Wednesday, December 28, 2016

जागने का वक्त

टिप्पणी
नया साल, नए सपने व संकल्प ले आ रहा है। बड़ी बात तो यह है कि इस बार सपने साकार होने की प्रबल उम्मीद है। इसका कारण है कि प्रदेश स्तरीय गणतंत्र दिवस समारोह के सिलसिले में राज्य सरकार खुद बीकानेर आ रही है। इससे पहले भी भाजपा राज्य सरकार गत कार्यकाल में प्रदेश स्तरीय स्वाधीनता दिवस यहां मना चुकी है। करीब डेढ़ साल पहले सरकार आपके द्वार के तहत यहां मुख्यमंत्री सहित समूचा मंत्रिमंडल दस्तक दे चुका है। फिलहाल गणतंत्र दिवस समारोह की तैयारियां व्यापक स्तर पर चल रही हैं। प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधि भी यकायक सक्रिय हो गए हैं। तैयारियों के बहाने कई लंबित मुद्दे यकायक चर्चा में आ गए है। वैसे तो बीकानेर में बुनियादी समस्याओं से ले बड़े स्तर की कई समस्याएं हैं। फिर भी रेल फाटक ,समस्या, तकनीकी विवि की पुनसर््थापना व बीकानेर से हवाई सेवा यात्रा शुरू होना सहित करीब डेढ़ दर्जन मसले हैं जो पूरे हो जाएं तो बीकानेर की तस्वीर बदल जाए। फिलहाल ये कमजोर राजनीतिक नेतृत्व एवं दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में अटके हुए हैं। सामूहिक प्रयासों का भी अभाव रहा।
कमजोर कड़ी यह रही है कि जनता अपने प्रतिनिधियों के भरोसे रही और प्रतिनिधि समस्या न तो प्रभावी तरीके से उठा पाए और न ही हल की दिशा में कारगर प्रयास करा पाए। रेल फाटकों की समस्या तो लंबे समय से नासूर बनी हुई है। जयपुर में मेट्रो ट्रेन सहमति पत्र बनने व ट्रेन संचालन में मात्र पांच साल का समय लगा। मेट्रो का मार्ग कैसे बना, कितने ओवर ब्रिज बने सबके सामने है। इससे यह तो जाहिर है कि सरकार चाहे तो मुश्किल कुछ भी नहीं है। रेल फाटक समस्या हल के नाम पर कभी बाईपास तो कभी एलीवेटेड रोड के नाम पर चर्चाएं चलती रही, आंदोलन होते रहे, लेकिन निचोड़ नहीं निकला। रेलफाटकों का मामला वैसे हाईकोर्ट में विचाराधीन है और जो लोग इस मामले के पीछे हैं वो बाईपास को सर्वाधिक उपयुक्त हल बता रहे हैं। इसमें कोई दो राय नहीं आज नहीं तो कल बाईपास ही हल है तो यह तैयार कब तक होगा। इसेे बनाने में कितना वक्त लगेगा। इस पर सब चुप हैं। जब तक बाइपास नहीं बने तब तक क्या सरकार मूकदर्शक बने लोगों को धक्के खाते देखती रहेगी या कोई विकल्प भी तैयार करेगी।
कुछ ऐसा ही हाल नाल स्थित हवाई अड्डे का है। जितनी जल्दबाजी एवं तत्परता उसको तैयार करने में एवं उद्घाटन करने में दिखाई गई वैसी अब नहीं है। तकनीकी विवि का हश्र तो किसी से छिपा नहीं है।
बहरहाल, भाजपा राज्य सरकार पूरे लवाजमे के साथ तीसरी बार बीकानेर आ रही है। अब तक तो यही देखा गया है कि सरकार के पगफेरे से सूरसागर की सूरत जरूर चमक जाती है। रंगरोगन हो जाता है, फव्वारे चल जाते हैं, लेकिन आम जन की जरूरतों से जुड़े मुद्दों पर ठोस काम के बजाय बयानबाजी हो रह जाती है। सरकार को चाहिए कि जनहित से जुड़े मसलों को गंभीरता से ले क्योंकि जनप्रतिनिधियों से उम्मीद की आस लगाए बैठे लोगों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। इसकी सुगबुहाहट भी शुरू हो गई है। ऐसा होना भी चाहिए। सही में यह जनता के जागने का वक्त है। अब तक जन समस्याओं को लेकर प्रदर्शन टुकड़ों में या प्रायोजित होते आए हैं। अगर इन प्रदर्शनों ने एकजुटता का रूप धारण कर लिया तो सरकार के लिए चुनौती पैदा हो सकती है। जनता जाग रही है, लिहाजा सरकार को भी जागना चाहिए। देर बहुत हो गई है। सरकार को चाहिए कि वह बीकानेर से जुड़े इन सपनों को साकार करे ताकि शहर की सूरत बदले। नए साल का मौका भी है।
राजस्थान पत्रिका बीकानेर में एक जनवरी 2016 को प्रकाशित

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