Tuesday, December 29, 2015

विकल्प

मेरी 14वीं कहानी 

'सर, कल मेरी शादी की वर्षगांठ है, इसलिए मैं कार्यालय नहीं आ पाऊंगा।' एक ही सांस में यह सब बोलने के बाद बैंक का बाबू उतनी ही तेजी के साथ मैनेजर के कक्ष से बाहर निकला। 'अरे सुनो तो। ' मैनेजर की आवाज कानों में पड़ी तो वह पलटा। मैनेजर की तरफ मुखातिब होते हुए वह बोला। 'जी सर आपने कुछ कहा।' मैनेजर ने कहा 'यार कमाल करते हो। तुम्हारे बच्चे शादी के योग्य हो गए हैं और तुम अब भी वर्षगांठ के नाम पर छुट्टी लेते हो। क्या करोगे ऐसा? कहीं बाहर जा रहे हो क्या ? ' मैनेजर की बातें सुनकर बाबू मुस्कुराने लगा। थोड़ी देर रुकने के बाद मैनेजर फिर बोला 'मेरे को देखो, तुमसे जवान हूं। अभी शादी को भी ज्यादा वक्त नहीं हुआ। मेरी शादी की वर्षगांठ भी पिछले माह ही थी। आपने देखा, मैंने छुट्टी ली क्या? ' मैनेजर के सवाल पर बाबू अपनी हंसी नहीं रोक पाया। वह जोर से ठहाका लगाते हुए बोला ' सर आपकी और मेरी क्या बराबरी। आप की तो मजबूरी है और फिर मेरा तो कार्यालय में विकल्प भी है। आप दूसरे बाबू से भी तो काम चला सकते हो।' इतना कहकर बाबू, मैनेजर के कक्ष से बाहर आ गया। मैनेजर के कानों में रह-रहकर बाबू के मजबूरी और विकल्प वाले शब्द गूंज रहे थे।

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