Wednesday, December 28, 2016

हंसने की वजह


बस यूं ही

मेरा मानना है कि प्रकृति की बनाई हर चीज अनुपम व बेजोड़ है। उसका किसी से कोई मुकाबला नहीं हो सकता। हंसना भी प्रकृति प्रदत है लेकिन कब हंसना है, क्यों हंसना है, किस पर हंसना है, यह कभी कभार हालात पर भी निर्भर करता है। वैसे तो हंसने की वजह कई हैं लेकिन आदमी की शारीरिक संरचना, कद, रंग, शक्ल आदि भी हंसने के बड़े कारण बन जाते हैं। मैंने देखा है कि अक्सर छोटे कद के, काले रंग के, ज्यादा मोटे या बिलकुल दुबले-पतले शख्स अक्सर हंसी के पात्र ज्यादा बनते हैं। यह बात दीगर है कि कुछ लोग हंसने को दिल पर लगा लेते हैं तो कुछ हंसी का जवाब हंसी में ही देते हैं। वास्तव में हंसी को हंसी में टालने वाले जिंदादिल होते हैं। एेसे शख्स निसंदेह सकारात्मक प्रवृत्ति के होते हैं। कोई मजाक में कहे या व्यंग्य में लेकिन यह लोग बुरा नहीं मानते। हो सकता है मन में कुछ जरूर सोचें लेकिन सार्वजनिक रूप से उनका जवाब हमेशा हंसी वाला ही होता है। एेसे ही एक मित्र हैं। उम्र ज्यादा नहीं है लेकिन मोटापा हावी हो चला है। अक्सर मिलने पर वो यहीं पूछते हैं कि आप क्या करते हैं? आप की शारीरिक बनावट बिलकुल फिट लगती है। और मैं उनकी बातें सुनकर बस मुस्कुरा भर देता हूं। अभी कुछ दिन पहले उन्होंने फेसबुक पर साइकिल चलाने की फोटो पोस्ट की। मजाक करने की आदत अनुसार मैंने कमेंट्स किया लेकिन उन्होंने बिलकुल संयमित जवाब दिया। आज फिर उन्होंने बहुत सारी फोटो पोस्ट की तो मैंने फिर उसी अंदाज में कमेंट किया। अब देखिए उन्होंने पोस्ट पर जवाब देने की बजाय व्हाट्सएप पर मैसेज भेजा। चूंकि वो मेरे जवाब का काउंटर था। उनके मैसेज की एक-एक लाइन पढ़कर मैं खुद को हंसने से रोक नहीं पाया। उनका जवाब तो देखिए.....!
पतले लोग मोटे लोगो पर तंज तो यूँ कसते है मानो धरती की आधी समस्यायों के लिए हम ही जिम्मेदार है। भाई मेरे, तुमने पतले होकर क्या तीर मार लिया...कौन सा ओबामा तुम्हारे साथ बैठ कर तीन पत्ती खेलता है। आप ही बताइये किस क्षेत्र में मोटे लोग नहीं है... क्या हनी सिंह, नुसरत फ़तेह अली खान से अच्छा गायक है ??? क्या शिखर धवन , ङेविङ बून से अच्छा बल्लेबाज़ है??? क्या अनिल अम्बानी, मुकेश अम्बानी से ज्यादा अमीर है??? , क्या मिथुन दा, गणेश आचार्य से अच्छे डांसर है...बोलिये...??? क्या ओम पुरी , अमजद खान से अच्छे एक्टर है...बोलिये...???
अपने मोटापे पर शर्म नहीं, गर्व कीजिये...हमारे कारण ही बाबा रामदेव ने नाम कमाया है..., लोग मोटे ना होते तो वो योग किसे सिखाते...राजपाल यादव को??? हम जैसे मोटे लोगों के कारण ही कितने डॉक्टर व जिम वालों की रोज़ी रोटी चल रही है। माना हम तेज़ दौड़ नहीं सकते पर तेज़ दौड़ के हमें कौन सा काला धन लाना है। मोटापा आपको अच्छी व गहरी नींद देता है... बढ़ता मोटापा आपको हर महीने नए कपडे खरीदने का मौक़ा देता हैं। अत: मोटापा श्राप नहीं वरदान है, तोंद शर्म नहीं, ईश्वर का प्रसाद है। शर्माइये मत... गर्व से कहिये हम मोटे हैं।
वाकई इस तरह के जवाब बताते हैं कि आदमी कितना खुशमिजाज और जिंदादिल है। इसलिए प्रकृति ने आपको जैसा भी बनाया है, उसके प्रति शुक्रगुजार होना चाहिए। और हां कोई मजाक करे तो जवाब भी उसी अंदाज में हो तो कितना अच्छा होगा। इस तरह के जवाब वाकई रिश्तों को और अधिक प्रगाढ़ बनाते हैं। आखिर हंसना ही तो जीवन है।

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