Thursday, April 25, 2019

स्थानीय क्षत्रपों के बीच ही मुख्य मुकाबला

आंध्र का भरोसा: मोदी जीतें या राहुल, कुर्सी पर हम ही बैठाएंगे
लोकसभा 2019
समुद्र किनारे व पहाड़ों की गोद में बसे आंध्र प्रदेश के खूबसूरत शहर विशाखापट्टनम में सियासी गर्मी उतनी नहीं है, जितना कि यहां का तापमान। हिन्दी बोलने व समझने वालों की संख्या यहां बेहद कम है लेकिन राजनीतिक समझ गजब की है। आंधप्रदेश में लोकसभा की 25 सीटों के साथ 175 विधानसभा सीटों के लिए भी पहले चरण में ही मतदान हो रहा है। दोनों ही चुनावों में इस बार भाजपा व कांग्रेस के अलावा तीन प्रमुख स्थानीय पार्टियां मैदान में हैं। फिर भी मुख्य मुकाबला चंद्रबाबू नायडू की तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी ) व आंध्रप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाइएसआर राजशेखर रेड्डी के पुत्र जगन मोहन रेड्डी की वाइएसआर कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है।
पिछले चुनाव में टीडीपी के साथ सहयोगी के रूप में चुनाव में उतरी भाजपा इस बार अपने दम पर मैदान में है। पिछले चुनाव में भाजपा ने इस प्रदेश से दो सीट जीती थीं। कांग्रेस के पास यहां खोने को कुछ नहीं है। पिछले चुनाव में उसका खाता भी नहीं खुला था। फिल्म अभिनेता चिरंजीवी के भाई पवन कल्याण भी इस बार मैदान में हैं। वह खुद फिल्म अभिनेता भी हैं। उनकी जन सेना पार्टी ने पिछले लोकसभा चुनाव में टीडीपी व भाजपा के लिए प्रचार किया था, पर इस बार उनका किसी भी पार्टी से गठबंधन नहीं है। नागपुर से विजयवाड़ा जाते वक्त ट्रेन में सवारियों से चर्चा हुई। जी सुपैप्या व अशोक वर्मा, दोनों ही इस बात पर एकमत थे कि केंद्र सरकार में आंध्र की हिस्सेदारी जरूर रहेगी।
हिन्दुत्व और रोजगार भी जुबान पर
आरके बीच पर सब अपनी ही मस्ती में मगन थे। नारियल पानी बेच रहे रामा रेड्डी से मैंने केवल पवन कल्याण के बारे में पूछा, तो रामा ने कहा कि आंध्र प्रदेश में नायडू के बाद अगर कोई नेता होगा तो वो पवन कल्याण ही होगा। चिरंजीवी ही राजनीति में नहीं चले तो फिर पवन कल्याण का क्या भविष्य है? तो कहने लगे जो बात पवन में है वह चिरंजीवी में नहीं। हमारी चर्चा सुनकर पास खड़े दूसरे शख्स ने तपाक से कहा, इस बार चुनाव में हिन्दुत्व भी मुद्दा रहेगा और इसका असर आंध्र प्रदेश में भी पड़ेगा। तभी वहां आकर रुके एक मोटरसाइकिल सवार ने हमारी बातें गौर से सुनी और जाते-जाते कह गया कि मुकदमा दर्ज होने पर सरकारी नौकरी नहीं मिलती है, पर जिस पर मुकदमे होते हैं, वह चुनाव लड़ सकता है। आंध्र प्रदेश में कई लोग मौजूदा मुख्यमंत्री के कार्यकाल की सराहना के साथ यह सवाल भी उठाते हैं कि जगन मोहन रेड्डी महज पिता के कामों को याद करके वोट मांग रहे हैं।

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2 अप्रेल 19 को राजस्थान के तमाम संस्करणों में संपादकीय पेज पर प्रकाशित।

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