Tuesday, May 31, 2011

... तम्बाकू छोड़ दी मैंने


आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस है। समूचे विश्व में आज के दिन धूम्रपान से होने वाले खतरों की भयावहता से अवगत कराया जाएगा। रैलियां निकाली जाएंगी और कई तरह के जाग्रति विषयक कार्यक्रम होंगे। सच में धूम्रपान और उससे बढ़ते खतरे वर्तमान में न केवल वैश्विक समस्या है बल्कि चिकित्सकों एवं विज्ञान जगत के लिए चुनौती भी। रोज नए-नए मर्ज पैदा हो रहे हैं। लाइलाज रोगों की फेहरिस्त बढ़ रही है। बावजूद इसके तम्बाकू का कारोबार भी खूब फल-फूल रहा है। इतनी भूमिका बांधने के पीछे मेरा मकसद यह है लम्बे समय तक मैं स्वयं भी धूम्रपान का आदी रहा हूं। मैं तम्बाकू और गुटखे दोनों का सेवन करता था। सेवन भी इस कदर कि हर पल मुंह में कुछ ना कुछ होता ही था। रोजाना दो पाउच खैनी के तथा औसतन दस-बारह पाउच गुटखे के मैं खा जाता था। अब एक और सच जिसे मैं आज पहली बार सार्वजनिक कर रहा हूं, वह यह है कि यह दोनों ही लत मुझे परिवार के माध्यम से लगी। पापाजी खैनी खाते हैं। बचपन में मोहल्ले के सारे बच्चे एकत्रित होकर उनके पास पहुंच जाते और उत्सुकता एवं जिज्ञासवश उनसे खैनी मांगने लग जाते। उन बच्चों में मैं भी शामिल था। शौक कब लत में तब्दील हुआ पता ही नहीं चला और मैं खैनी का सेवन करने लग गया। यह बात १९८२-८३ की है। इसके बाद गुटखे की लत मुझे १९८९ में लगी। यह लत भी बडे़ भाईसाहब को देखकर लगी। बीच में १९९९ में मैंने खैनी का सेवन सात माह तक बंद किया लेकिन इस दौरान पान खाने की आदत लग गई। दिन भर पान मुंह में दबा ही रहता था। पांच या छह पान रोजाना। पान खाना महंगा सौदा था, इस कारण  वापस खैनी और गुटखे पर लौट आया। एक दिन मन में ख्याल आया कि क्यों न गुटखा छोड़ दिया जाए। बस तत्काल  दृढ़ निश्चय किया और ७ मार्च २००४ को गुटखे का सेवन बंद कर दिया। मतलब १५ साल पुरानी लत एक झटके साथ छोड़ दी। उस दिन के बाद मैंने आज तक किसी तरह के पान मसाले का प्रयोग नहीं किया है। हां, अवसर विशेष पर ेकभी-कभार सादा पान जरूर खा लिया लेकिन गुटखे से सदा के लिए तौबा कर ली। अब बात खैनी की। सन्‌ २००४ में शादी के बाद मेरी धर्मपत्नी खैनी के संबंध में अक्सर मुझे टोकती रहती लेकिन मुझ पर कोई असर नहीं हुआ। २२ जून २००७ को शादी के वर्षगांठ के दिन धर्मपत्नी ने कहा कि अगर मैं खैनी छोड़ दूं तो वह उसके लिए सबसे बड़ा तोहफा होगा। इस पर मैंने उससे वादा किया कि शादी की अगली वर्षगांठ पर खैनी छोड़ दूंगा। आखिरकार २२ जून २००८ को मैंने खैनी छोड़ दी। करीब २७-२८ साल की लत से पलक झपकते ही छुटकारा पा लिया। यह और बात है कि इसके बाद सुबह उठते ही, चाय पीते ही  या फिर खाना खाने के बाद खैनी की जोरदार तलब जगती। मैंने इसका वैकल्पिक उपाय निकाला और बाजार से सौंफ खरीद लाया। करीब एक माह तक मैंने सौंफ का प्रयोग किया, इसके बाद सौंफ खाना भी बंद कर दिया। इस सारी कहानी का लब्बोलुआब यह रहा है कि मेरी धर्मपत्नी जो कि मुझसे उखड़ी-उखड़ी रहती थी, प्यार से पेश आने लगी। मैं दोनों वक्त सिर्फ चार-चार चपाती ही खा पाता था, क्योंकि भूख महसूस नहीं होती थी। खैनी छोड़ने के बाद भूख महसूस होने लगी और चपातियों की संख्या में इजाफा होने लगा। सबसे बड़ा फायदा तो यह हुआ कि मेरा वजन करीब दस-बारह किलो बढ़ गया। वजन का जिक्र इसलिए क्योंकि वह लम्बे समय तक ५४ से ५८ के बीच ही रहा। सर्दी में ५८ और गर्मियों में वापस ५४। यह सिलसिला अब टूट गया है। यह कॉलम लिखने का मकसद महज इतना है कि दृढ़ निश्चय के साथ हम कोई निर्णय लें तो उसके परिणाम सकारात्मक ही आते हैं। हां, व्यसन छोड़ने के निश्चय या प्रतिज्ञा के पीछे कोई कहानी है तो यह मजा दुगुना हो जाएगा। आखिर में एक बात और बीड़ी और सिगरेट का सेवन तो मेरे पूरे परिवार में ही कोई नहीं करता है।

8 comments:

  1. तम्बाकू निषेध दिवस पर बहुत अच्छा सन्देश दिया आपने .....बहुत बहुत शुक्रिया

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  2. लो जी, आज आपकी नशा मुक्ति प्रेरणा स्रोत का पता चल गया | लेकिन ये जो नया नशा लगा है ब्लॉगिंग वाला वो जल्द ही छूटने वाला नहीं है |

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  3. नशा नाश की जड़ है भाई इससे दूर रहो मेरे भाई

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  4. Thanks for sharing your post. I suggest herbal supplement to get rid of addiction of tobacco.visit http://www.drug-treatment.in/

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  5. भाइयो को राम राम। मुझे सिगरेट छोड़े हुए 16 दिन होगये में लगभग 15 सिगरेट रोज़ पिता था।
    लेकिन अभी भी काफी मुश्किल है

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  6. मेरी कहानी भी बिल्कुल आपकी तरह ही है।।।मैं भी तम्बाकू छोड़ चुका हूं। कोल्ड टर्की सबसे बढ़िया तरीका है। NRT से नशा छूटना बहुत कठिन है।

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  7. मैंने भी गुटखा छोड़ दिया

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