Tuesday, February 26, 2013

यह फेसबुक है मेरी जान...


बस यूं ही 

यह दुनिया बड़ी अजीब है। इस दुनिया में ना उम्र की सीमा है और ना ही समय का कोई बंधन। यहां दिन गुलजार हैं और रातें रंगीन व रोशन। नींद का तो यहां कोई नामलेवा भी नहीं है। यहां सच भी है लेकिन दिखावा और झूठ का बोलबाला भी कम नहीं है। यहां फर्जीवाड़े और फरेब का कॉकटेल है तो प्यार की सौंधी महक भी महसूस होती है। यहां मनोरंजन की चासनी में मोहब्बत का तड़का लगता है तो भक्ति एवं ज्ञान के प्रवचनों की गंगा भी प्रवाहित होती है। इसमें आधुनिकता का रंग तो पग-पग पर है लेकिन परम्परा से जुड़ाव भी दिखता है। यहां जोश, जुनून एवं जज्बा जगाया जाता है तो कड़वी हकीकत से रूबरू भी करवाया जाता है। आश्चर्य से भरी, कौतुहल जगाती, विस्मय पैदा करती तथा हकीकत के पास होते हुए भी हकीकत से दूर करती यह कोई तिलिस्मी नगरी ना होकर फेसबुक है। सूचना एवं प्रौद्योगिकी में आए क्रांतिकारी बदलावों के चलते महानगर तो क्या, छोटे-छोटे कस्बों, गांवों एवं ढाणी तक के लोग इस मायानगरी से जुड़ रहे हैं। सहज एवं सरल विधि ही इस मायानगरी की सबसे बड़ी खूबी और खासियत है। फेसबुक की मायावी नगरी आत्मविश्वास तो जगाती ही है हिम्मत और हौसला भी देती है। भले ही फेसबुक को लेकर सभी के दीगर मत हों लेकिन विचारों को बेझिझक संप्रेषित करने का सबसे सशक्त माध्यम भी है।
हम भी करीब दो साल से इस मायावी नगरी में विचरण रहे हैं। महाकाल की नगरी उज्जैन में इंटरनेट पर बैठे-बैठे अकस्मात की इस दुनिया से जुडऩे का सौभाग्य मिल गया। जुड़ तो गए लेकिन शुरू-शुरू में तो अपुन को इसका ककहरा भी नहीं आता था। नियम-कायदों का तो बिलकुल भी ज्ञान नहीं था। बस कम्प्यूटर बैठे और फिर धीरे-धीरे सीखते गए। आगे से आगे राह मिलती गई। अब भी पूर्णतया पारंगत तो नहीं हुए लेकिन खाते में अच्छा-खासा अनुभव जरूर जुड़ गया है। बस यह अनुभव ही लिखने का मजबूर कर गया। फेसबुक पर क्या देखा, जाना और सीखा, वह सब आपसे साझा करने को मन कर गया। खैर, फेसबुक के मामले में जो अनुभवी हैं, हो सकता है उनको यह लेख सामान्य सा लगे लेकिन फेसबुक की दुनिया में नवप्रवेशित लोगों को इससे फीडबैक जरूर मिलेगा, इसका दावा तो नहीं लेकिन यकीन जरूर है।
इस मायावी नगरी में प्रवेश करना आसान है लेकिन यहां के कुछ दस्तूर व उसूल भी हैं। अगर इन उसूलों एवं दस्तूरों का किसी ने पालन नहीं किया तो फिर वह अलग-थलग ही पड़ जाता है। मतलब लाइक एवं कमेंट। फेसबुक की दुनिया में प्रवेश करते समय पहले वास्ता इन दोनों से ही पड़ता है। आप किसी को नियमित लाइक करते रहे तो यकीन मानिए आपने कुछ लिखा तो यकीनन आपको भी लाइक मिलने लगेंगे। और अगर आप कमेंट तक आ गए तो फिर बदले में कमेंट मिलना भी लाजिमी है। यह क्रम नियमित रहना जरूरी है। बीच में एक बार टूटा तो फिर जोडऩे में या पटरी में लाने में वक्त लगता है। यह तो शुरुआती चरण है। अगर आप इतना सीख गए तो फिर तो अंदरुनी उठापटक को समझने में ज्यादा दिक्कत नहीं होगी। यथा...फेसबुक का संसार बड़ा विचित्र है। इसके कई रंग हैं। यहां गलाकाट प्रतिस्पर्धा भी है। एक दौड़ सी लगी है। बिलकुल अंधी होड़ है। और दौड़ और होड़ से कई तरह के प्रेमियों का जन्म होता है, मसलन देश प्रेमी, कला प्रेमी, खेल प्रेमी, प्रकृति प्रेमी, और भी कई तरह के प्रेमी। प्रेमियों के ज्ञान की तो बस पूछिए ही मत।
यहां कोई धर्म कर्म की बात करेगा तो कोई किसी देवता या संत की फोटो को लाइक या शेयर करने पर शर्तिया कुछ अच्छा होने की गारंटी देगा। फेसबुक पर लोग ज्ञानी बन जाते हैं। निशुल्क ज्ञान बांटते हैं, प्रवचन देते हैं। न कुछ कटने का झंझट और ना कुछ सम्पादित होने का डर। जो बोला या लिखा सबके सामने। यहां मौलिकता कोई मायने नहीं रखती है। इसकी टोपी उसके सिर पर की तर्ज पर कट, कॉपी, पेस्ट का खेल एकदम बिंदास अंदाज में चलता है। कोई संस्मरण सुनाता है तो कोई यात्रा वृतांत। तभी तो फेसबुक ज्ञान, नसीहत, नीति एवं धर्म की राह पर चलने वाले अमूल्य विचारों का खजाना है। यह खजाना खत्म नहीं होता है। अनवरत चलता ही रहता है। आगे से आगे। कुछ शेयर करते हैं तो कुछ अलग से सेव करके अपने नाम से चलाते हैं लेकिन सिलसिला थमता नहीं है।
सेंतमेत में प्रचार करने का भी तो फेसबुक सबसे जोरदार जरिया है। विज्ञापन लगाने काम भी यहां बदस्तूर चल रहा है। कोई प्रचार कर रहा है अपने उत्पाद का तो कोई दुकान का। पुस्तकों का विमोचन भी अब तो फेसबुक पर होने लगा है। राजनीति का अखाड़ा भी है फेसबुक है। यहां केवल दिशा-निर्देश ही नहीं बल्कि वोट तक मांगे जा रहे हैं फेसबुक पर। प्रधानमंत्री तक का फैसला फेसबुक पर होने लगा है। रायशुमारी तक कर ली जाती है।
इतना ही नहीं जो जिस विधा में माहिर, वह उसके बारे में विशेषज्ञ की तरह पेश आता है। और जिसके पास फन नहीं है वह अपनी शानोशौकत दिखाने के लिए घर, वाहन आदि की फोटो तक को चस्पा कर रहा है। सचमुच कितनी कौतूहल भरी है यह फेसबुक की दुनिया। कोई दुनिया और अंतरिक्ष की रोचक जानकारी जुटाता है तो कोई फेसबुक पर मुशायरा करवा देता है। कोई कविताओं, शेर, शायरी व लघु कथाओं का मुरीद है तो किसी को किस्से, चुटकुले आदि लुभा रहे हैं। कोई अपनी रचनाएं, कोई फोटो तो कोई कार्टून लगा रहा है। सारी उधेड़बुन यही रहती है कि प्रतिस्पर्धा में खुद को बरकरार कैसे रखा जाए। कुछ विसंगतियों को पकडऩे का काम करते हैं तो कुछ वर्तमान एवं अतीत की गलतियों को जोड़कर पेश करते हैं। गाहे-बगाहे बहस का दौर तो चलता ही रहता है। कुछ फेसबुक पर लाइक एवं कमेंट की उम्मीद में सवाल छोड़ देते हैं तो कई बहस करते हैं। कुछ उन्मादी भावातिरेक में बह जाते हैं। बाहें चढ़ाते हैं। एक दूसरे को चुनौती देते हैं। वाकई ज्ञान का भंडार है फेसबुक। कहने को काफी कुछ है इसके बारे में। सामाजिक कुरीतियां भीं यहां दूर होती हैं तो परम्पराएं भी यहां पर सहेजी जा रही हैं। कोई बालिकाओं को बचाने की अपील कर रहा था तो कोई अपने दोस्तों को जन्मदिन की बधाई देने से भी नहीं चूकता। कुछ ऐसे भी हैं जिनके लिए गुड मार्निंग एवं गुड नाइट से ज्यादा कुछ नहीं है फेसबुक। वाकई फेसबुक कई तरह के सवालों का जवाब है तो कई जवाबों का सवाल भी है।
इतने गुण होने के बाद फेसबुक के साथ विरोधाभास जुड़ा है। शादी के लड्डू की तरह सभी लाइक व कमेंट की उम्मीद तो रखते हैं लेकिन टैग किसी को फूटी आंख भी नहीं सुहाता है। टैंग करने वाले फेसबुकियों से कुछ परेशान हैं तो कुछ आदतन शिकायताकर्ता। कोई टैग कर दे तो फिर आसमान सिर पर उठाते हैं। नैतिकता की दुहाई देते हैं।
पिछले माह फेसबुक के गुणगान करने वाली एक पोस्ट भी देखी। बंदे ने क्या जोरदार खाका खींचा। फेसबुक पर विचरण करने वालों का प्रकृत्ति के हिसाब से नामकरण भी कर दिया। करीब दर्जनों नाम लिखे थे। कुछ तो याद हैं अभी तक आप भी देखिए। फेसबुक मुर्गा- जो सबको गुड मोर्निंग कह कर जगाता है। फेसबुक सेलीब्रिटी- जो पांच हजार फ्रेंड की लिमिट को पूरा करता है, भले ही सभी मित्रों के बारे में सही जानकारी ना हो। फेसबुक बाबा- भगवान व धर्म से संबंधित पोस्ट ही लगाएंगे। फेसबुक चोर- दूसरों के स्टेटस एवं पोस्ट चोरी करके अपने नाम से अपने वॉल पर डालते हैं। फेसबुक देवदास-दर्दभरी कविताएं यां शायरी कहते हैं और अपने दुख दुनिया से साझा करते हैं। फेसबुक न्यूज रिपोर्टर- खबरों के बारे में जानकारी देते रहते हैं। फेसबुक टीकाकार- खुद कुछ नहीं लिखते लेकिन दूसरों की पोस्ट पर जाकर टिप्पणी करते रहते हैं। फेसबुक विदुषक-यह लोग खुद भले ही दुखी हों लेकिन कमेंट एवं पोस्ट से दूसरों को हंसाते रहते हैं। फेसबुक लाइकर- यह लोग कमेंट करने में कंजूसी बरतते हैं लेकिन चुपके से लाइक कर देते हैं। फेसबुक विचारक-यह लोग अपने विचार अपनी पोस्ट के माध्यम से लोगों तक पहुंचाते हैं। फेसबुक कवि और कवियित्री-इनको कविता के अलावा कुछ नहीं दिखता, बस अपनी कविताएं ही पोस्ट पर डालते हैं। फेसबुक टपोरी- यह फेसबुक पर छिछोरी हरकतें करते हैं और हलकट पोस्ट लगाते हैं। फेसबुक द्वेषी-इनको फेसबुक पर किसी की तारीफ करना अच्छा नहीं लगता है। बस लोगों से द्वेष करते हैं। फेसबुक चैटर- इनको फेसबुक पर चैटिंग के अलावा कुछ काम नहीं सूझता। फेसबुक लिंग परिवर्तक-यह फेक आईडी बनाते हैं। इसमें मेल, फीमेल बन जाता है और फीमेल, मेल। फेसबुक खिलाड़ी- यह दिन भर फेसबुक पर गेम खेलते रहते हैं। फेसबुक बंदर- जो कमेंट में कुछ नहीं बोलते, केवल हा, हा या ही, ही करते रहते हैं। फेसबुक भिखारी- ऐसे लोगों की फ्रेंड रिक्वेस्ट अक्सर ब्लॉक कर दी जाती है और यह लोग फ्रेंड बनने के लिए भीख मांगते रहते हैं। और सबसे आखिर में फेसबुक कलेक्टर, जो केवल ग्रुप या पेज ही ज्वाइन करते हैं।
बहरहाल, फेसबुक पर इतना लिखने के बाद भी ऐसा लग रहा है कि काफी कुछ छूट रहा है। यही तो फेसबुक की माया है। आजकल हर जगह इसी की धमक है और इसी के चर्चे हैं। इसके बिना सब बेनूर है, बैरंग है, बेमजा है और यह संस्कृति की संवाहक है। सचमुच कमाल की चीज है। जितना इससे दूर जाने को मन करता है उतना ही पास आते हैं। मायावी की माया है। इससे कोई अछूता नहीं है।

2 comments:

  1. very good writing skills it seems that that uve done phd on the facebook.aise hi likhte rahein aur hum jaise talented darshakon ki wawahi loot te rahein

    ReplyDelete
  2. AAPKA LIKHA PARKAR MAJA AA GAYA

    ReplyDelete