Thursday, April 25, 2019

गंगानगर लोकसभा क्षेत्र : किसान फसल कटाई में व्यस्त, चौपालों में सन्नाटा

गंगानगर।.लोकसभा चुनाव में 15 दिन से भी कम समय बचा है। यहां मतदान दूसरे चरण में होना है। इसके बावजूद अभी चुनावी माहौल रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। भाजपा ने निहालचंद को यहां से लगातार सातवीं बार टिकट दिया है वहीं भरतराम मेघवाल को कांग्रेस ने तीसरी बार टिकट दिया है। लोकसभा क्षेत्र की करीब 550 किलोमीटर की यात्रा के दौरान पाया कि किसी भी कस्बे या गांव में कोई चुनावी रौनक नहीं थी। हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिला मुख्यालय पर इक्का-दुक्का जगह दोनों प्रमुख दलों के होर्डिंग्स जरूर लगे हैं, लेकिन उनमें भी स्थानीय नेता गौण हैं। खेती-किसानी वाला इलाका होने से इन दिनों ज्यादा चहल-पहल खेतों में ही है। खेतों से लेकर मंडियों तक कृषि जिन्सों की आवक का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। जौ मंडियों में आ चुका है, जबकि सरसों की आवक चल रही है। गेहूं की फसल पक कर तैयार है। चना फसल की कटाई भी जारी है। तूड़ी से भरे ट्रक भी सडक़ों पर खूब दौड़ रहे हैं। इस सीजन की फसलों की कटाई को यहां हाड़ी (लावणी) कहा जाता है।
चुनावी चर्चाओं से दूर फसल समेटने में जुटे मतदाताओं का मानस टटोलने, मैं सबसे पहले निकल पड़ता हूं भारत-पाक सीमा से सटे केसरीसिंहपुर कस्बे की ओर। केसरीसिंहपुर और श्रीकरणपुर इलाका सरसब्ज है। यहां गन्ना सर्वाधिक होता है। केसरीसिंहपुर के पास कमीनपुरा गांव स्थित शुगर मिल में गन्ना पिराई का दौर हाल ही थमा है, हालांकि उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरपुर से यहां गुड़ बनाकर बेचने के लिए हर साल आने वाले कारीगर अभी भी गुड़ तैयार करने में जुटे हैं। केसरीसिंहपुर में कहीं कोई चुनावी चर्चा या रंगत नजर नहीं आई। कड़ी धूप के चलते केसरीसिंहपुर की गलियों में जहां सन्नाटा पसरा था, वहीं खेतों में कहीं ट्रैक्टरों की घरघराहट तो कहीं थ्रेसर की आवाज सुनाई दे रही थी। यहां से मैं श्रीकरणपुर की तरफ बढ़ता हूं, जहां की कृषि मंडी में सर्वाधिक चहल-पहल है। यहां बड़ी संख्या में श्रमिक जौ को बोरियों में भरकर ट्रकों में लदान करने के काम में जुटे थे। चुनावी चर्चा के सवाल पर सभी बोल पड़े, ‘अभी चुनाव के लिए किसको फुर्सत है, जिस दिन मतदान होगा वोट डाल देंगे। अभी तो काम का सीजन है।’ श्रीकरणपुर विधानसभा सिख बाहुल्य मानी जाती है। श्रीकरणपुर से गजसिंहपुर से होते हुए मैं रायसिंहनगर पहुंचता हूं। रायसिंहनगर भाजपा प्रत्याशी तथा मौजूदा सांसद निहालचंद का शहर है, जहां के बाजार में सन्नाटा पसरा है। रविवार की वजह से अधिकतर दुकानें बंद हैं। रायसिंहनगर से आगे श्रीबिजयनगर की तरफ बढ़ता हूं। दोपहर का डेढ़ बजा है, फिर भी यहां के एक चौक पर हाइमास्ट लाइट जलती मिली। रेलवे स्टेशन पर खड़ी मालगाड़ी में जौ की बोरियां लादी जा रही थी। श्रीबिजयनगर से मैं सीधा सूरतगढ़ पहुंचता हूं। रेलवे स्टेशन के पास गन्ने के ज्यूस की रेहड़ी पर मैं एक शख्स भानीराम मांझू से रूबरू होता हूं। 55 वर्षीय मांझू हनुमानगढ़ जिले के प्रेमपुरा के रहने वाले हैं। इनका विधानसभा क्षेत्र हनुमानगढ़ ही है। चुनाव की बात पर तपाक से बोलते हैं, स्थानीय प्रत्याशी कोई भी हो, कैसा भी हो, हमारे लिए यह मायने नहीं रखता है। हम तो मोदी को वोट देंगे। मेरा हाथ पकडकऱ मांझू मुझसे ही सवाल पूछते हैं, आप ही बताएं क्या काम नहीं हुआ? मैं उनके सवाल पर मुस्कुरा कर आगे बढ़ जाता हूं। सूरतगढ़ से पीलीबंगा होते हुए मैं सीधा रावतसर पहुंचता हूं। कांग्रेस प्रत्याशी भरतराम मेघवाल इसी कस्बे से आते हैं। यहां एक दुकान पर बैठे तीन जनों से मेरी बात शुरू होती है। जैसे-जैसे बात बढ़ती है और लोग भी आते हैं। रामजस बुरडक़ कहते हैं, दोनों ही पार्टियों ने भला नहीं किया। रावतसर को रेल लाइन से जोडऩे तथा सेना के जमीन अधिग्रहण का मामला लंबित है। पूर्व सांसद बीरबलराम ने जरूर बस स्टैंड बनवाया, बाकी किसी ने यहां कुछ काम नहीं किया। बुरडक़ कहते हैं, निहालचंद ने संसद में 93 फीसदी उपस्थिति दी। 153 सवाल पूछे, लेकिन हमारे इलाके से संंबंधित एक भी सवाल नहीं पूछा।
वो चुटकी लेते हैं, भाजपा प्रत्याशी के पास कोई उपलब्धि नहीं है, इसलिए वो मोदी के नाम पर वोट मांग रहे हैं, जबकि भरतराम मेघवाल मतदाताओं के समक्ष मौजूदा सांसद को निशाना बनाते हैं। सांसद से इतनी पीड़ा होने के बावजूद बुरडक़ कहते हैं, निहालचंद को वोट देने का मन तो नहीं है, लेकिन मजबूरी जरूर है। उनकी बात का समर्थन दुकानदार हेतराम मोठसरा करते हुए कहते हैं वो उम्मीदवार को नहीं केन्द्र के नेता को देखकर ही वोट देंगे। पास बैठे पत्रकार ओम पारीक कहते हैं विधानसभा में हमने कस्बे का विधायक जिताया, वही भावना लोकसभा चुनाव में रहने वाली है। इन सब के बीच संघ विचारधारा से प्रभावित पुरुषोत्तम शर्मा कहते हैं, अगर मोदी जी देशभक्त हैं तो भारत को मजबूत बनाने पर जोर देना चाहिए। अर्द्ध सैनिक बलों की पेंशन शुरू करनी चाहिए थी। वो बीएसएफ के जवान तेजपाल यादव के खाने संबंधी उस वीडियो को याद करते हुए कहते हैं, उसके साथ क्या हुआ। उसकी बात पर गौर करने की बजाय, उसे सेवा से ही हटा दिया गया। ऐसा नहीं होना चाहिए। जो कमी है, उसमें सुधार करना चाहिए। रोजगार के साधन खत्म हो रहे हैं। नहरों में प्रदूषित पानी, जेसीटी व स्पिनिंग मिल बंद होना, थर्मल के निजीकरण के प्रयास से रोजगार कम हुए हैं। पुरुषोत्तम आरोप लगाते हैं कि सांसद निधि से रावतसर में कोई काम नहीं हुआ।
रावतसर से सीधा हनुमानगढ़ आता हूं, जहां मेरी मुलाकात किराना एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक व्यास, जनरल मर्चेन्ट एसोसिएशन के विजय बलाडिय़ा व खुदरा मार्केट एसोसिशन के अध्यक्ष सुभाष नारंग से होती है। तीनों की सभी पार्टियों से एक ही शिकायत है कि सांसद बनने वाले हनुमानगढ़ नहीं आते। हनुमानगढ़ को जिला बने 25 साल हो गए, लेकिन आज भी गांव जैसा ही दिखाई देता है। विकास नहीं हुआ है। तीनों व्यापारी प्रतिनिधियों ने कहा कि नहरी तंत्र को मजबूत करने तथा रेल सेवाओं में विस्तार करने से ही हनुमानगढ़ का विकास संभव है। हनुमानगढ़ के बाद मेरा अगला पड़ाव हरियाणा की सरहद से सटी शिक्षा नगरी संगरिया था। यहां मेरी मुलाकात भाजपा व कांग्रेस पदाधिकारियों से होती है। पूर्व पालिकाध्यक्ष व किसान नेता अशोक चौधरी कहते हैं, चुनाव के प्रति
कोई उत्साह ही नहीं है। नहरों में इतना गंदा पानी आ रहा है, लेकिन प्रदूषित पानी की चिंता किसी को नहीं है। कांग्रेस नगर अध्यक्ष राजेश डोडा व शिवकुमार बारूपाल भी अशोक चौधरी की बात पर सहमति जताते हैं। साथ ही मौजूदा सांसद पर आरोप लगाते हैं कि उनकी क्षेत्र में सक्रियता कम ही रही है। इस आरोप पर भाजपा जिला उपाध्यक्ष पूर्ण मिढ्ढा कहते हैं, सांसद ने सक्रियता दिखाई है और काम भी किए हैं। संगरिया से मैं सादुलशहर आता हूं, जहां समाजसेवी तुलसीराम सारस्वत मिलते हैं।
वो कहते हैं जिले में निराश्रित गोवंश की बढ़ती संख्या बड़ी चुनौती है। इसका समाधान करना होगा। कस्बे के प्रमुख चिकित्सक डॉ बी.बी. गुप्ता कहते हैं, भाजपा ने भ्रष्टाचार व बेरोजगारी खत्म करने पर पिछला चुनाव लड़ा था, लेकिन भ्रष्टाचार खत्म हुआ न बेरोजगारी। एडवोकेट रवीन्द्र मोदी कहते हैं, आर्थिक आधार पर दस प्रतिशत आरक्षण देना तथा लोकपाल की नियुक्ति करना केन्द्र सरकार के बड़े फैसले रहे हैं।
कुल मतदाता 19.28 लाख
पुरुष मतदाता : 10.10 लाख
महिला मतदाता : 9.18 लाख
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राजस्थान पत्रिका के राजस्थान में प्रकाशित तमाम संस्करणों में 23 अप्रेल 19 के अंक में प्रकाशित। 

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