Sunday, May 29, 2011

कुछ अपने बारे में....

ब्लॉग की दुनिया में मैं एकदम नया हूं। जी हां, बिलकुल नया नवेला। आज तक न तो ब्लॉग पर कुछ लिखा है। और ना ही ब्लॉग के बारे में। जहां तक ब्लॉग को मैं समझ पाया हूं, ब्लॉग लेखन भी एक कला है और इसका भी एक बड़ा पाठक वर्ग है। दूसरे शब्दों में कहें तो ब्लॉग लिखने वाला अपनी मर्जी का मालिक है। वो जैसा लिख देता है वह सही है जबकि अखबारी जगत में ऐसा नहीं है। हालांकि ब्लॉगरों को अपने प्रशंसकों से जो फीडबैक मिलता है, उसके आधार पर वे अपने लेखों में निरंतर सुधार करते रहते हैं। मेरा यहां पर इस बात का उल्लेख करने का मकसद ब्लॉगरों पर किसी तरह के कमेंट से नहीं है और मेरी बात को उस सन्दर्भ में देखा जाना भी नहीं चाहिए। खैर मैं जिस उद्‌देश्य या मुद्‌दे पर लिखने बैठा था पुनः उसी ओर लौटता हूं।
चूंकि मैं स्वयं पत्रकारिता से जुड़ा हूं और करीब ११ साल से इस क्षेत्र में हूं,। मां सरस्वती का आशीर्वाद इतना रहा है कि कभी भी किसी भी विषय पर लिखने बैठा तो कुछ ना कुछ लिख कर ही माना। इसमें अपने मुंह मियां मिट्‌ठू बनने वाली बात कतई नहीं है, क्योंकि मुझे जो भी विषय मिला उस पर मैंने बिलकुल बेबाकी एवं ईमानदारी के साथ कलम चलाई है। यह बात मेरे परिचितों को मालूम भी है। वैसे एक बात जो शायद आज तक राज ही रही है, वह यह कि मैंने इस विधा को अपनाने या जीविकोपार्जन का साधन बनाने के बारे में कभी भी नहीं सोचा था, शायद सपने में भी नहीं।  वो तो एक दोस्त का पंचायत का चुनाव लडऩा और संयोग से मतदाताओं के नाम मार्मिक अपील का एक पम्पलेट मेरे द्वारा लिखना ही इस क्षेत्र में आने का आधार बना। मेरे बड़े भाई पम्पलेट की भाषा से मेरे अंदर छुपी लेखन की प्रतिभा को भलीभांति से समझ गए थे। उनके मार्गदर्शन के बाद ही मैंने इस पेशे को चुना। आज भी भाईसाहब अक्सर पूछ लेते हैं कि उनका फैसला गलत तो नहीं था।
जी नहीं, मेरे बड़े भाईसाहब का वह फैसला बेहद दूरदर्शी था। उसी का परिणाम है कि मैं आज इस मुकाम पर हूं। मैं बिलकुल सच और इमानदारी के साथ कहता हूं कि अगर आज इस पेशे में नहीं होता तो शायद अपने अन्य सहपाठियों की तरह किसी निजी स्कूल में दो या तीन हजार की मासिक पगार पर नौकरी कर रहा होता।
बहरहाल, मुख्य बात से भी अब भी दूर ही हूं। भूमिका बांधने में ही काफी कुछ लिख दिया। मूल विषय पर लौटते हुए सर्वप्रथम यही कहूंगा कि ब्लॉग की दुनिया में मेरे प्रवेश के पीछे मेरे कॉलेज के वरिष्ठ साथी श्री नरेशसिंह राठौड़ का विशेष योगदान एवं सहयोग रहा है। वो बार-बार मुझसे यही सवाल करते कि आखिर लिखना कब से शुरू कर रहे हो। मैं व्यस्तता की वजह से हमेशा ही उनको ना करता आया। आखिरकार आज उन्होंने लिखने के लिए प्रोत्साहित कर ही दिया। एक युवा साथी और है तरुण भारतीय। वो भी बार-बार आग्रह करते रहे कि भाईसाहब ब्लॉग भी लिखा करो। आखिरकार आज उनको आग्रह पूरा हो गया है। व्यस्तता इतनी है कि मैं निंरतर लिखूंगा इतना तो तय नहीं है लेकिन जब भी समय मिलेगा कुछ ना कुछ जरूर लिखूंगा। हां, इतना जरूर है कि पत्रकारिता में अभी तक आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर काम कर चुका हूं, लिहाजा अलग-अलग स्थानों का अलग-अलग अनुभव रहा है। वहां की कुछ घटनाएं मेरे जेहन में आज भी जिंदा हैं, जिनको मैं कहानी के रूप में लिखने का प्रयास करूंगा। हालांकि खबर और कहानी दो अलग-अलग विधाएं हैं, आप सभी साथियों का सहयोग एवं मार्गदर्शन अपेक्षित है। समय-समय पर हौसला अफजाई, सुझाव एवं शिकायत के माध्यम से अवगत करवाते रहें ताकि लेखन में और अधिक निखार आ सके।
धन्यवाद।

3 comments:

  1. महेंद्रजी ,आपका हिन्दी ब्लॉग जगत में स्वागत है ,मै आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हूँ ,आशा है अब आपका लिखा हुआ समय समय पर पढ़ने को मिलेगा जिससे मै और अन्य हिन्दी के पाठक साथी लाभान्वित होंगे |

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  2. आदरणीय ,महेंद्र जी इस ब्लोगिंग की दुनिया में आपका स्वागत है ...आपकी कर्मनिष्ठां ही है ..की आपने झुंझुनू ..जिले में भी पत्रकारिता को नवीन आयाम प्रदान किया है |...आपने जो राज बताया है वो जानकर बहुत खुसी हुई ...हालांकि मैंने आपके बारे में ऐसा अंदाजा तो कई बार लगाया है ...ये जनाब केवल मात्र जीविकोपार्जन के लिय तो इस जगह नही आये है ......एक बार पुन:आपको शुभकामनाएं

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  3. Subhash Kashyap KedJune 5, 2011 at 6:22 PM

    I like your writing efforts specially issues relating
    women and unborn female babies.This is a sensitive issue and your literary work left a positive message to the public of Jhunjhunu,your articles brought awareness among peoples and now female ratio is improving in sekhawati.We jhinjhunu peoples cant forget your contribution to the society

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