Saturday, August 4, 2012

किस काम के अंडरब्रिज


प्रसंगवश

मुम्बई-हावड़ा रेल मार्ग पर भिलाई के नेहरूनगर क्रॉसिंग के पास रेलवे मंत्रालय की ओर से अंडरब्रिज निर्माण की स्वीकृति की खबर से एक बार फिर बोतल में कैद जिन्न बाहर आ गया है। तय मानकों पर न बनने के कारण भिलाई में दो अंडरब्रिज पहले से ही लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं। ऐसे में नया अंडरब्रिज कितना कारगर साबित होगा, इस पर सवाल उठने लगे हैं। भिलाई के मौर्या टाकीज व प्रियदर्शनी नगर के अंडरब्रिज बारिश में किसी काम के नहीं रहते हैं। जमीन की स्तह से काफी नीचे होने के कारण दोनों अंडरब्रिज में थोड़ी सी बारिश में ही इतना पानी भर जाता है कि आवागमन अवरुद्ध हो जाता है। बारिश के मौसम में यह समस्या हर साल पैदा होती है। मौर्या टाकीज के पास तो बरसाती पानी की निकासी के लिए एक कुआं भी खोदा गया था लेकिन वह भी किसी काम नहीं आया। इसके बाद पम्प लगाकर अंडरब्रिज का पानी निकाला जाता है, लेकिन यह भी समस्या का स्थायी हल नहीं है। हर साल पम्प से पानी निकालने के खेल के चलते अंडरब्रिज के निर्माण के औचित्य पर ही सवाल उठ रहे हैं। आखिर ऐसी क्या मजबूरी थी कि जनहित को दरकिनार कर अंडरब्रिज का निर्माण कर दिया गया। हैरत वाली बात तो यह है कि अंडरब्रिज का निर्माण करने वाली रेलवे की अधिकृत ऐजेंसी राइट्‌स  की रिपोर्ट को अनदेखी करके इन अंडरब्रिज को बनवाया गया। अंडरब्रिज के निर्माण में बरती गई अनियमितता एवं अदूरदर्शिता का खमियाजा जनता को भुगतान पड़ रहा है। पानी से लबालब भरे व ऊपर से टपकते तथा करीब चार करोड़ की लागत से बने ये दोनों अंडरब्रिज कितने कारगर व उपयोगी हैं, सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
बहरहाल, इनके निर्माण में कितनी पारदर्शिता बरती गई है। इनका निर्माण तय मानकों पर क्यों नहीं हुआ? आदि  बिन्दु़ओं की जांच जरूरी है। आखिर चार करोड़ रुपए खर्च करने के बावजूद जनता को बारिश के मौसम में परेशान होना पड़े तो फिर ऐसे अंडरब्रिज किस काम के। सुनने में आ रहा है कि व्यक्ति विशेष को लाभ पहुंचाने के लिए, इसके निर्माण में तय मानकों व जनहित को नजरअंदाज कर दिया गया। देखा जाए तो राहत पहुंचाने के नाम पर आमजन के साथ यह एक तरह का धोखा ही है। उम्मीद की जानी चाहिए कि नेहरू नगर के अंडरब्रिज के निर्माण में किसी तरह की अनियमिता व गड़बड़ी ना हो। अंडरब्रिज का निर्माण एकदम पारदर्शी तरीके, तय मानकों एवं भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर होना चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो जैसी समस्या का सामना मौर्या टाकीज व प्रियदर्शनी नगर के अंडरब्रिज को लेकर आ रही है, वैसी ही नेहरूनगर के अंडरब्रिज में देखने को मिल जाए तो हैरत की बात नहीं होनी चाहिए।


साभार : पत्रिका छत्तीसगढ़ के 4 अगस्त 12  के अंक में प्रकाशित।

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