Thursday, April 25, 2019

गंगानगर लोकसभा क्षेत्र : किसान फसल कटाई में व्यस्त, चौपालों में सन्नाटा

गंगानगर।.लोकसभा चुनाव में 15 दिन से भी कम समय बचा है। यहां मतदान दूसरे चरण में होना है। इसके बावजूद अभी चुनावी माहौल रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। भाजपा ने निहालचंद को यहां से लगातार सातवीं बार टिकट दिया है वहीं भरतराम मेघवाल को कांग्रेस ने तीसरी बार टिकट दिया है। लोकसभा क्षेत्र की करीब 550 किलोमीटर की यात्रा के दौरान पाया कि किसी भी कस्बे या गांव में कोई चुनावी रौनक नहीं थी। हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर इक्का-दुक्का जगह दोनों प्रमुख दलों के होर्डिंग्स जरूर लगे हैं, लेकिन उनमें भी स्थानीय नेता गौण हैं। खेती-किसानी वाला इलाका होने से इन दिनों ज्यादा चहल-पहल खेतों में ही है। खेतों से लेकर मंडियों तक कृषि जिन्सों की आवक का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। जौ मंडियों में आ चुका है, जबकि सरसों की आवक चल रही है। गेहूं की फसल पक कर तैयार है। चना फसल की कटाई भी जारी है। तूड़ी से भरे ट्रक भी सडक़ों पर खूब दौड़ रहे हैं। इस सीजन की फसलों की कटाई को यहां हाड़ी (लावणी) कहा जाता है।
चुनावी चर्चाओं से दूर फसल समेटने में जुटे मतदाताओं का मानस टटोलने, मैं सबसे पहले निकल पड़ता हूं भारत-पाक सीमा से सटे केसरीसिंहपुर कस्बे की ओर। केसरीसिंहपुर और श्रीकरणपुर इलाका सरसब्ज है। यहां गन्ना सर्वाधिक होता है। केसरीसिंहपुर के पास कमीनपुरा गांव स्थित शुगर मिल में गन्ना पिराई का दौर हाल ही थमा है, हालांकि उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरपुर से यहां गुड़ बनाकर बेचने के लिए हर साल आने वाले कारीगर अभी भी गुड़ तैयार करने में जुटे हैं। केसरीसिंहपुर में कहीं कोई चुनावी चर्चा या रंगत नजर नहीं आई। कड़ी धूप के चलते केसरीसिंहपुर की गलियों में जहां सन्नाटा पसरा था, वहीं खेतों में कहीं ट्रैक्टरों की घरघराहट तो कहीं थ्रेसर की आवाज सुनाई दे रही थी। यहां से मैं श्रीकरणपुर की तरफ बढ़ता हूं, जहां की कृषि मंडी में सर्वाधिक चहल-पहल है। यहां बड़ी संख्या में श्रमिक जौ को बोरियों में भरकर ट्रकों में लदान करने के काम में जुटे थे। चुनावी चर्चा के सवाल पर सभी बोल पड़े, ‘अभी चुनाव के लिए किसको फुर्सत है, जिस दिन मतदान होगा वोट डाल देंगे। अभी तो काम का सीजन है।’ श्रीकरणपुर विधानसभा सिख बाहुल्य मानी जाती है। श्रीकरणपुर से गजसिंहपुर से होते हुए मैं रायसिंहनगर पहुंचता हूं। रायसिंहनगर भाजपा प्रत्याशी तथा मौजूदा सांसद निहालचंद का शहर है, जहां के बाजार में सन्नाटा पसरा है। रविवार की वजह से अधिकतर दुकानें बंद हैं। रायसिंहनगर से आगे श्रीबिजयनगर की तरफ बढ़ता हूं। दोपहर का डेढ़ बजा है, फिर भी यहां के एक चौक पर हाइमास्ट लाइट जलती मिली। रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी में जौ की बोरियां लादी जा रही थी। श्रीबिजयनगर से मैं सीधा सूरतगढ़ पहुंचता हूं। रेलवे स्टेशन के पास गन्ने के ज्यूस की रेहड़ी पर मैं एक शख्स भानीराम मांझू से रूबरू होता हूं। 55 वर्षीय मांझू हनुमानगढ़ जिले के प्रेमपुरा के रहने वाले हैं। इनका विधानसभा क्षेत्र हनुमानगढ़ ही है। चुनाव की बात पर तपाक से बोलते हैं, स्थानीय प्रत्याशी कोई भी हो, कैसा भी हो, हमारे लिए यह मायने नहीं रखता है। हम तो मोदी को वोट देंगे। मेरा हाथ पकडकऱ मांझू मुझसे ही सवाल पूछते हैं, आप ही बताएं क्या काम नहीं हुआ? मैं उनके सवाल पर मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाता हूं। सूरतगढ़ से पीलीबंगा होते हुए मैं सीधा रावतसर पहुंचता हूं। कांग्रेस प्रत्याशी भरतराम मेघवाल इसी कस्बे से आते हैं। यहां एक दुकान पर बैठे तीन जनों से मेरी बात शुरू होती है। जैसे-जैसे बात बढ़ती है और लोग भी आते हैं। रामजस बुरडक़ कहते हैं, दोनों ही पार्टियों ने भला नहीं किया। रावतसर को रेल लाइन से जोडऩे तथा सेना के जमीन अधिग्रहण का मामला लंबित है। पूर्व सांसद बीरबलराम ने जरूर बस स्टैंड बनवाया, बाकी किसी ने यहां कुछ काम नहीं किया। बुरडक़ कहते हैं, निहालचंद ने संसद में 93 फीसदी उपस्थिति दी। 153 सवाल पूछे, लेकिन हमारे इलाके से संंबंधित एक भी सवाल नहीं पूछा।
वो चुटकी लेते हैं, भाजपा प्रत्याशी के पास कोई उपलब्धि नहीं है, इसलिए वो मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं, जबकि भरतराम मेघवाल मतदाताओं के समक्ष मौजूदा सांसद को निशाना बनाते हैं। सांसद से इतनी पीड़ा होने के बावजूद बुरडक़ कहते हैं, निहालचंद को वोट देने का मन तो नहीं है, लेकिन मजबूरी जरूर है। उनकी बात का समर्थन दुकानदार हेतराम मोठसरा करते हुए कहते हैं वो उम्मीदवार को नहीं केन्द्र के नेता को देखकर ही वोट देंगे। पास बैठे पत्रकार ओम पारीक कहते हैं विधानसभा में हमने कस्बे का विधायक जिताया, वही भावना लोकसभा चुनाव में रहने वाली है। इन सब के बीच संघ विचारधारा से प्रभावित पुरुषोत्तम शर्मा कहते हैं, अगर मोदी जी देशभक्त हैं तो भारत को मजबूत बनाने पर जोर देना चाहिए। अर्द्ध सैनिक बलों की पेंशन शुरू करनी चाहिए थी। वो बीएसएफ के जवान तेजपाल यादव के खाने संबंधी उस वीडियो को याद करते हुए कहते हैं, उसके साथ क्या हुआ। उसकी बात पर गौर करने की बजाय, उसे सेवा से ही हटा दिया गया। ऐसा नहीं होना चाहिए। जो कमी है, उसमें सुधार करना चाहिए। रोजगार के साधन खत्म हो रहे हैं। नहरों में प्रदूषित पानी, जेसीटी व स्पिनिंग मिल बंद होना, थर्मल के निजीकरण के प्रयास से रोजगार कम हुए हैं। पुरुषोत्तम आरोप लगाते हैं कि सांसद निधि से रावतसर में कोई काम नहीं हुआ।
रावतसर से सीधा हनुमानगढ़ आता हूं, जहां मेरी मुलाकात किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक व्यास, जनरल मर्चेन्ट एसोसिएशन के विजय बलाडिय़ा व खुदरा मार्केट एसोसिशन के अध्यक्ष सुभाष नारंग से होती है। तीनों की सभी पार्टियों से एक ही शिकायत है कि सांसद बनने वाले हनुमानगढ़ नहीं आते। हनुमानगढ़ को जिला बने 25 साल हो गए, लेकिन आज भी गांव जैसा ही दिखाई देता है। विकास नहीं हुआ है। तीनों व्यापारी प्रतिनिधियों ने कहा कि नहरी तंत्र को मजबूत करने तथा रेल सेवाओं में विस्तार करने से ही हनुमानगढ़ का विकास संभव है। हनुमानगढ़ के बाद मेरा अगला पड़ाव हरियाणा की सरहद से सटी शिक्षा नगरी संगरिया था। यहां मेरी मुलाकात भाजपा व कांग्रेस पदाधिकारियों से होती है। पूर्व पालिकाध्यक्ष व किसान नेता अशोक चौधरी कहते हैं, चुनाव के प्रति
कोई उत्साह ही नहीं है। नहरों में इतना गंदा पानी आ रहा है, लेकिन प्रदूषित पानी की चिंता किसी को नहीं है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष राजेश डोडा व शिवकुमार बारूपाल भी अशोक चौधरी की बात पर सहमति जताते हैं। साथ ही मौजूदा सांसद पर आरोप लगाते हैं कि उनकी क्षेत्र में सक्रियता कम ही रही है। इस आरोप पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष पूर्ण मिढ्ढा कहते हैं, सांसद ने सक्रियता दिखाई है और काम भी किए हैं। संगरिया से मैं सादुलशहर आता हूं, जहां समाजसेवी तुलसीराम सारस्वत मिलते हैं।
वो कहते हैं जिले में निराश्रित गोवंश की बढ़ती संख्या बड़ी चुनौती है। इसका समाधान करना होगा। कस्बे के प्रमुख चिकित्सक डॉ बी.बी. गुप्ता कहते हैं, भाजपा ने भ्रष्टाचार व बेरोजगारी खत्म करने पर पिछला चुनाव लड़ा था, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म हुआ न बेरोजगारी। एडवोकेट रवीन्द्र मोदी कहते हैं, आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण देना तथा लोकपाल की नियुक्ति करना केन्द्र सरकार के बड़े फैसले रहे हैं।
कुल मतदाता 19.28 लाख
पुरुष मतदाता : 10.10 लाख
महिला मतदाता : 9.18 लाख
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राजस्थान पत्रिका के राजस्थान में प्रकाशित तमाम संस्करणों में 23 अप्रेल 19 के अंक में प्रकाशित। 

परिवारवाद और धनबल



दक्षिण भारत की राजनीति की कड़वी हकीकत
आंध्र प्रदेश चुनाव में चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और जगनमोहन रेड्डी की वाइएसआर कांग्रेस में मुख्य मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों ही पार्टियां मूल रूप से परिवारवाद आधारित हैं। दोनों नेताओं के साथ इनका परिवार व रिश्तेदार चुनावी मैदान में हैं।
रण में नहीं, लेकिन प्रचार में सक्रिय
दोनों परिवारों के कुछ प्रमुख चेहरे चुनाव न लड़ प्रचार में जुटे हैं। इनमें एनटीआर के दूसरी पत्नी लक्ष्मी पार्वती, वाइएसआर की पत्नी विजयमा, पुत्री वाइएस शर्मिला एवं जगन मोहन की पत्नी भारती रेड्डी शामिल हैं।
आंध्रप्रदेश की समूची सियासत यहां के दो दिवंगत खांटी नेताओं के परिवार व रिश्तेदारों के इर्द-गिर्द ही घूमती दिखाई देती है। इन परिवारों के कमोबेश सभी सदस्य ही सियासत में रमे हैं। एक परिवार तेलुगूदेश पार्टी के संस्थापक दिवंगत एनटी रामाराव से जुड़ा है तो दूसरा कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे स्वर्गीय वाइएस राजशेखर रेड्डी से संबंधित है। मौजूदा चुनाव भी इन दो परिवारों के बीच ही लड़ा जा रहा है। 
एनटीआर की पार्टी अपने उसी पुराने नाम से चल रही है जबकि कांग्रेस नेता वाइएस राजशेखर रेड्डी की हेलीकॉप्टर हादसे में मृत्यु के बाद उनके पुत्र जगन मोहन रेड्डी ने वाइएसआर कांग्रेस पार्टी के नाम से नए दल का गठन किया था। वर्तमान में तेलुगूदेशम पार्टी के चंद्रबाबू नायडू आध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं तो वाइएसआर कांग्रेस के जगन मोहन रेड्डी नेता प्रतिपक्ष है। इन दोनों नेताओं के साथ इनका परिवार व रिश्तेदार भी चुनावी मैदान में हैं या सियासत से जुड़े हुए हैं।
मैदान में परिजन- रिश्तेदार
चंद्रबाबू नायडू- स्वयं सीएम, पूर्व सीएम एनटी रामाराव के दामाद। कुप्पम विधानसभा से मैदान में हैं।
नारा लोकेश- चंद्रबाबू नायडू के बेटे हैं। मंगलागिरी विधानसभा से मैदान में।
नंदूमूरि बालाकृष्ण- एनटीआर के पुत्र हैं। हिन्दुपुर विधानसभा से प्रत्याशी।
दग्गुबती पुरंदेश्वरी- एनटीआर की पुत्री। विशाखापट्टनम लोस से भाजपा उम्मीदवार। 
दग्गुबाटी वेंकटेश्वरा राव- पुरंदेश्वरी के पति। परचुरू विस सीट पर वायएसआरसी प्रत्याशी। 
भरत- नारा लोकेश के साढ़ू। विशाखापट्टनम लोस से टीडीपी प्रत्याशी।
वाईएस जगन मोहन रेड्डी- वाइएसआर अध्यक्ष। पुलिवेंदुला विस से मैदान में हैं।
अविनाश रेड्डी- जगन मोहन के चचेरे भाई हैं। कडापा लोकसभा से मैदान में।
अरकू में पिता-पुत्री आमने-सामने
प्रदेश में एसटी के लिए सुरक्षित अरकू लोकसभा क्षेत्र में मुकाबला बाप-बेटी के बीच है। तीस साल तक कांग्रेस के साथ रहे किशोरचंद्र देव ने इस बार कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है। वह अब तेलुगूदेश पार्टी के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। इधर, कांग्रेस ने उनकी पुत्री श्रुतिदेवी को टिकट देकर चुनाव में उतार दिया है।
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11 अप्रेल 19 के अंक में...पत्रिका के तमाम संस्करणों में प्रकाशित...

चुनाव प्रचार में क्षेत्रीय दलों से पीछे भाजपा-कांग्रेस

वाइएसआर कांग्रेस और टीडीपी में होर्डिंग वार
मतदान की तिथि नजदीक आने के साथ ही आंध्रप्रदेश में चुनावी रंगत परवान चढऩे लगी हैं। सड़कों किनारे बड़े-बडे होर्डिंग लग गए हैं। बड़े-बड़े कटआउट व पार्टी के रंग में रंगे व लाउडस्पीकर लगे वाहन दौडऩे लगे हैं। रेलवे स्टेशनों व बस स्टैंड पर भी राजनीतिक दलों का प्रचार हो रहा है।
चुनाव परिणाम अभी भविष्य के गर्भ में है, पर तेलुगुदेशम पार्टी व युवाजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (वाइएसआर कांग्रेस पार्टी) के बीच जबरदस्त होर्डिंग वार छिड़ी है। विशाखापट्टनम से विजयनगरम के बीच सड़क किनारे होर्डिंग लगाने की दोनों दलों में होड़-सी मची है, वहीं विजयवाड़ा से गुंटूर तक सड़क के दोनों ओर तेलुगुदेशम पार्टी का ही कब्जा है। होर्डिंग में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ही हैं, साथ में योजनाओं की जानकारी भी है।
कुछ होर्डिंग में तेलुगुदेशम पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव भी नजर आते हैं, पर वाइएसआर सीपी के पोस्टर व बैनर में जगन मोहन रेड्डी के साथ उनके दिवंगत पिता व पूर्व मुख्यमंत्री वाइएसआर राजशेखर रेड्डी का फोटो जरूर दिखाई दिया। चुनाव प्रचार में भाजपा व कांग्रेस क्षेत्रीय दलों से काफी पीछे हैं।
रविवार को विजयवाड़ा का अधिकतर बाजार बंद ही रहता है। मैंने बस पकड़ी और निकल गया गुंटूर की ओर। इन दिनों कृष्णा नदी में पानी नहीं है। नदी पार कर बस आगे बढ़ी तो सड़क किनारे बड़े-बड़े होर्डिंग नजर आए। प्रचार के मामले में तेलुगूदेशम के अलावा और किसी भी पार्टी का यहां नामोनिशान ही नहीं है। बगल में बैठे युवक से बातचीत शुरू की। पेशे से शिक्षक हरीश ने जैसे-तैसे हिंदी में होर्डिंग का मजमून समझाया। हरीश ने बताया कि इस बार मुकाबला जोरदार होगा। हालात 'कुछ भी हो सकता है' वाले हो गए हैं। उसका कहना था कि उत्तरी आंध्रा में इस बार जनसेना मुकाबला त्रिकोणीय बना सकती है, पर दक्षिणी आंध्रा में मुकाबला टीडीपी व वाइएसआर सीपी के बीच ही होगा। बातों का सिलसिला चलता रहा और करीब 35 किलोमीटर की यात्रा तय करने के बाद हम गुंटूर पहुंचे। हरीश भी गुंटूर का ही निवासी है। केन्द्र में कौन पसंद है, के सवाल पर हरीश ने मोदी का नाम लिया।
गुंटूर की पहचान लाल मिर्च के लिए पूरे देश में हैं। यहां की मिर्च मंडी एशिया की सबसे बड़ी मानी जाती है। ऑफ सीजन के कारण मंडी में सन्नाटा पसरा था। चलते-चलते एक दुकान पर तीन युवकों को बैठे देखा। अंग्रेजी में पूछा, इस बार वोट किसको, तो उनमें से एक बोला, 'सेंटर में मोडी और स्टेट में रेड्डी।'

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 5 अप्रेल 19 के अंक में पत्रिका के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित ।

पार्टियों का झंडा उठाने में महिलाएं, पुरुषों से आगे

आंध्र की रैलियों में महिलाओं की भागीदारी अधिक
राजनीति के मामले में महिलाएं हाशिये पर हैं, लेकिन राजनीतिक दलों का प्रचार करने के मामले में आंध्रप्रदेश की महिलाओं का कोई सानी नहीं। दल चाहे स्थानीय हों या राष्ट्रीय, लेकिन पार्टियों का झंडा उठाने में पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ही आगे हैं। कोई इसे सीधा मजदूरी से जोड़ता है, तो कोई इस कारण को पार्टी हित की बात कह खारिज कर देता है।
प्रदेश में महिलाओं से जुड़ी एक उजली तस्वीर यह है कि महिला साक्षरता दर कम होने के बावजूद यहां लिंगानुपात राष्ट्रीय अनुपात से ज्यादा है। प्रदेश की 25 लोकसभा सीटों पर महिला सांसद दो ही हैं। 16वीं लोकसभा में मात्र 65 महिला सांसद चुनी गईं। यह आंकड़ा कुल क्षमता का महज 12.45त्न है।
दो रैलियां, दोनों में महिलाएं: विशाखापट्टनम से विजयनगरम जाते समय रास्ते में दो जगह चुनावी रैलियां नजदीक से देखीं। दोनों ही चुनावी रैलियों में महिलाएं प्रमुखता से नजर आईं। भीपाली बीच के पास तेलुगुदेशम पार्टी कार्यालय में एकत्रित महिलाएं साइकिल निशान का पीला झंडा व पीली टोपी लगाए बैठी थीं। निर्देश पाते ही सब कतारबद्ध हो नारेबाजी करते हुए कस्बे में प्रवेश कर गईं। इसी तरह तगरपोवलसा कस्बे में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में निकाली जा रही रैली में भी पार्टी के झंडे और टोपी लगाए महिलाएं ही पर्चे बांट रही थीं।
प्रदेश में महिला श्रमिकों की अधिकता है। होटल हो या पेट्रोल पंप, महिलाओं का नजर आना सामान्य है। यही कारण है कि चुनावी रैलियों में महिलाओं प्रमुखता से नजर आती हैं। अनकापल्ली के गणेश कहते हैं कि महिलाओं को कम पारिश्रमिक देना पड़ता है, इसलिए पार्टियां उन्हें प्राथमिकता देती हैं। विजयवाड़ा के बीए छात्र कृष्णकांत कहते हैं कि महिलाएं भी तो पार्टी से जुड़ी होती हैं, उनके पास भी तो पद होता है।
देहाती इलाकों में दिखाई देती है चुनावी रंगत: आंध्रप्रदेश की चुनावी रंगत और पार्टी कार्यालयों के माहौल व गतिविधियों को जानने-समझने के लिए विशाखापट्टनम व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का भ्रमण किया। देहात यानी ग्रामीण क्षेत्रों पर चुनावी रंग ज्यादा चढ़ा हुआ पाया। पहले दिन एनटीआर भवन (तेलुगुदेशम पार्टी के कार्यालय भवन) पहुंचा, जहां सन्नाटा था। वजह पूछी तो बताया गया कि चुनाव के चलते सब फील्ड में हैं। इसी तरह जब कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डॉ. टी. सुब्बारामी रेड्डी के आवास पर पहुंचा, तो वहां भी सन्नाटा था। एक युवक ने बताया कि नेताजी शहर से बाहर हैं।

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आज 4 अप्रैल 19 को राजस्थान पत्रिका के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित।

स्थानीय क्षत्रपों के बीच ही मुख्य मुकाबला

आंध्र का भरोसा: मोदी जीतें या राहुल, कुर्सी पर हम ही बैठाएंगे
लोकसभा 2019
समुद्र किनारे व पहाड़ों की गोद में बसे आंध्र प्रदेश के खूबसूरत शहर विशाखापट्टनम में सियासी गर्मी उतनी नहीं है, जितना कि यहां का तापमान। हिन्दी बोलने व समझने वालों की संख्या यहां बेहद कम है लेकिन राजनीतिक समझ गजब की है। आंधप्रदेश में लोकसभा की 25 सीटों के साथ 175 विधानसभा सीटों के लिए भी पहले चरण में ही मतदान हो रहा है। दोनों ही चुनावों में इस बार भाजपा व कांग्रेस के अलावा तीन प्रमुख स्थानीय पार्टियां मैदान में हैं। फिर भी मुख्य मुकाबला चंद्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी ) व आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाइएसआर राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन मोहन रेड्डी की वाइएसआर कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है।
पिछले चुनाव में टीडीपी के साथ सहयोगी के रूप में चुनाव में उतरी भाजपा इस बार अपने दम पर मैदान में है। पिछले चुनाव में भाजपा ने इस प्रदेश से दो सीट जीती थीं। कांग्रेस के पास यहां खोने को कुछ नहीं है। पिछले चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला था। फिल्म अभिनेता चिरंजीवी के भाई पवन कल्याण भी इस बार मैदान में हैं। वह खुद फिल्म अभिनेता भी हैं। उनकी जन सेना पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में टीडीपी व भाजपा के लिए प्रचार किया था, पर इस बार उनका किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं है। नागपुर से विजयवाड़ा जाते वक्त ट्रेन में सवारियों से चर्चा हुई। जी सुपैप्या व अशोक वर्मा, दोनों ही इस बात पर एकमत थे कि केंद्र सरकार में आंध्र की हिस्सेदारी जरूर रहेगी।
हिन्दुत्व और रोजगार भी जुबान पर
आरके बीच पर सब अपनी ही मस्ती में मगन थे। नारियल पानी बेच रहे रामा रेड्डी से मैंने केवल पवन कल्याण के बारे में पूछा, तो रामा ने कहा कि आंध्र प्रदेश में नायडू के बाद अगर कोई नेता होगा तो वो पवन कल्याण ही होगा। चिरंजीवी ही राजनीति में नहीं चले तो फिर पवन कल्याण का क्या भविष्य है? तो कहने लगे जो बात पवन में है वह चिरंजीवी में नहीं। हमारी चर्चा सुनकर पास खड़े दूसरे शख्स ने तपाक से कहा, इस बार चुनाव में हिन्दुत्व भी मुद्दा रहेगा और इसका असर आंध्र प्रदेश में भी पड़ेगा। तभी वहां आकर रुके एक मोटरसाइकिल सवार ने हमारी बातें गौर से सुनी और जाते-जाते कह गया कि मुकदमा दर्ज होने पर सरकारी नौकरी नहीं मिलती है, पर जिस पर मुकदमे होते हैं, वह चुनाव लड़ सकता है। आंध्र प्रदेश में कई लोग मौजूदा मुख्यमंत्री के कार्यकाल की सराहना के साथ यह सवाल भी उठाते हैं कि जगन मोहन रेड्डी महज पिता के कामों को याद करके वोट मांग रहे हैं।

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2 अप्रेल 19 को राजस्थान के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित।

तू जी एे दिल जमाने के लिए

 अजीम प्रेम जी : भारत के सबसे बड़ा दानी
लोकसभा चुनाव की चर्चा शोर के बीच एक एेसा नेक व प्रेरणादायी काम भी हुआ, जिसकी धमक समूचे विश्व में सुनाई दी। यह काम इसीलिए भी विशेष है, क्योंकि एेसा कर पाना हर किसी के बस की बात नहीं है। परोपकार से जुड़ा यह पुनीत काम किया है आईटी दिग्गज व विप्रो के अध्यक्ष अजीम प्रेेम जी ने। उन्होंने बीते सप्ताह विप्रो लिमिटेड के 34 फीसदी शेयर परोपकार कार्य के लिए दान कर दिए। इन शेयर का बाजार मूल्य 52,750 करोड़ रुपए हैं। बताते चलें कि प्रेमजी देश की तीसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो के चेयरमैन हैं।  वह अपने फाउंडेशन के माध्यम से लोगों की मदद करने का काम करते हैं। इसमें वह अब तक 145,000 करोड़ रुपए दे चुके हैं। दरअसल, अजीम प्रेमजी ने 'अजीज प्रेमजी फाउंडेशन' समाजसेवा के लिए बनाया है। यह फाउंडेशन मुख्य रूप से शिक्षा के क्षेत्र में काम करती है तथा इस क्षेत्र में काम करने वालों को आर्थिक मदद भी देता है। फाउंडेशन प्रमुख रूप से कर्नाटक, उत्तराखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पुडुचेरी, तेलंगाना, मध्यप्रदेश और उत्तर-पूर्वी राज्यों में सक्रिय है। वंचित तबकों के लिए काम कर रहे करीब 150 एनजीओ को पिछले पांच साल में अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से फंड भी मिला है। फाउंडेशन की ओर से बेंगलुरू में अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी का संचालन भी किया जाता है। बताया गया है कि जल्द ही यूनिवर्सिटी को पांच हजार छात्रों और 400 शिक्षकों की क्षमता वाला बनाया जाएगा। इसके बाद फाउंडेशन की उत्तर भारत में भी एक यूनिवर्सिटी खोलने की योजना है। प्रेमजी का जन्म 24 जुलाई 1945 में हुआ था और महज 21 साल की उम्र में उन्होंने विप्रो लिमिटेड  की स्थापना की। उनकी पत्नी का नाम यास्मीन हैं। प्रेमजी के दो पुत्र हैं। अपनी काबिलियत के चलते प्रेमजी ने साबुन-तेल बेचने वाली कंपनी को भारत की विशाल आईटी कंपनी बना दिया। संपत्ति के  शिखर पर पहुंचने के बावजूद प्रेमजी ने त्याग और परोपकार के गुणों को अपनाए रखा। प्रेमजी की दानशीलता पर बॉयोटेक की संस्थापक  किरन मजूमदार शॉ ने ट्वीट किया कि, 'अजीम प्रेमजी बेहद खास हैं। बेशकीमती हैं और सच्चे 'भारत रत्न' हैं। 

ठुकरा दिया था पाक जाने का प्रस्ताव
अजीम प्रेमजी का परिवार मूलत: पाकिस्तान से ही भारत आया था। बताते हैं कि विभाजन के समय पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना ने अजीम प्रेमजी के पिता मोहम्मद हाशिम प्रेमजी को पाकिस्तान चलने का आग्रह किया। इतना ही नहीं प्रेमजी के पिता ने पाकिस्तान का वित्त मंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा कर भारत में ही रहना ही पसंद किया। उस वक्त हाशिम प्रेमजी चावल और कुकिंग ऑयल के ख्यात कारोबारी थे और राइस किंग ऑफ  बर्मा कहे जाते थे।
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राजस्थान.पत्रिका के तमाम संस्करणों में 23 मार्च 19 के अंक में संपादकीय पेज पर प्रकाशित

केन तनाका: विश्व की सबसे उम्रदराज जीवित महिला

116 की उम्र में गणित का अध्ययन
भले ही पहला सुख निरोगी काया को माना गया हो, पर तनाव व भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद को स्वस्थ रखना किसी चुनौती से कम नहीं है। मौजूदा दौर में स्वस्थ व लंबा जीवन जीना किसी अजूबे से कम नहीं है। इस मामले में जापान के लोग खुशकिस्मत हैं। इसी सप्ताह गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रेकॉड्र्स ने जापान के फुकुओका में रहने वाली केन तनाका को दुनिया की सबसे उम्र-दराज महिला का खिताब दिया है। तनाका इस उम्र में भी गणित का अध्ययन करती है। मोतियोबिंद और कैंसर के कारण तनाका की सर्जरी भी हुई है। कैंसर को मात देने वाली केन को बोर्ड गेम ऑथेलो इतना पसंद है कि वह अब इसकी एक्सपर्ट बन गई हैं। बमुश्किल ही परिवार का कोई सदस्य इन्हें हरा पाता है। तनाका 9 मार्च 2019 तक 116 साल 66 दिन की जिंदगी जी चुकी हैं। तनाका को यह खिताब हाल ही फुकुओका के एक नर्सिंग होम में दिया गया, जहां वह रहती हैं। इस सेलिब्रेशन में उनके परिजन और शहर के मेयर मौजूद थे। बताते चलें कि तनाका का जन्म 2 जनवरी 1903 को हुआ था। वह अपने माता-पिता की सातवीं संतान हैं।
कुछ महीनों पहले दिए गए एक साक्षात्कार के मुताबिक तनाका खानपान पर विशेष ध्यान रखती हैं। डाइट में चावल, छोटी मछली और सूप लेती हैं तथा काफी मात्रा में पानी पीती हैं। तनाका के मुताबिक उनकी लंबी उम्र का राज खाने-पीने की आदत हैं। मिठाइयों के अलावा उन्हें कॉफी पीना अधिक पसंद है। वह रोजाना सुबह 6 बजे उठ जाती हैं और रात 9 बजे तक सो जाती हैं।
खास बात यह है कि तनाका से पहले सबसे बुजुर्ग जीवित व्यक्ति का खिताब जापान की ही एक अन्य महिला चियो मियाको के नाम था जिनकी 117 की उम्र में पिछले साल 22 जुलाई, 2018 को मृत्यु हो गई थी। 116 साल की केन अब तक जिए सबसे उम्रदराज शख्स का खिताब हासिल करने से छह साल पीछे हैं। यह खिताब पिछले 22 साल से फ्रांस की जेनी लुईस कालमेंट के पास है। 21 फरवरी 1875 को जन्मी जेनी ने 4 अगस्त 1997 को 122 साल 164 दिन की उम्र में आखिरी सांस ली थी। जापान के रहने वाले मासाजो नोनाका का 20 जनवरी 2019 को 113 वर्ष 179 दिन की उम्र में निधन के बाद सबसे ज्यादा लंबे समय तक जीवित रहने वाले पुरुष के रिकॉर्ड के लिए जांच चल रही है। नए रिकॉर्ड धारक की पुष्टि होने की जानकारी मिलने के बाद उसकी घोषणा की जाएगी। अब तक सबसे बुजुर्ग पुरुष का रिकॉर्ड जापान के जिरोमेन किमुरा के नाम है। उनका जन्म 19 अप्रैल 1897 को और निधन 12 जून 2013 को 116 वर्ष 54 दिन की आयु में हुआ था।
तनाका इस उम्र में भी गणित का अध्ययन करती है। मोतियोबिंद और कैंसर के कारण तनाका की सर्जरी भी हुई है। कैंसर को मात देने वाली केन को बोर्ड गेम ऑथेलो इतना पसंद है कि वह अब इसकी एक्सपर्ट बन गई हैं। बमुश्किल ही परिवार का कोई सदस्य इन्हें हरा पाता है।
आपको जान कर आश्चर्य होगा कि जापान के अधिकतर लोग सौ साल से ज्यादा जीते हैं। दूसरों देशों के मुकाबले जापान के लोग बीमार भी कम होते हैं। इसका प्रमुख कारण इनकी संयमित जीवनचर्या और खानपान है। जापान के लोग स्पेशल चाय दिन में कई बार पीते हैं। वे साफ सफाई के प्रति सजग रहते हैं और दिन में दो बार नहाते हैं। ज्यादा समय घर की बजाय बाहर बिताना पसंद करते हैं। जापानी लोग बैठने के बजाय चलने या खड़े रहने को प्राथमिकता देते हैं। यहां के लोग दिन की शुरुआत रेडियो टेसो से करते हैं। यह एक तरह ही जापानी मॉर्निंग एक्सरसाइज है।
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पत्रिका समूह के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर ..16 मार्च 19 के अंक.प्रकाशित....

21 की उम्र में रिएलिटी टीवी स्टार ने हासिल किया करिश्माई मुकाम

फेस ऑफ द वीक : काइली जेनर
संयोग देखिए, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर आई यह खबर ऐसी महिला से जुड़ी है जो मात्र 21 साल की उम्र में ही सफलता के सर्वोच्च शिखर तक पहुंच गई। खबर ने उस आम धारणा को भी खारिज किया है जिसको लेकर कहा जाता है कि सफलता और प्रसिद्धि अक्सर बड़े होने के बाद ही आती है। 
अल्प समय में करिश्माई कामयाबी के अर्श पर पहुंचने की चौंकानी वाली यह कहानी अमरीका की रिएलिटी टीवी स्टार काइली जेनर से जुड़ी है। उपलब्धि यह है कि कॉस्मेटिक कंपनी की मालकिन काइली जेनर दुनिया की सबसे कम उम्र की अरबपति बन गई हैं। काइली से पहले ये खिताब फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग के पास था। मार्क 23 साल की उम्र में सबसे कम उम्र के अरबपति बने थे।
काइली की कंपनी 'काइलीकॉस्मेटिक्स' 360 मिलियन डॉलर की बिक्री करने में सफल रही है। मात्र तीन साल पहले वर्ष 2016 में काइली ने इस कंपनी की शुरुआत महज 29 डॉलर से की थी। वर्तमान में इस कंपनी की वेल्यू 90 करोड़ डॉलर यानी करीब 6120 करोड़ रुपए आंकी गई है। काइली की कंपनी के लिपस्टिक मैचिंग सेट और लिप लाइनर सबसे ज्यादा पॉपुलर हैं। काइलीकॉस्मेटिक्स के समूचे विश्व में एक हजार से ज्यादा स्टोर हैं। इनके ग्राहकों में अरबपति और हॉलीवुड स्टार्स भी शामिल हैं। इस उपलब्धि से पहले पिछले साल फोब्र्स मैग्जीन ने काइली को दुनिया की सबसे कम उम्र की अमीर महिलाओं की सूची में भी शामिल किया था। तब काइली को फोब्र्स मैगजीन के कवर पेज पर भी जगह मिली थी। काइली ने साल 2017 में ट्रेविस स्कॉट से शादी की। इन दोनों की एक बेटी भी है।
काइली जेनर पहली बार मीडिया में रिएलिटी शो, 'कीपिंग अप विद द कर्देशियन्स' में नजर आई थीं। तब वह सिर्फ 10 साल की थीं। वे रिएलिटी टीवी स्टार किम, क्लो और कर्टनी कर्देशियन की सौतेली बहन हैं। काबिलगौर है कि काइली जेनर की कमाई सोशल मीडिया से भी होती है। इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर उनके 12 करोड़ से ज्यादा फॉलोअर हैं। फोब्र्स के कवर पेज पर जब काइली का फोटो प्रकाशित हुआ था, तब उन्होंने कहा था, 'मेरी किस्मत है कि मुझे जो अच्छा लगता है वह मैं हर दिन करती हूं।' वाकई काइली की सफलता में किस्मत का भी बड़ा योगदान है।
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राजस्थान पत्रिका के 9 मार्च 19 के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित ।

जूता महाकथा-

बस यूं ही
1994 में आई फिल्म हम आपके हैं कौन का वह जूते वाला गीत तो आपको याद ही होगा। आप उस दौर से गुजरे हैं तो बारातियों व दुल्हन की सहेलियों के बीच चुहलबाजी से भरा वह गीत यकीनन आपके होठों पर आ गया होगा। एक पक्ष जूते दे दो, पैसे ले लो कहता है तो दूसरा पक्ष पैसे दे दो जूते ले लो की जिद पकड़े रहता है। लब्बोलुआब यही कि जूतों के इस लेन-देन में पैसे दिए बिना काम नहीं चलेगा। पहले पैसे लिए जाएंगे तभी जूते मिलेंगे। खैर, यह गीत आज के दौर का होता तो जूते लेने या देने के पैसे कतई नहीं लगते। यह काम फ्री में हो जाता। वह भी एकदम निशुल्क। यकीन न हो वो कल उत्तरप्रदेश में हुए जूता प्रकरण को देख सकते हैं। एक ही दल के सांसद व विधायक के बीच हुई जूतम पैजार का लाइव नजारा पलक झपकते ही सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफार्म पर वायरल हो गया। जुमलों के इस दौर में देश की सुरक्षा जैसे गंभीर मसले ही अछूते नहीं रहे तो भला जूता कहां से बच जाता है। जूते पर न जाने कितने ही जुमले गढ लिए गए। सर्जिकल स्ट्राइक व मेरा बूथ सबसे मजबूत भी जूते से जोड़ दिए गए। मेरा बूट सबसे मजबूत, सर्जिकल स्ट्राइक-3 टाइप। वैसे यह सोशल मीडिया का दौर है, जो किसी को बख्शता नहीं है। हालिया जूता प्रकरण पर भी कई चुटकुले व जुमले बने हैं। बानगी देखिए, सांसद के जूता कांड के बाद जूता समाज में खलबली मची। सांसदों, विधायकों, नेता मंत्रियों ने औने-पौने दामों में अपने जूते कबाडिय़ों को बेच डाले। जूता बाजार के शेयरों और बिक्री में भारी गिरावट। जूता समाज ने आगामी लोकसभा चुनावों में किसी भी राजनीतिक दल या निर्दलीय प्रत्याशी को जूता चप्पल चुनाव चिन्ह न देने की मांग निर्वाचन आयोग से की। राजधानी के एक संभ्रांत परिवार के शादी समारोह में दूल्हे की सालियों ने जूता चुराई रस्म अदायगी न करने के फैसले पर जम कर हंगामा किया। बालीवुड ने जूता टाइटल पर फिल्म बनाने के लिए दो दर्जन फिल्म के नाम पंजीकृत किए। देश के एक नामी गिरामी वकील ने जूता को एक असरदार हथियार के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए अदालत में जनहित याचिका दायर की। जूता मरम्मत करने वाले कारीगरों के चेहरे पर मुस्कान और खुशी की लहर। जूता निर्माण उद्योग पर लगे जीएसटी की के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल की बैठक इस मामले में संसद के विशेष अधिवेशन के बाद करने की ठानी। विश्वविद्यालयों में अगले वर्ष के शैक्षणिक सत्र से जूता विज्ञान पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार। आदि आदि। इसी तर्ज पर एक और जुमला आया, माइक टायसन की खूबी थी कि वो 2 सेकंड में 3 घूसे मारता था। सांसद ने 4 सेकंड में 7 जूते मार कर माइक टायसन को पछाड़ दिया है। इंडिया ने दिया टोक्यो 2020 के लिए स्वर्ण पदक का नया दावेदार..। लगे हाथ इस जुमले पर भी गौर फरमाइए, मीडिया कह रही है 13 जूते मारे हैं। पार्टी अध्यक्ष ने नौ बताए और मारने वाले सांसद ने कहा, हमारा काम जूते मारने का है गिनना विधायक का। है ना देश के मौजूदा परिदृश्य पर करार तंज। बहरहाल, जूत जिसने मारे और जिसने खाए उनके मनोभाव कैसे हैं और तब कैसे रहे होंगे यह तो वो ही जानते हैं लेकिन सोशल मीडिया पर विचरण करने वालों को गुदगुदाने या व्यंग्यबाण छोडऩे का मुद्दा बैठे बिठाए जरूर दे दिया है। क्रमश: ..

क्रिकेट में उपलब्धि भरा दिन

प्रसंग- वन डे में 500वीं जीत
भारत व आस्ट्रेलिया के मध्य चल रही पांच एक दिवसीय मैचों की शृंखला का दूसरा मैच भारतीय टीम ने जीत कीर्तिमान.बना दिया है। यह जीत इसलिए विशेष है, क्योंकि यह क्रिकेट में भारतीय टीम की 500वीं जीत है। इस एेतिहासिक जीत के साथ एक संयोग यह भी जुड़ा है कि इसमें कप्तान विराट कोहली ने शतक लगाया। इसके अलावा यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत विश्व का दूसरा देश भी बन गया है। खैर, पांच सौ जीत तय करने में भारतीय टीम को 44 साल लग गए। भारतीय टीम ने पहला वन डे 1975 में खेला था। इसके बाद भारत को सौ जीत करने में 18 साल लग गए। इसकी बड़ी वजह उस दौर में क्रिकेट का कम खेला जाना भी है, हालांकि यह वह दौर भी था जब कपिलदेव की अगुवाई में भारतीय टीम विश्व विजेता बनी। भारत में विदेशी टीमें तभी आती थी, तब सर्दी का मौसम होता। उस दौर में किसी ने कल्पना ही नहीं की थी कि कभी क्रिकेट साल भर खेला जाने लगेगा। दिन ही नहीं रात को भी खेला जाएगा, लेकिन समय के साथ यह सब संभव हुआ। उस समय कम खेलने के कारण ही भारत को सौवीं जीत दर्ज करने में 18 साल लग गए। भारत ने सौंवी जीत 1993 में दर्ज की थी। समय बदला तो क्रिकेट का अंदाज भी बदला। सफेद से ड्रेस भी रंगीन हुई तो गेंद भी सफेद हो गई। वन डे के छोटे व फटाफट प्रारूप टी-20 ने तो क्रिकेट में जबरदस्त रोमांच भर दिया। इसके बाद काउंटी की तर्ज पर शुरू किए आईपीएल ने तो क्रिकेटरों को अपनी प्रतिभा दिखाने के भरपूर अवसर दिया है। बहरहाल, भारतीय टीम ने सन 2000 में 200वीं जीत हासिल की तो 2007 में 300वीं। इसके बाद 2012 में भारतीय टीम ने 400वीं जीत दर्ज की और अब 2019 में 500वीं दर्ज की है। इस तरह से पहले के 18 साल में मात्र सौ जीत हिस्से आई तो इसके बाद के 26 साल में भारत के खाते में कुल चार सौ जीत आई । काबिलेगौर है कि इस मैच से पहले टीम इंडिया ने 962 वनडे खेले थे। यह भारत का 963 का मैच था। वनडे में अब तक सिर्फ ऑस्ट्रेलियाई टीम ही 500 या उससे ज्यादा मैच जीत पाई है। इस मैच से पहले आस्ट्रेलियाई टीम के खाते में 923 वनडे में से 558 में जीत दर्ज थी, आज हार के बाद यथावत है। भारत के अलावा पाकिस्तान की क्रिकेट टीम 400 या उससे ज्यादा वनडे जीतने में सफल रही है। पाकिस्तान ने 907 वनडे में से 479 जीते हैं। जीत के मामले में भारतीय टीम आस्ट्रेलिया से एक कदम आगे है लेकिन कुल वन डे खेलने में मामले में वह आस्ट्रेलिया से कहीं आगे है। भारत ने सर्वाधिक 158 वनडे श्रीलंका के खिलाफ खेले हैं। इसके बाद दूसरे स्थान पर आस्ट्रेलिया है, जिससे भारतीय टीम ने 132 वनडे खेले हैं। इनमें से भारतीय टीम 48 को जीतने में सफल रही है, जबकि 74 में उसे हार का सामना करना पड़ा है। 10 वनडे बेनतीजा रहे हैं। पाकिस्तान से भारतीय टीम ने 131 वन डे खेले हैं। फिलवक्त इस उपलिब्ध को हासिल करने पर भारतीय टीम व इस यादगार सफर में शामिल सभी क्रिकेट खिलाडि़यों के साथ-साथ क्रिकेट प्रशंसकों को भी बधाई।

वल्र्ड कप में गोल्ड पर निशाना

फेस ऑफ द वीक : अपूर्वी चंदेला
पुलवामा आतंकी हमले तथा भारत-पाक के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक ऐसी खबर भी आई, जो उम्मीद जगाती है। यह खबर निशानेबाज अपूर्वी चंदेला की एक ऐसी उपलब्धि से जुड़ी है, जिसने विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। अपूर्वी ने आइएसएसएफ विश्व कप की महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में विश्व रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक अपने नाम किया। खास बात यह है कि अपूर्वी ने यह पदक पुलवामा हमले में शहीद जवानों के नाम कर दिया।
गुलाबी नगरी जयपुर में 4 जनवरी 1993 को जन्मी अपूर्वी की प्रतिभा समय के साथ और अधिक निखरती जा रही है। अपूर्वी की स्कूली शिक्षा मेयो कॉलेज गल्र्स स्कूल, अजमेर और महारानी गायत्री देवी गल्र्स स्कूल, जयपुर से हुई। कॉलेज शिक्षा दिल्ली के जीसस एंड मैरी कॉलेज से हुई है। अपूर्वी ने समाज शास्त्र ऑनर्स में डिग्री हासिल की है। 26 वर्षीया अपूर्वी को निशानेबाजी के अलावा खेलना व डांस करना भी पंसद है। वह प्रकृति प्रेमी है, विशेषकर पशु-पक्षियों से उसको खास लगाव है। 'होनहार बिरवान के होत चिकने पात' कहावत को अपूर्वी ने 19 साल की उम्र में चरितार्थ कर दिया था, जबकि 2012 में उन्होंने राष्ट्रीय शूटिंग चैम्पियनशिप में भाग लिया और 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में सोने का तमगा जीता।
इसके बाद अपूर्वी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और कई रिकॉर्ड उनके खाते में जुड़ते गए। 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भी अपूर्वी स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रही। अपूर्वी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्पर्धा में 2016 के रियो ओलम्पिक के लिए क्वालीफाई हुई और 51 प्रतियोगियों में क्वालिफिकेशन राउंड में 34वें स्थान पर रही। इतना ही नहीं, 2018 एशियाई खेलों में अपूर्वी ने 10 मीटर एयर राइफल मिश्रित टीम स्पर्धा में रवि कुमार के साथ जोड़ी बनाई और भारत को कांस्य पदक दिलाया।
अपूर्वी की ताजा उपलब्धि इसलिए बड़ी है, क्योंकि अपूर्वी ने शूटिंग वल्र्ड कप में न केवल स्वर्ण पदक जीता है, बल्कि 252.9 अंक भी हासिल किए हैं, जो विश्व रिकॉर्ड भी है। इतना ही नहीं, अंजलि भागवत के बाद अपूर्वी महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारत की दूसरी महिला निशानेबाज भी बनी है। भागवत ने 2003 के विश्व कप में स्वर्ण पदक जीता था। इस तरह सोलह साल बाद भारत के खाते में यह स्वर्ण आया है। अपूर्वी से पहले यह रिकॉर्ड चीन की रुओझू झाऊ के नाम था। झाऊ ने 2018 में 252.4 अंक के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया था। रुओझू झाऊ इस प्रतियोगिता में 251.8 अंक के साथ दूसरे स्थान पर रहीं। उनके ही देश की झू होंग 230.4 अंक हासिल कर तीसरे स्थान पर 
रही।
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राजस्थान पत्रिका के संपादकीय पेज पर देश के तमाम संस्करणों में 2 मार्च 19 के अंक में प्रकाशित.।