baatuni
Monday, September 23, 2013
कमाल का धमाल
बस यूं ही
लालों का कमाल,
मचा रहे धमाल,
पार्टी है बदहाल,
विपक्ष तो खुशहाल।
जी का जंजाल,
सब कुछ निढाल,
बुरा हुआ हाल,
चुनावी है साल।
हो गए हलाल,
रह गया मलाल,
समय का काल,
छोड़ गया सवाल।
थमता नहीं बवाल,
सियासत में उबाल,
तोड़ कोई निकाल,
काली लगती दाल।
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