Sunday, May 29, 2011

शादियों के अनूठे अंदाज

अक्सर शादी समारोह के दौरान कुछ ऐसा घटित हो जाता है, जो चर्चा का विषय बन जाता है। जाहिर है ऐसी चर्चाओं की कुछ खबरें समाचार पत्रों की सुर्खियां भी बनती हैं। बात ज्यादा पुरानी नहीं है। हाल ही में १० से २५ मई के बीच हुई शादियों के दौरान कई तरह के रोचक वाकये सामने आए। समाचार पत्रों का नियमित अवलोकन या अध्ययन करने वालों को शायद इस बात की जानकारी भी हो सकती है। बावजूद इसके मुझे हाल ही में हुई कुछ शादियों में कुछ अलग अंदाज नजर आया। शायद शादियों के इस अनूठे अंदाज का ही नतीजा था कि अधिकतर समाचार पत्रों में इनको प्राथमिकता से स्थान दिया गया।
वैसे देखा जाए तो हर साल शादियों से बावस्ता कोई न कोई खबर समाचार पत्रों  में स्थान जरूर बनाती है। इनमें बालविवाह तो प्रमुख है ही। इसके अलावा दहेज की मांग करना, दहेज की मांग करने पर दुल्हन द्वारा शादी से इनकार करना आदि ऐसे विषय हैं जो प्रचलन में आ गए हैं। आपको याद होगा आज दस-पन्द्रह साल पहले एक एक युवती ने दहेज मांगने पर बारात को बैरंग लौटाया था तो वह मामला मीडिया में  खूब उछला था। इलेक्ट्रोनिक एवं पिं्रट मीडिया ने इस मामले में युवती के निर्णय की सराहना करते हुए समाज में इसे एक नई पहल करार दिया था। वर्तमान में वह पहल प्रचलन में आ चुकी है। अब शादी के लिए इनकार करना चौंकाने वाली बात नहीं रही। दहेज न देने पर वर पक्ष की ओर से शादी से इनकार  की बात तो अब आदत में आ चुकी हैं। ऐसा नहीं है कि इस प्रकार के समाचार अब प्रकाशित नहीं होते हैं, होते हैं लेकिन कहने का मतलब यह है कि अब इनको सामान्य घटना मान लिया गया है कि इसलिए समाचार पत्रों में ऐसे समाचार के लिए अंदर के पेज पर भी जगह मिल जाए तो गनीमत समझो। इलेक्ट्रोनिक मीडिया में तो इस प्रकार के मामलों को लगभग बिसरा ही दिया गया है। अब तो शादियों में भी नए एंगल तलाशे जाने लगे हैं। हाल ही में ब्रिटेन में हुई शाही शादी इसका सबसे जोरदार उदाहरण हैं। लगभग सभी चैनलों पर इस शाही शादी का सीधा प्रसारण हुआ था।
खैर, यहां जिन शादियों की बात की जा रही है वे साधारण परिवारों से ताल्लुकात रखती हैं लेकिन इन शादियों में ऐसा घटित हुआ जो न केवल चौंका गया बल्कि सोचने पर भी मजबूर कर गया। हाल में पुराने ढर्रे वाले मामले भी हुए लेकिन चार-पांच मामले ऐसे भी सामने आए जो शायद सबसे अलहदा थे। राजस्थान स्थित सूर्यनगरी जोधपुर में एक अनूठी शादी हुई। इसमें न बैण्डबाजा था और न ही बारात आई। दूल्हा शादी से एक दिन पहले ही एक सड़क हादसे में घायल हो गया। अब वर-वधू दोनों पक्षों के सामने यह संकट खड़ा हो गया कि आखिरकार यह विवाह होगा या नहीं। यहां युवती ने हिम्मत दिखाई और उसने बिना किसी लाग लपेट के कहा कि शादी होगी तो उसी से। आखिरकार युवती सज-धज कर आई और अस्पताल में उपचाराधीन दूल्हे के गले में वरमाला पहना दी। वैवाहिक रस्में अस्पताल में ही निभाई गई। कमोबेश ऐसा ही मामला बिहार में भी हुआ, लेकिन यहां घायल वधू थी। शादी की तैयारियों के दौरान सिलेण्डर भभकने से वह गंभीर रूप से घायल हो गई लेकिन दूल्हे ने कहा कि शादी करेगा तो उसी के साथ। आखिरकार यहां भी शादी उसी तर्ज पर हुई जैसी  जोधपुर में हुई थी।
इन दोनों घटनाओं के दौरान ही छत्तीसगढ़ में भी शादी से जुड़ा एक अनूठा मामला सामने आया। यहां बाराती शराब के नशे में टुल्ली होकर नाचने में मगन थे। बारातियों के हाल देखकर वधू पक्ष ने शादी से इनकार कर दिया। मामला पुलिस थाने भी पहुंचा लेकिन किसी तरह की समझाइश काम नहीं आई। बेचाने दूल्हे राजा को बिना दुल्हन के ही लौटना पड़ा।  महाराष्ट्र के नागपुर शहर के पास ग्रामीण क्षेत्र में एक सजी-धजी दुल्हन बारात एवं दूल्हे का इंतजार ही करती रही लेकिन दोनों में से कोई नहीं आया। छत्तीसगढ़ राज्य का ही शादी से जुड़ा एक और रोचक मामला भी अभी सामने आया है। वधू पक्ष के यहां बारात पहुंच चुकी थी। वर-वधू एक दूसरे को माला पहनाने वाले ही थे कि फिल्मी अंदाज में वहां दूल्हे की प्रेमिका पहुंच गई। वहां जोरदार बखेड़ा हुआ। आखिरकार वधू पक्ष के लोगों ने उस प्रेमिका के साथ ही विवाह करवा दिया।
बहरहाल, बदलते दौर में शादियों के अंदाज भी बदलते रहेंगे और अपने इसी बदलाव के कारण समाचार पत्रों में स्थान पाते रहेंगे। मेरे लिखने का मकसद महज इतना है कि मुझे भी इन शादियों में कुछ अलग नजर आया। शायद यह अलग कारण ही मुझे लिखने के लिए मजबूर कर गया।

1 comment:

  1. एक अच्छा पत्रकार किसी भी विषय पर लिखने की गुंजाइश निकाल ही लेता है.

    ReplyDelete