Wednesday, December 28, 2016

रेलवे की मेहरबानी-1


यह फोटो देखने में भले ही सामान्य लगे हैं लेकिन जिन पर बीत रही है वो इसका दर्द बखूबी जानते हैं। यह रास्ता मेरे जिले का ही है और मेरे गांव के बिलकुल पास का ही है। बगड़ से कालीपहाड़ी जाने वाले रास्ते की यह तस्वीर तीन जुलाई की है। कुछ इस तरह के हालात बगड़ से मेरे गांव केहरपुरा कलां जाने वाले रास्ते पर रतनशहर के पास बनते हैं। इस तरह के अंडरब्रिज आजकल कमोबेश हर जगह दिखाई देते हैं। रेलवे ने अपनी सिरदर्दी कम करते हुए रेल फाटकों को खत्म कर इस तरह के अंडरब्रिज बना तो दिए लेकिन बरसात में पानी की निकासी कैसे होगी इस बारे में नहीं सोचा गया। लिहाजा बारिश के दौरान अंडर ब्रिज पानी से लबालब हो जाते हैं। यात्री अपने गंतव्य तक समय पर नहीं पहुंच पाते हैं। सोचिए रेल आने के समय बमुश्किल पांच से दस मिनट तक ही तो वाहन चालकों को फाटक पर रुकना पड़ता है लेकिन पानी भरने के बाद कितने दिन तक परेशान होना पड़ेगा? या तो पानी अपने आप सूखेगा या फिर प्रभावित लोगों को अपने स्तर पर व्यवस्था करवानी पड़ेगी। बताया जा रहा है कि रेलवे ने मानव रहित फाटकों की जगह इस तरह के अंडरब्रिज बनाए हैं लेकिन मेरी नजर में एेसे कई फाटक हैं जहां पहले सुरक्षाकर्मी तैनात रहते थे, वहां भी अंडरब्रिज बना दिए गए। खैर, अंडरब्रिज को लेकर सबके पास अपने-अपने तर्क हो सकते हैं लेकिन इस तरह के हालात में मैं इस सुविधा को जनहित में नहीं मानता।

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