्रशासनिक अमले की अनुकम्पा तो बनी हुई है लेकिन लोग इससे असंतुष्ट दिखाई देते हैं। राहत के नाम पर किए गए प्रबंध नाकाफी हैं। उनमें अव्यवस्था होने से लोगों में असंतोष है। बहरहाल, आसमान के नीचे आए लोगों को नीड़ के फिर से निर्माण के लिए अनकूल मौसम का इंतजार है। ...और आर्थिक मदद का भी।

साभार : बिलासपुर पत्रिका के 9 सितम्बर 11 के अंक में प्रकाशित।