Monday, July 22, 2013

एक जैसी समानता...


बस यूं ही

 
राजस्थान के उदयपुर शहर में फिल्मी अभिनेत्री पूजा भट्ट और पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा के बीच हुए घटनाक्रम को न केवल स्थानीय समाचार पत्रों में काफी तरजीह मिली बल्कि राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इस मामले को खूब हवा दी गई। सभी जगह एक जैसी समानता दिखाई दी...। मतलब सभी का झुकाव पुलिस की बजाय फिल्म यूनिट की तरफ ज्यादा दिखाई दिया। वैसे भी कोई भी घटनाक्रम हो, अक्सर यह मान लिया जाता है कि पुलिस की भूमिका सही नहीं थी। इसकी एक प्रमुख वजह यह भी है कि आम आदमी की नजरों में पुलिस की छवि अच्छी नहीं है। लेकिन पुलिस अधीक्षक हरिप्रसाद शर्मा को लेकर जो आरोप सामने आए हैं, उसको लेकर मैं आश्चर्यचकित हूं। हरिप्रसाद शर्मा को मैंने करीब से देखा है। पांच साल पहले वे झुंझुनूं के पुलिस अधीक्षक हुआ करते थे। उस वक्त मैं भी झुंझुनूं में ही था। किसी बड़ी सभा, आंदोलन या धरना आदि में कवरेज के दौरान उनसे मुलाकात हो ही जाया करती थी। वैसे मेरा उनसे जो संबंध एक पत्रकार का एक पुलिस अधिकारी के साथ होता वैसा ही रहा है। मैंने उनमें बाकी पुलिस अधिकारियों से अलग जो चीज देखी वह यह थी कि वे कभी वातानुकूलित कक्ष में बैठ कर अपने मातहतों को दिशा-निर्देश देने के बजाय मौके पर जाने पर विश्वास रखते थे। यही कारण था कि अल्प समय में ही उन्होंने जिले की जनता में जो छाप छोड़ी वैसी बहुत कम पुलिस अधिकारी छोड़ पाए थे। कितना भी बड़ा घटनाक्रम हो मैंने उनको कभी गुस्से में या तनाव में नहीं देखा। इससे ठीक उलट कई बार तनावपूर्ण हालात वाले स्थान पर जाकर उन्होंने माहौल को न केवल सामान्य कर दिया बल्कि गुस्से में नथुने फुलाने वालों को बाद में हंसी के ठहाके लगाते भी देखा। अपने मातहतों की बैठकों में भी उनका रोल अधिकारी की बजाय लीडर वाला ही रहा। उस दौरान के बड़े एवं चुनिंदा कार्यक्रमों में उनका बतौर अतिथि दिखाई देना भी यह दर्शाता था कि लोग उनको किस कदर पंसद करने लगे थे।
आज जब इस अधिकारी पर लगाए गए आरोप के बारे में पढ़ा तो यकीन नहीं हुआ। पांच साल पहले मिलनसार, हंसमुख और जीवट अधिकारी की छवि बनाने वाला शख्स पांच साल में इतना तो नहीं बदल सकता।

No comments:

Post a Comment